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बिहार चुनाव: महादलित, जिन पर नीतीश कुमार पर जानलेवा हमले का मुकदमा चल रहा है

-बीबीसी,

"ढाई साल से अधिक वक़्त बीत गया. अब तो सब लोग भूल भी गए हैं. मगर हम लोगों को याद है कि हमारे टोले में प्रशासन ने कितना तांडव मचाया था. घर की बहू-बेटियों पर कितना अत्याचार हुआ था. उन्हें जबरन घर से उठाकर जेल में डाल दिया गया. वैसे लोगों पर मुकदमा किया गया जो मर चुके हैं और जो विदेश में रहते हैं. आरोप लगाया गया कि हमने नीतीश कुमार के ऊपर जानलेवा हमला किया."

ये शब्द हैं बक्सर ज़िले के नंदन टोला की बुजुर्ग महादलित महिला मन्ना देवी के.

नंदन टोला बिहार की राजधानी पटना से लगभग 150 किमी दूर बक्सर के डुमरांव प्रखंड में बसे नंदन गाँव का एक हिस्सा है.

महादलितों की बहुलता वाला यह टोला 12 जनवरी 2018 को तब चर्चा में आया था जब सात निश्चय योजना की समीक्षा यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफ़िले पर पत्थरबाजी की घटना घटी थी.

इस मामले में 91 नामजद समेत करीब 2100 लोगों के ख़िलाफ़ नीतीश कुमार के ऊपर जानलेवा हमला करने का मुक़दमा दर्ज किया गया.

'ग़रीबों पर किस बात के लिए मुकदमा?'
डुमरांव विधानसभा से इस बार चुनाव में उतरी जेडीयू प्रत्याशी अंजुम आरा से नंदन गांव के लोगों को उम्मीद है कि वो उनके ख़िलाफ़ मुकदमे को हटाने के लिए मुख्यमंत्री से बात करेंगी. अंजुम आरा ने इस बारे में बीबीसी से कहा, "मैं नंदन गांव के लोगों से मिली हूँ. उनसे सभी मसलों पर बात हुई है. उन्हें अभी कोई दिक्कत नहीं है. उनका आशीर्वाद मेरे साथ है और मैं इस बात के लिए प्रतिबद्ध हूं कि मामले में जिन भी निर्दोष लोग उलझे हैं, उन्हें न्याय मिले. मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी से बात करूंगी."

इस मामले में अभियुक्त बेटे और बहू की बुजुर्ग माँ मन्ना देवी आगे कहती हैं "हम पूरी दुनिया में बदनाम हुए. अब जब यह सच भी सामने आ गया है कि घटना की वजह प्रशासनिक चूक थी और उसमें सरकार के ही लोगों का हाथ था, फिर भी हमारे ख़िलाफ़ मुक़दमा वापस नहीं लिया गया.''

''उल्टा हमें प्रताड़ित किया गया. अब कचहरी के चक्कर लगाकर परेशान हो गए हैं. आख़िर अब किस बात के लिए हम गरीब लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है?"

क्यों हुई थी पत्थरबाजी?
नंदन गांव में मुख्यमंत्री के काफ़िले पर हुई पत्थरबाज़ी की घटना क्यों हुई थी, इसकी जांच पुलिस कर रही है और यह मामला अदालत के विचाराधीन है.

लेकिन, घटना के कुछ ही दिनों बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार और पार्टी के स्तर से जाँच के लिए बिहार जदयू अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विद्यानंद विकल को नंदन गाँव भेजा था.

विद्यानंद विकल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लिखा था किस्थानीय विधायक ददन पहलवान और मंत्री संतोष निराला को मुख्यमंत्री के भ्रमण के पूर्व ही महादलित टोला के लोगों ने अपनी समस्याओं और माँगों से अवगत करा दिया था.

रिपोर्ट के अनुसार विधायक और मंत्री ने अगर थोड़ी गंभीरता के साथ महादलितों को समझाने की कोशिश की होती तो उन्हें साज़िश रचने वालों को चंगुल से बचाया जा सकता था.

पत्थरबाजी की साज़िश किसने रची?
विकल की जाँच रिपोर्ट में पत्थरबाज़ी की घटना के मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में रामजी यादव का नाम दर्ज है और उन्हें राजद पार्टी का समर्थक बताया गया है.

रामजी यादव नंदन गाँव के ही रहने वाले हैं और महादलितों के टोले में लकड़ी चीरने वाली मशीन चलाते हैं.

रामजी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "सबसे पहले तो हम भाकपा माले से जुड़े हैं. राजद से मेरा कोई ताल्लुक नहीं हैं. और रही बात साज़िश रचने की तो मैं बस इतना ही कहूंगा कि अगर किसी की मां-बेटी के ऊपर आप हाथ उठाएंगे, तो कोई देखता नहीं रहेगा, वह प्रतिकार करेगा.''

''साज़िश तो उन लोगों ने रची जो टोला के लोगों को यह कहकर मुख्यमंत्री के पास ले गए कि उनकी बात मुख्यमंत्री से कराई जाएगी.‌ और यह काम वही लोग कर सकते हैं जो मुख्यमंत्री के करीबी हैं."

रामजी यादव के मुताबिक़ नंदन टोला के लोग उस दिन मुख्यमंत्री से मिलकर सिर्फ़ इतना ही कहना चाहते थे कि सात निश्चय योजना का काम उनके टोले में नहीं हो रहा है, जो कि योजना के मुताबिक़ होना था.

अब नंदन गाँव कैसा है?
नंदन गाँव की आबादी लगभग 5000 है. दलितों और महादलितों की संख्या ज्यादा है. विशेष रूप से, नंदन टोला में 100 से अधिक महादलित परिवार रहते हैं.

टोले में प्रवेश के साथ ही सड़क के दोनों किनारे मानव मल दिखता है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में गाँव खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुका है.

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