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बाल्को दुर्घटना सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरबा शहर में भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) के बिजली संयंत्र में 23 सितम्बर को हुई चिमनी दुर्घटना को राज्य के अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी बताया है।

राज्य विधानसभा में शुक्रवार को विपक्ष के नेता रवींद्र चौबे द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए श्रम मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा, ''बाल्को दुर्घटना राज्य के अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी लेकिन यह कहना ठीक नहीं है कि सरकार औद्योगिक श्रमिकों की उपेक्षा के प्रति चुप बैठी है। वास्तव में अकेले 2009 में ही कोरबा स्थित बाल्को संयंत्र के कुल 57 निरीक्षण हुए थे।''

साहू ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा जा रहा था कि सरकार श्रमिकों की एक बड़ी संख्या के जीवन को खतरे में डालकर विभिन्न श्रम व औद्योगिक नियमों का लगातार उल्लंघन कर रहे बाल्को प्रबंधन के प्रति चुप्पी साधे है।

उन्होंने विधानसभा को जानकारी दी कि 39 कामगारों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी जबकि एक की बाद में अस्पताल में मृत्यु हुई थी। दुर्घटना में सात श्रमिक घायल हुए थे। उन्होंने बताया कि दुर्घटना की जांच के लिए अक्टूबर में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया था।

चौबे ने अपने नोटिस में कहा था कि राज्य की राजधानी रायपुर से 240 किलोमीटर दूर स्थित कोरबा में 23 सितम्बर जब बाल्को विद्युत संयंत्र में एक निर्माणाधीन चिमनी ढह गई थी और इस दुर्घटना में 70-80 कामगारों की मौत हो गई थी जबकि हजारों घायल हो गए थे। उनका कहना था कि घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल और बाल्को प्रबंधन द्वारा श्रम व औद्योगिक नियमों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप यह हादसा हुआ था।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वेदांत रिसोर्सेज पीएलसी नियंत्रित बाल्को ने चीनी कंपनी शानडोंग इलेक्ट्रिक पॉवर कंस्ट्रक्शन कोरपोरेशन को कोरबा में 600 मेगावाट के दो ताप विद्युत संयंत्र बनाने का काम सौंपा था। बाल्को में भारत की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

बाद में सेप्को ने 257 मीटर लंबी चिमनी के निर्माण का काम गैनन डंकरले एंड कंपनी लिमिटेड (जीडीसीएल) को सौंप दिया था। चिमनी 23 सितम्बर को ढह गई थी। उस वक्त इसकी लंबाई 225 मीटर थी। पुलिस ने अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है।