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बड़ा फैसला: किसान की रजामंदी के बिना होगा अधिग्रहण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आर्थिक सुधार के मोर्चे पर एक और साहसिक फैसला लिया है।

विपक्ष के विरोध के बावजूद बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी करने और कोयला क्षेत्र के लिए फिर से अध्यादेश लाने के फैसले के कुछ ही दिन बाद सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए भी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सोमवार को कैबिनेट की बैठक में भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव पर मुहर लगाई गई।

अब सुरक्षा, ग्रामीण इलाके की बुनियादी सुविधाएं, गरीबों के लिए सस्ते मकान, औद्योगिक कॉरिडोर और आधारभूत व सामाजिक संरचना क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में जमीन मालिक की रजामंदी की जरूरत नहीं होगी, लेकिन इस जमीन का स्वामित्व सरकार के पास होना चाहिए। भले ही यह परियोजना सार्वजनिक-निजी सहभागिता पर ही क्यों न हो।

नई परियोजनाओं की राह में भूमि अधिग्रहण कानून को बाधक माना जा रहा था। सरकार के इस फैसले से लगभग 330 अरब डॉलर की परियोजनाओं के लिए रास्ता साफ हो गया है।

हालांकि, अध्यादेश लाने के सरकार के फैसले से उद्योग जगत जहां बाग-बाग होगा, वहीं राजनीतिक तौर पर सरकार को विपक्ष के तीखे हमले झेलने पडे़ंगे।

कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार पर कॉरपारेट जगत के हितों की पैरोकारी करने का आरोप लगाते हुए कानून में बदलाव का विरोध किया है। पिछली यूपीए सरकार ने जमीन अधिग्रहण का नया कानून बनाया था।

अध्यादेश लाने के फैसले से मोदी ने निवेशकों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार आर्थिक सुधारों की गाड़ी नहीं रोकेगी। कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संशोधन के दौरान किसान व विकास दोनों के बीच संतुलन रखा गया है।

जमीन अधिग्रहण के बदले किसानों को पहले की तरह ही उच्च मुआवजे मिलते रहेंगे। मुआवजे व पुनर्वास पैकेज में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

यहां तक कि जिस कानून के तहत जमीन अधिग्रहण की छूट है उसमें भी किसानों को मिलने वाले मुआवजे में कोई रियायत नहीं दी गई है। कैबिनेट से मंजूर अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद भूमि अधिग्रहण कानून में किया गया बदलाव लागू हो जाएगा।

सुरक्षा, ग्रामीण इलाके की बुनियादी सुविधाएं, गरीबों के लिए सस्ते मकान, औद्योगिक कॉरिडोर और आधारभूत व सामाजिक संरचना क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में जमीन मालिक की रजामंदी की जरूरत नहीं होगी।

रफ्तार पकड़ेंगी यूपी में एनटीपीसी की परियोजनाएं
संशोधित प्रस्ताव के मुताबिक किसी भी निजी परियोजना के लिए 80 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति जरूरी है। अगर परियोजना सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल पर है तो यह सहमति 70 फीसदी तक होनी चाहिए।

बिजली क्षेत्र से जुड़ी सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में जमीन मालिक से सहमति लेना अनिवार्य नहीं होगा। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक कंपनी एनटीपीसी की कई परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण नहीं होने की वजह से अटकी हुई हैं।

मोदी को कॉरपोरेट जगत की परवाह : कांग्रेस
कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध कर बजट सत्र में इस पर दो-दो हाथ करने के संकेत दे दिए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस अध्यादेश के जरिए साफ कर दिया है कि यह सरकार कॉरपोरेट हितों की परवाह करती है। वामपंथी दलों ने भी इस अध्यादेश का विरोध किया है।