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बजट 2020: बजट से क्या चाहती हैं ग्रामीण महिलाएं ?

- गांव कनेक्शन

लखनऊ। "हमें न तो आवास मिला न विधवा पेंशन। महंगाई भी छप्पर फाड़कर बढ़ गयी। अब तो आलू-प्याज खाना भी मुश्किल है। बजट से गरीबों को क्या लेना-देना?" यह बात जंगल से लकड़ी लेने गयी फूलमती रावत (55 वर्ष) ने नाउम्मीदी से कही। "बजट निकलने से पहले हमारी भी समस्या पूछी जाएगी, ये आज पहली बार आपसे पता चला। हमने तो नाम भी इसका पहली बार सुना है। एक समस्या हो तो आपको बताई जाये।" फूलमती रावत ने कहा। फूलमती लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर गोसाईगंज ब्लॉक के नूरपुर बेहटा गांव की रहने वाली हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी। जब गांव कनेक्शन ने आने वाले बजट को लेकर ग्रामीण भारत की महिलाओं और लड़कियों से बात करके उनकी राय जननी चाही तो कई तरह के जवाब मिले। किसी ने पहली बार 'बजट' शब्द का नाम सुना तो कोई महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है। कइयों ने लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा पर चिंता जताई। किसी ने रोजगार की मांग की तो किसी ने 12वीं तक नि:शुल्क शिक्षा की। पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने पर भी निराशा व्यक्त की।

 
जब बजट पर उत्तर प्रदेश में 181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली महिला कर्मचारियों से उनकी राय जाननी चाही तो एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "सरकार की ये महत्वपूर्ण योजना है फिर भी हमें कई महीने से वेतन नहीं मिला। बिना पैसा के हम लोग कैसे महिलाओं की मदद करें। इस बार के बजट में सबसे पहले हमें वेतन दिया जाए।" यहां काम कर रहे 350 महिला कर्मचारियों को विभाग की तरफ से जून 2019 से मानदेय नहीं मिला है। जबकि उत्तर प्रदेश में निर्भया फंड का 119 करोड़ रुपए का बजट है जिसमें अभी तक मात्र तीन करोड़ 93 लाख रुपए ही खर्च हुए हैं इसके बावजूद महिला सुरक्षा की यह महत्वपूर्ण योजना बंद होने के कगार पर है। यहां काम करने वाले कई कार्यकताओं ने बजट में सबसे पहले अपने रुके हुए मानदेय मिलने की बात कही। वहीं नूरपुर बेहटा गांव की ही मुन्नी देवी (40 वर्ष) ने कहा, "मनरेगा का जॉब कार्ड तो है हमारे पास, पर 365 दिन काम कहां मिलता? साल में 100 दिन काम और पैसे भी बहुत कम। इतने से काम नहीं चलता। सरकार अगर हम लोगों को कोई ऐसा काम शुरू करा दे जिसमें हर महीने पैसा मिले तो बहुत अच्छा रहेगा।" मुन्नी की तरह देश की लाखों महिलाएं हर दिन काम की मांग सरकार से चाहती हैं।

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