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फिर से चालू होंगे गोरखपुर व सिंदरी यूरिया प्लांट

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। देश में यूरिया की लगातार कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने वर्षो से बंद पड़े तीन सरकारी यूरिया कारखानों को फिर से शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार की कोशिश जल्द से जल्द सिंदरी [झारखंड], तालचर और रामागुंडम यूरिया प्लांटों को चालू करने की है। तीनों प्लांटों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई जा रही है। केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय अगले छह-सात महीने में इस बारे में एक विस्तृत योजना तैयार कर कैबिनेट के पास ले जाएगा। सरकार इसके लिए निजी क्षेत्र की मदद लेने को भी तैयार है। यह जानकारी रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना ने गुरुवार को लोकसभा में दी।

जेना ने यह भी बताया कि सरकार यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को आकर्षित करने के लिए एक नई नीति बना रही है। इसकी घोषणा एक महीने के भीतर की जाएगी। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर स्थित यूरिया उत्पादन प्लांट को भी फिर से शुरू करने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए राजस्व साझेदारी माडल को अपनाने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। इस बारे में राज्य सरकार से बातचीत की गई है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

जेना ने बताया कि उड़ीसा के तालचर स्थित यूरिया प्लांट को कोयला से चलाने पर विचार किया जा रहा है। चूंकि उड़ीसा के इस इलाके में कोयला भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए यहां कोयला गैसीफिकेशन पर आधारित यूरिया संयंत्र स्थापित करने में फायदा होगा। इसी तरह से अन्य दोनों प्लांटों [सिंदरी और रामागुंडम] को गैस से चलाने की कोशिश की जाएगी।

जेना ने कहा कि सरकार इन तीनों प्लांटों को फिर से शुरू करने के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रही है। एक विकल्प सरकारी निजी साझेदारी [पीपीपी] भी है। जिस तरह से हवाई अड्डे सहित कई क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल को सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है, उसे देखकर ही इन बंद पड़े यूरिया प्लांटों में इसे आजमाने का विचार आया है। एक अन्य विकल्प है- किसी तीसरे पक्ष को पूरा प्लांट रखरखाव के लिए दे देना। यह किस तरह से काम करेगा इस बारे में उर्वरक राज्य मंत्री ने विस्तार से नहीं बताया। उक्त तीनों प्लांटों को फिर से चालू करने की कोशिश सरकार काफी वर्षो से कर रही है, लेकिन अभी तक सफलता हासिल नहीं हुई है।

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान देश में यूरिया की कमी का मसला काफी देर तक छाया रहा। विपक्षी पार्टियों के कई सांसदों ने यूरिया की कमी पर सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। हालांकि रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री बार-बार यह दावा करते रहे कि कहीं भी खादों की किल्लत नहीं है।