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बंद होने के कगार पर राजीव गांधी शिक्षा मिशन

कोरबा (निप्र)। राजीव गांधी शिक्षा मिशन अब शिक्षा विभाग में विलोपित होने के बाद बंद होने की कगार में जा पहुंचा है। नए निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृति अब मिशन से बंद हो चुकी है। पुराने कार्यों की मानें तो पूरी राशि आवंटन के बाद भी जिले मे 275 निर्माण कार्य अब भी अधूरे पड़े हैं। जिन कार्यों का निर्माण अधूरे हैं, उनकी वसूली पंचायत स्तर से नहीं होने के बाद अब फंड का इंतजार हो रहा है।

मिशन के लिए अब तक जारी मद से हुए निर्माण कार्यों का भौतिक सत्यापन नहीं होने के कारण शासन ने राशि आवंटन से हाथ खींच लिया है। विभाग में नए वित्तीय वर्ष में निर्माण कार्य के लिए अब तक कोई एलाट नहीं आया है। निर्माण कार्य के लिए राशि नहीं होने के कारण खंडहर हो रहे अधूरे भवन का निर्माण अब जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बनी हुई है। शासन के रिकॉर्ड में भले ही जिले में प्राथमिक व मिडिल स्कूलों के लिए अब तक स्वीकृत भवनों की संख्या पर्याप्त है, किंतु जमीनी हकीकत वास्तविकता से परे नजर आ रहा है। एक समय था जब निर्माण कार्यों के लिए मलाईदार विभाग के रूप में राजीव गांधी शिक्षा को मिशन को माना जाता था। जहां से जिसने भी चाहा जमकर लूट खसोट की है। चाहे वह स्कूल निर्माण का कार्य हो याह रैंप निर्माण या फिर बालक व बालिका शौचालय। विभाग से अब तक जितने भी निर्माण कार्य हुए हैं वह भौतिक सत्यापन से परे हैं। अधिकांश निर्माण कार्य में पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया था। जिनके द्वारा निर्माण की बिना भौतिक सत्यापन कराए ही राशि का आहरण कर बंदरबांट कर ली गई है। अब तक जितने पंच सरपंचों ने राशि का बंदरबाट किया है उनसे राशि की वसूल नहीं हो सकी है। जिन सरपंचों के कार्यकाल में निर्माण होना था, वे अब सरपंच पद से हट चुके हैं। उनके स्थान पर नए सरपंच आ गए है। जिनके द्वारा पुराने सरपंचों पर ठीकरा फोड़ते हुए बचा जा रहा है। इधर ऐसे कई सरपंच हैं जिनसे राशि की वूसली की जानी है, वे दिवंगत हो चुके हैं। जिला समन्वक पद को समाप्त कर अब विभाग को जिला शिक्षा विभाग में समायोजित कर दिया गया है। विकासखंड स्तर पर पदस्थ समन्वयकों के वित्तीय अधिकार अब समाप्त कर दिए गए हैं। कमोबेश विभाग से निर्माण कार्य के लिए राशि आवंटन बंद किए जाने के बाद विभाग के स्कूलों की मॉनिटिरिंग शिक्षा विभाग अथवा आदिवासी विकास विभाग के हवाले कर दिया जाएगा। वर्तमान में विभाग से पदस्थ शिक्षकों का वेतन आहरण तो हो रहा है, किंतु वह विभागीय मद से न होकर आदिवासी विकास विभाग से हो रहा है।

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अधूरे भुगतान से लटके काम

राजीव गांधाी शिक्षा मिशन से निर्माण कार्य के अलावा स्कूलों में विद्युतीकरण करने के लिए 890 स्कूलों को चिन्हांकित किया गया था। इसके लिए 30 हजार प्रति स्कूल के लिहाज से 2 करोड़ 67 लाख की स्वीकृति जनवरी 2013 में दी गई थी। उपरोक्त स्वीकृत राशि में से 15 हजार प्रति स्कूल अर्थात 1 करोड़ 33 लाख 50 हजार का भुगतान किया जा चुका है, किंतु विद्युतीकरण की हालिया स्थिति स्कूलों में जाकर देखी जा सकती है। किसी स्कूल में मीटर को आलमारी में रखा गया है तो कहीं वायरिंग अधूरा होने के कारण स्कूल रोशन नहीं हो सके हैं।

विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को अब वेतन के लाले पड़ने लगे हैं। जिला कार्यालय से लेकर विकासखंड स्तर पर अधिकांश संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनका वेतन भुगतान लंबित होने की वजह से उन्हे आर्थिक समस्या से गुजरना पड़ रहा है। विभाग के कर्मचारियों को पिछले तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं हो सका है। विभाग के विलोपित होने के बाद अब यहां कार्यरत कर्मचारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी है।

निर्माण कार्य के लिए नए वित्तीय वर्ष में कोई एलाट नहीं आया है। विभागीय कर्मचारियों का वेतन भुगतान के राशि का आवंटन किया जा चुका है। निर्माणाधीन कार्यों के संबंध में प्रशासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

- एमएल ब्राहमणी, सहायक समन्वयक, राजीव गांधी शिक्षा मिशन