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बजट स्पेशल- हेल्‍थ सेक्‍टर ने ली राहत की सांस

नई दिल्ली. इस बार के बजट से हेल्‍थ सेक्‍टर ने राहत की सांस ली है। आम लोगों को साल भर में स्वास्थ्य चेकअप के लिए खर्च होने वाली पांच हजार रुपये की सीमा तक कर में छूट दी गई है।

राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की स्थापना की जाएगी। कुपोषण की पहचान करने के लिए पांच लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। चेन्नई के पास एकीकृत टीका यूनिट की स्थापना करने का फैसला हुआ है। कुपोषण संबंधी कार्यक्रमों में संयोजक के रूप में आशा की भूमिका बढ़ाई जाएगी। इनका मेहनताना भी बढ़ाया जाएगा। एनआरएचएम को 20,822 करोड़ रुपये दिए गए हैं। एड्स, कैंसर की दवाएं सस्‍ती करने का ऐलान किया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं को सर्विस सेक्टर के दायरे से बाहर रखा गया है। अगले पांच सालों तक फार्मा कंपनियों के लिए इन हाउस शोध एवं विकास पर कर में 200 फीसदी के बराबर छूट जारी रखने का फैसला किया है। वहीं, नए अस्पताल बनाने पर अब तक 100 फीसदी कर राहत को बढ़ाकर 150 फीसदी कर दिया है। 
 
उधर, दैनिक भास्कर ने वित्त मं.त्री की ओर से हेल्थ सेक्टरको लेकर की गई घोषणाओं के बारे में जानकारी देते हुए इसका विश्लेषण किया। वहीं इसके कई अन्य पहलूओंपर भी चर्चा की है।
 
लेकिन केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री इस बार के बजट से निराशहैं। गुलाम नबी आजाद ने बजट पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद डीएनए से बातचीत में  कहा, ' यह बजट ठीक ठाक ही है। हालांकि मेरे मंत्रालय को बहुत कुछ नहीं मिला है। हेल्‍थ सेक्‍टर के बजट में 15 फीसदी की बढोतरी की उम्‍मीद की जाती है। ऐसा नहीं हुआ।'
 
हालांकि इकोनॉमिक टाइम्‍स  ने कहा है, अच्‍छी खबर है कि सभी हेल्‍थकेयर सर्विसेज को सर्विस टैक्‍स के दायरे से बाहर कर दिया गया है। 
वहीं बिजनेस टुडे ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि फार्मास्‍युटिकल इंडस्‍ट्री सरकार के इस बार के बजट से निराश होगी।
 
जाने माने कार्डियोलॉजिस्‍ट और पद्मभूषण से सम्‍मानित डॉ बी एम हेगड़े के मुताबिक यह बजट कॉरपोरेट सेक्‍टर का बजटहै। क्‍योंकि इसमें गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्‍होंने कहा, एजुकेशन और हेल्‍थ दोनों को जीडीपी का 2 फीसदी मिला था और अब यह बढ़ाकर ढाई फीसदी कर दिया गया है। लेकिन ऐसे अहम क्षेत्रों के लिए इतनी राशि पर्याप्‍त नहीं है।