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बर्दाश्त नहीं जुल्म ओ सितम

संजय सिंह, बांका। बिहार के मुंगेर व बांका जिले की सीमा पर बदुआ नदी के किनारे बसे गढ़ी मोहनपुर गांव की महिलाओं में गजब का उत्साह और जज्बा है। कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने को वे हमेशा तैयार रहती हैं। चाहे अपराधियों का मुकाबला हो अथवा बाहरी तत्वों के अन्याय व जुल्म का। गांव की महिलाएं पूरे जोश-खरोश के साथ संघर्ष को तैयार रहती हैं। गांव के हरेक घर में पारंपरिक और प्राचीन हथियार तलवार, भाला, बरछी, गड़ासा अवश्य मिल जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर उसका इस्तेमाल करने में वे गांव के मर्दो के साथ पीछे नहीं हटती हैं।

30 वर्ष पूर्व गांव में डकैती की वारदात हुई थी। लोग बहुत सहमे रहते थे कि न जाने कब किसके घर में डकैत लूटपाट करेगे। इससे निजात पाने के लिए गांव की महिलाओं ने घरों की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा स्वयं ले लिया जबकि बाह्यं सुरक्षा का भार मर्दो ने संभाल लिया। महिलाएं रतजगा कर अपनी संपत्ति व परिवार की हिफाजत करती थीं। महिलाओं के इस जज्बे ने गांव में दुबारा हमले की डकैतों की योजना को नाकाम कर दिया। उसके बाद से तो गांव में डकैत व अपराधी फड़कते तक नहीं। अगर कभी अफवाह भी फैल जाती है कि दूसरे गांव के लोग हमले की तैयारी अथवा जातीय दंगे की योजना बना रहे है तो मर्दो के साथ महिलाएं भी मुकाबले के लिए सक्रिय हो जाती है।

गांव की 70 वर्षीया सीता देवी ने कहा कि परिवार व गोतिया में विवाद के बावजूद संकट के समय सभी महिलाएं एकजुट होकर बाहरी तत्वों के मुकाबले को तैयार रहती है। शोमा देवी, मणि देवी, गीता देवी के अनुसार गांव की महिलाएं बाहरी तत्वों के अन्याय व जुल्म को सहन नहीं कर पातीं। पुलिस भी गांव की महिलाओं के साहस और जज्बे की कायल है। गांव में होने वाले छोटे-मोटे अपराधों में तो पुलिस जाने में हिचकती है। क्योंकि पुलिस के पहुंचने पर महिलाएं घरों से बाहर निकलकर पूछताछ करने लगती है और अन्याय के खिलाफ प्रतिकार करने से पीछे नहीं हटतीं। शंभूगंज थाने में महिला पुलिस नहीं है। कोई गंभीर मामला होने पर स्थानीय पुलिस जिला मुख्यालय से महिला पुलिस को बुलाकर ही गांव में प्रवेश करती है। चुनाव के समय राजनेता भी इस गांव में बहुत सोच समझकर बड़ी शालीनता से अपनी बात रखते है। आज तक किसी भी बाहरी तत्व ने मतदान केन्द्र पर कब्जा करने, मतपत्रों को लूटने अथवा इवीएम की बटन को दबाने की हिम्मत नहीं की है। इस वर्ष 4 मई को लोकसभा चुनाव के दौरान पुर्नमतदान के समय पहुंचे राज्य सरकार के मंत्री व जद यू प्रत्याशी दामोदर रावत के साथ हुई घटना के बाद पुलिसिया कार्रवाई से भयभीत होकर गांव के मर्द जब एक सप्ताह के लिए अन्यत्र चल गये तो गांव की सुरक्षा व पुलिस की कार्रवाई का मुकाबला महिलाओं ने बड़ी हिम्मत से किया। पुरुष विहीन गांव में बाहरी तत्वों के हमले की प्रबल संभावना को भांपते हुए महिलाएं अपने-अपने घरों के पारंपरिक हथियारों यथा तलवार, भाला, बरछी की धार तेज कर जय भवानी, जय दुर्गा के उद्घोष के साथ रतजगा तक करती थी।