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बजट 2018 : मध्य वर्ग खाली हाथ-- आशुतोष चतुर्वेदी

मध्य वर्ग को बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. इस बजट में मध्य वर्ग की पूरी तरह से अनदेखी कर दी गयी. मध्य वर्ग को आयकर में राहत की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्री ने बजट भाषण में आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया. अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन वर्षों में आयकर को लेकर कई बदलाव किये हैं, इसलिए वह फिलहाल इसमें कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने नौकरीपेशा लोगों को 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन तो दिया, लेकिन उसके साथ ही 15 हजार रुपये के मेडिकल भत्ते और 19,200 रुपये के परिवहन भत्ते की छूट को वापस ले लिया. कुल मिलाकर मध्य वर्ग के हाथ 5,800 रुपये की छूट ही हाथ आयी. अभी तक इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूच्युअल फंड में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता था. उस पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगा दिया गया है. दूसरी ओर कस्टम ड्यूटी को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया जिसका सीधा असर मोबाइल और टीवी की कीमतों पर पड़ेगा. इस बढ़ोतरी की कीमत मध्य वर्ग को चुकानी होगी.

यह सर्वविदित है कि देश के विकास में मध्य वर्ग का बड़ा योगदान है. नौकरीपेशा और प्रोफेशनल्स का यह तबका ईमानदारी से अपना टैक्स अदा करता है. यह मुखर तबका है, लेकिन चुनाव की दृष्टि से प्रभावी नहीं है.

वोट डालने के मामले में इसका रिकॉर्ड बहुत खराब है. माहौल बनाने में तो यह बड़ा योगदान देता है लेकिन जब वोट देने की बारी आती है तो ढीला पड़ जाता है. हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में मध्य वर्ग की अहम भूमिका थी. लगता है कि जब 2019 के चुनावी तराजू में तौला गया तो उसे हल्का पाया गया इसलिए मध्य वर्ग की अनदेखी कर दी गयी. मुझे लगता है कि मध्य वर्ग की अनदेखी का फैसला आसान नहीं रहा होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सारे राजनीतिक नफा-नुकसान के बाद ही यह जोखिम लिया गया होगा. इस निर्णय में गुजरात चुनाव के नतीजों का भी असर रहा होगा. वहां किसानों में फसलों के उचित मूल्य न मिलने के कारण खासी नाराजगी देखी गयी थी. मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं.

कुछ समय पहले वहां भी किसान सड़कों पर थे. सरकार ने कॉरपोरेट इंडिया का भी ध्यान रखा है. सरकार ने 250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों पर 25 फीसदी टैक्स लगाये जाने की घोषणा की है. सरकार के इस फैसले से 99 फीसदी एमएसएमई को 25 फीसदी टैक्स ही देना होगा.