Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/ब-ह-र-च-न-व-म-य-फ-ल-क-ट-क-तरह-क-य-च-भ-रह-ह.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहार चुनाव में ये फूल काँटे की तरह क्यों चुभ रहे हैं? | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

बिहार चुनाव में ये फूल काँटे की तरह क्यों चुभ रहे हैं?

-बीबीसी,

"फूल की कोई क़ीमत नहीं है. क़ीमत लगी तो 500 रुपए में भी 20 लड़ी (एक लड़ी में 52 फूल) बिका, और नहीं हुआ तो पटना ही बिगा(फेंका) गया. एक रुपया भी नहीं मिला. फूल देखने में बहुत सुंदर लगता है, लेकिन हमारे लिए तो खेत में खड़ा हुआ फूल किसी काँटे से कम नहीं." कड़ी धूप में अपने फूल के खेत में काम करते हुए रूपा देवी ज़रा खीझ कर बोलीं.

रूपा देवी, फूल किसान हैं और बीते 10 साल से गेंदा, चेरी, मीना, मुंगड़ा आदि की खेती करती हैं. उनके पति हरियाणा में काम करते हैं और तीन बच्चों की माँ रूपा एक एकड़ का खेत 16,000 रूपए सालाना पट्टे पर लेकर खेती करती हैं. लेकिन ये साल इनके लिए बहुत बुरा गुज़र रहा है.

वो बताती हैं, "मार्च से जो लॉकडाउन के बाद स्थिति हुई, वो अभी तक ऐसे ही चल रही है. चुनाव का भी कोई असर नहीं. सारा फूल खेत में लगे-लगे सड़ गया. मज़दूरों ने 150 रुपए मज़दूरी ले ली और खेत के मालिक ने फसल क्षति का मुआवज़ा ले लिया. हम जैसे पट्टा पर काम करने वाले किसानों के हाथ कुछ नहीं आया."

चुनाव बेरंग है
बिहार के नालंदा ज़िले के इस्लामपुर के गुलज़ारबाग की रूपा देवी की तरह ही दूसरे फूल किसान भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. इस्लामपुर में गुलज़ारबाग के अलावा अमनामां, बूढ़ा नगर, संडा, ढेकवारा सहित कई गाँव में मालाकार जाति के लोग फूलों की खेती करते है.

अमनामां गाँव की बुर्जुग दंपती बुल्लु देवी और नागेश्वर भगत ने अपनी पूरी उम्र फूलों की खेती में गुज़ार दी. इस बार पहले लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ी, फिर बाढ़ के पानी ने फूलों को सड़ा दिया.

64 साल की बुल्लू देवी कहती हैं, "वृद्धावस्था पेंशन, राशन कार्ड से किसी तरह काम चलाते हैं, वरना तो हम बूढ़ा-बूढ़ी भूखे मर जाएँ."

उनके बगल में ही बैठे नागेश्वर भगत कहते हैं, "चुनाव आता था, तो हम लोगों को बस यही फ़ायदा होता था कि डिमांड बढ़ जाती थी. ज़्यादा फ़ायदा पैकार (फूल किसान और व्यापारी के बीच की कड़ी) को ही होता है. लेकिन अबकी बार तो कोरोना के चलते चुनाव में भी कोई रंग नहीं. सब लोग एक दूसरे से दूरी बनाए हुए है. तो फूल माला का क्या होगा."

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.