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बंजर खेत भी उगलेंगे सोना

हल्द्वानी(नैनीताल)। वनाच्छादित उत्तराखंड की 4.50 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि भी अब सोना उगलेगी। मनरेगा से डबटेल कर कृषि विभाग ने एक ऐसी योजना बनायी है, जिससे किसान अपनी बंजर भूमि पर खेती कर अतिरिक्त पारिश्रमिक भी अर्जित कर सकेंगे। बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का तरीका किसानों को कृषि विभाग समझाएगा। कम से कम पचास नाली बंजर का सुधार करने पर किसानों को उससे उपजी फसल तो प्राप्त होगी ही, साथ ही अतिरिक्त 15 हजार रुपये भी मिलेंगे।

उत्तराखंड राज्य के कुल क्षेत्रफल 53484 वर्ग किमी. में से 34434 वर्ग किमी. वन आच्छादित है। एक अनुमान के अनुसार करीब 12191 वर्ग किमी. में आवासीय व सेज विकसित हो चुके हैं, इसलिए कृषि भूमि एवं वनों के क्षरण से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। इसके मद्देनजर कृषि विभाग अपने बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए जद्दोजहद करने में लगा है। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर पलायन रोकने की भी मंशा सरकार ने पाली है। सूत्रों का कहना है कि किसान जैसे ही बंजर भूमि में खेती की कवायद शुरू करेगा, वैसे ही कृषि एवं संबंधित विभागों द्वारा उसे तकनीकी सहयोग दिया जाने लगेगा। कृषि योजनाओं के जरिये बीज-खाद आदि मुहैया कराये जाएंगे। वहीं किस क्षेत्र में कौन सी फसल लाभदायक होगी, इसका निर्धारण भी संबंधित विभाग ही करेंगे। बताया जाता है कि सामुदायिक आधार पर दो सौ नाली के सुधार के बाद 15 हजार की लिमिट नहीं होगी। इसके लिए कलस्टर बनाकर लक्ष्य देने की भी कवायद शुरू कर दी गयी है और वातावरण के अनुसार फसलों का चयन करने की तैयारी है। इस बंजर सुधार योजना के लिए कृषि विभाग को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मनरेगा की धनराशि कृषि विभाग के खाते में आएगी। इसके साथ ही किसानों को बायोगैस व जैव कटर उपलब्ध कराये जाएंगे। विभाग ने प्रदेश के सभी 670 न्याय पंचायतों को 100 से 200 नाली का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड की बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने पर सरकार की नजर है। ऐसा हो जाने पर कृषि क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। मनरेगा से डबटेल कर किसानों को अतिरिक्त मानदेय देने की जो योजना बनायी गयी है, वह अपने आप में खास है। यह योजना निश्चित रूप से प्रदेश की खेती में मील का पत्थर साबित होगी।