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बाढ़: 34 जिले संवेदनशील घोषित, गंगा-यमुना के किनारे बसे गांवों में रेड अलर्ट


लखनऊ/आगरा. उत्तराखंड में बाढ़ से हुई तबाही को देखते हुए उत्तर प्रदेश में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. खासकर उन इलाकों में जो गंगा और यमुना नदियों के किनारे हैं. इन इलाकों में रेड एलर्ट है और संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों को 24 घंटे उपलब्ध रहने के निर्देश दिए गए हैं. बदले मौसम का सबसे ज्यादा असर फिलहाल यूपी के पश्चिमी इलाके में पड़ने की आशंका है, ये दोनों नदिया उत्तराखंड से यूपी में प्रवेश करती हैं.

फिलहाल सबसे ज्यादा मुसीबत यमुना नदी से है. हथिनीकुंड बैराज से सुबह तक 8 लाख क्यूसेक पानी रिलीज हुआ है जो दिल्ली के ओखला बैराज से होता हुआ उत्तर प्रदेश में प्रवेश करता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हथिनीकुंड से चला यमुना का पानी ओखला के बाद करीब करीब आधा हो जाता है फिर भी अभी तक सबसे ज्यादा पानी यमुना नदी में लिहाज़ा मथुरा, और आगरा जैसे जिलों में सबसे ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है.

उत्तराखंड में बारिश और बादल फटने से ज्यादा तबाही हुई है और गंगा का जल स्तर लगातार बढ रहा है. गंगा का पानी यूपी में टिहरी बैराज से आता है. यूपी और उत्तराखंड सरकार के समझौते के मुताबिक टिहरी बैराज पर 825 मीटर तक पानी रोका जाता है और फिर उससे ज्यादा पानी बढ़ने पर उसे छोड़ा जाता है. फिलहाल टिहरी बैराज में गंगा का जलस्तर 825 मीटर से कुछ कम है लेकिन जिस रफ्तार से अलकनंदा का पानी बढ रहा है उसे देखते हुए टिहरी बैराज से पानी छोड़ा जाना तय है. ऐसा होने पर बिजनौर, बुलंदशहर जैसे इलाकों में परेशानी बढ़ सकती है. उसके लिए पहले से तैयारी कर ली गई है.

प्रदेश में बाढ़ से निपटने के लिए 45 बाढ़ नियंत्रण कक्ष, 110 वायरलेस स्टेशन, 59 अस्थाई टेलीफ़ोन कक्ष बना दिए गए हैं. इसके अलावा जिला और मंडल स्तर पर नोडल अधिकारी तय कर दिए गए हैं. इन सबकी सूची तैयार कर सभी संबंधित लोगों को दे दी गई है. दूसरी ओर नेपाल के बनबसा बैराज में स्थिति अभी नहीं बिगड़ी है लेकिन नेपाल से आने वाली तीन नदियां शारदा, घाघरा और गंडक जुलाई अगस्त में सक्रिय होती हैं इसलिए वहां के लिए भी इंतज़ाम कर लेने के दावे किए जा रहे हैं.यूपी में कुल 34 जिलों को बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया गया है.

आगरा की यमुना में अब बाढ़ के आसार

दो दिन पहले तक नाला नजर आ रही आगरा की यमुना में अब बाढ़ के आसार नजर आने लगे हैं। प्रशासन ने एलर्ट जारी कर दिया है। इस बार पहाड़ों में भारी बारिश के बाद हथिनी कुंड बैराज से वर्ष 1924 में छोड़े गए पानी से ज्यादा पानी छोड़ा गया है।

वर्ष 1978 में वर्ष 1924 के मुकाबले कम पानी छोड़ा गया था, जबकि वर्ष 1978 में आगरा का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया था।

हथिनी कुंड बैराज से आठ लाख क्यूसेक से भी अधिक पानी छोड़ा गया है। नदी में यह अब तक छोड़ी गई सबसे ज्यादा जल की मात्रा है। अगले दो दिन में ही नदी लो फ्लड लेवल को पार कर जाएगी। इससे दिल्ली से लेकर आगरा तक बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

सोमवार शाम ओखला बैराज का भी पहला गेट खोल दिया गया। पानी को रेगुलेट करने के लिए कुछ अन्य गेटों को मंगलवार तक खोला जा सकता है। हथिनी कुंड से छोड़ा गया पानी बुधवार से आगरा पहुंचना शुरू हो जाएगा।

आगरा में वर्ष 1924 में सबसे भयानक बाढ़ आई थी, तब भी आठ लाख क्यूसेक से थोड़ा सा ज्यादा ही पानी छोड़ा गया था। इस बार पानी की मात्रा उससे थोड़ी और ज्यादा है।

आगरा में बाढ़ का खतरा कैलाश मंदिर, दयालबाग की पुष्पांजलि कॉलोनी, राजश्री गार्डन, वैभव कुंज, मंगलम एस्टेट, बल्केश्वर में मनोहरपुर, लोहिया नगर, सरस्वती नगर, सीताराम कॉलोनी, रजवाड़ा, राधानगर, ब्रज विहार कॉलोनी, यमुना विहार, ब्रजधाम, बेलनगंज, एत्माद-उद्-दौला क्षेत्र में कटरा वजीर खां, रामबाग क्षेत्र, मोती महल, फाउंड्री नगर के अलावा शहर से लगे गांव कैलाश, नगला नत्थू, नगला छीतर सिंह, बाईपुर, मनोहर पुर, नगला बूढ़ी, सकिंदरपुर, लालगढ़ी, पोइया गांव, नगला बघेल, नगला तल्फी, धांधूपुरा, समोगर आदि में है।