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फिर कैसे बना प्रदेश बीमारू राज्य

भोपाल। मप्र को बीमारू राज्य कहने वालों को इस विषय पर दोबारा सोचने की जरूरत है। कारण प्रदेश में हर साल बढ़ते करोड़पति व्यापारियों के अलावा नेताओं, अफसरों और उद्योगपतियों के यहां से मिल रही करोड़ों की अनुपातहीन संपति को देखकर नहीं लगता कि प्रदेश बीमारू राज्य है।

आयकर विभाग के छापों ने प्रदेश के कई लोगों की पोल खोल दी है। पिछले तीन साल में ही आयकर छापों में करीब छह सौ करोड़ की अघोषित संपति सरेंडर की जा चुकी है। इसके अलावा करीब 130 करोड़ रुपए की बेनामी संपति आयकर विभाग जब्त कर चुका है। यही नहीं छापों में मिले दस्तावेज बताते हैं कि कुछेक अधिकारियों, मंत्रियों और उद्योगपतियों के बीच बने गठजोड़ ने शासकीय योजनाओं के माध्यम से अकूत संपदा जोड़ी है। आयकर सूत्रों की मानें तो प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रहे आय के स्त्रोतों में इन योजनाओं का भी एक बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है। आयकर छापे में सरेंडर अघोषित आय या फिर जब्त संपति के अलावा आयकर विभाग ने छापों में हजारों करोड़ की बेनामी संपति का पता लगाया है।

आयकर विभाग ने वर्ष 2009-10 में सबसे ज्यादा छापे की कार्रवाई कर करोड़ों की अघोषित संपति का पता लगाया है। आयकर महानिदेशक और आयकर निदेशक बीडी विश्नोई के नेतृत्व में मारे गए इन छापों में सबसे बड़ा सरेंडर (155 करोड़) केएस आयल ग्रुप मुरैना के रमेश चंद्र गर्ग ने किया था।

अफसर बने करोड़पति

आयकर विभाग ने पिछले तीन साल में कई अफसरों जिनमें आईएएस भी हैं के यहां छापे मारे हैं। इनमें आईएएस दंपति अरविन्द और टीनू जोशी के अलावा आईएएस राजेश राजौरा, स्वास्थ्य संचालक योगीराज शर्मा भी शामिल हैं। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री दीपक असाई और कार्यपालन यंत्री रामदास चौधरी के अलावा विधानसभा में अवर सचिव सत्यनारायण शर्मा, कमलाकांत शर्मा, केपी द्विवेदी भी शामिल थे। कमलाकांत शर्मा द्वारा करीब दो करोड़ रुपए का लेनदेन करने के दस्तावेज आयकर विभाग को मिले थे। एक लाख से भी कम वेतन पाने वाले इन अफसरों के पास इतनी दौलत कहां से आई, यह भी जांच का विषय है।

बढ़ती रही बीपीएल लिस्ट

किसी भी राज्य को बीमारू राज्य मानने के लिए उस राज्य की जनगणना के आंकड़ों के अलावा वहां की बीपीएल सर्वे सूची को भी आधार माना जाता है। एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 70 लाख बीपीएल कार्डधारी हैं। केन्द्र सरकार एक बीपीएल कार्ड पर अनुमानित साढ़े पांच व्यक्ति का परिवार मानता है। इस मान से प्रदेश में करीब तीन करोड़ 85 लाख व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे निवास करते हैं। प्रदेश की सात करोड़ जनसंख्या में से आधे से ज्यादा गरीब हैं तो क्यों नहीं प्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाएगा। जबकि हकीकत यह है कि इन गरीबों के लिए आया पैसा इनके लिए खर्च न होकर अफसरों और नेताओं के माध्यम से उद्योगपतियों के यहां जमा होता रहा।

2009-10 के बड़े छापे

ह्न 16 मार्च 09 - कालानी ग्रुप इंदौर (रियल एस्टेट ग्रुप) - 30 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर की

ह्न 23 जुलाई 09 - कालेज संचालकों के अलावा विधानसभा के अवर सचिव सत्यनारायण शर्मा, कमलाकांत शर्मा, केपी द्विवेदी तथा डीमेट परीक्षा संचालित करने वाली संस्था एपीडीएमसी के वायपी उपरीत तथा एडब्ल्यू खान के भोपाल, रीवा, जबलपुर, दिल्ली, मुंबई स्थित करीब 47 ठिकानों पर छापे- करीब 15 किलो सोना, 40 किलो चांदी, तीन करोड़ नगद, करीब साढ़े तीन सौ करोड़ का विदेशी हवाला करने की आशंका आदि के अलावा करोड़ों रुपए की बेनामी संपति का खुलासा।

ह्न 16 सितंबर 09 - पवन मित्तल कटनी - 12 करोड़ सरेंडर, सौ करोड़ का शेयर केपिटल हवाला, 70 करोड़ की एफडीआर आदि।

ह्न 19 नवंबर 09 - सेटेलाइट ग्रुप इंदौर - 30 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर, नेताओं और अफसरों का भी निवेश होने के प्रमाण।

ह्न 4 फरवरी 2010 - आईएएस अरविन्द जोशी, टीनू जोशी, इंजीनियर दीपक असाई, रामदास चौधरी, आईसीआईसीआई बीमा कंपनी की ब्रांच मैनेजर सीमा जायसवाल, उद्योगपति पवन अग्रवाल आदि - साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा नगद, करोड़ों रुपए बीमा पालिसी के माध्यम से फर्जी नामों से निवेश लाखों के जेवरात आदि।