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बिचौलिए की भेंट चढ़ी आवास योजना

लातेहार। लातेहार जिले में गरीब असहाय लोगों के लिए बनाए जा रहे इंदिरा आवास योजना व इंदिरा आवास उत्क्रमण योजना का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। गरीब असहाय आज भी पंचायत सेवक के पीछे-पीछे घूमने को विवश है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 09-10 में 3944 इंदिरा आवास का निर्माण व 524 के उत्क्रमण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से सिर्फ 744 का नवनिर्माण हुआ है व 351 का उत्क्रमण सरकारी आंकड़े के मुताबिक शेष आवासों का कार्य प्रगति पर है। उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के लिए इंदिरा आवास नवनिर्माण हेतु विशेष पैकेज के रूप में 4299 इंदिरा आवास का निर्माण कराया जाना है, जिसमें से 133 आवास पूर्ण कर लिए गए हैं। सिद्धू-कान्हू आवास योजना के अंतर्गत 285 आवासों का नवनिर्माण कराया जा रहा है। सरकारी आंकडे़ जो भी कहें, लेकिन हकीकत इससे परे है। जरूरतमंदों को न तो इंदिरा आवास मिल रहा है और न ही उसका उन्नयन कराया जा रहा है। एक ही परिवार के कई सदस्यों को इंदिरा आवास दिए जा रहे हैं। वहीं, सुखी-संपन्न व्यक्ति द्वारा दूसरे के घर का फोटो लगाकर इंदिरा आवास उन्नयन कराया जा रहा है। इसका एक मामला पिछले दिनों चंदवा प्रखंड में आया था, जहां निन्द्रा के स्वरूपण महतो ने बीडीओ के समक्ष आवेदन देकर कहा था कि शिवशंकर यादव ने अपने मां के नाम से उन्नयन का कार्य लिया है, जिसमें मेरे घर का फोटो लगा हुआ है। पंचायत सेवक की मिलीभगत से शिवशंकर को अग्रिम चेक भी दे दिए गए हैं। इस मामले के उजागर होने पर अभिलेख में फोटो बदल दिया गया व बीडीओ ने पंचायत सेवक को बचा लिया। इंदिरा आवास समेत अन्य सरकारी आवासों के पूर्ण न होने व गड़बड़ी होने का मुख्य कारण बिचौलियागिरी है। इस कार्य में बिचौलिया ही गतिरोध पैदा करते हैं। घटिया निर्माण कराना उनकी नियति है। नए इंदिरा आवास के लिए पंचायत सेवकों द्वारा प्रति आवास पांच हजार रुपए व उन्नयन के लिए तीन हजार रुपए की उगाही की जा रही है, जिसकी जानकारी जिले के आला अधिकारियों को भी है। नतीजतन, इसका खामियाजा लाभुक ही भुगत रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2008-09 का आंकड़ा जिला प्रशासन देने को तैयार नहीं है, लेकिन 06-07 व 07-08 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां 1534 इंदिरा आवास का निर्माण कराया जाना था, जिसमें से 976 पिछले वर्ष तक अपूर्ण थे। वहीं, इंदिरा आवास उत्क्रमण योजना में 960 योजना ली गई थी, जिसमें से 509 योजनाएं धरातल पर उतरी ही नहीं। इसी वित्तीय वर्ष में दीनदयाल आवास के 1114 योजनाओं में से 1087 योजनाएं पूर्ण कर ली गई थी। यहां उल्लेखनीय हो कि विलुप्तावस्था के कगार पर खड़ी झारखंड की आदिम जनजाति समुदाय के 2412 परिवारों के 11860 लोग लातेहार जिले में रहते है। जिले के नौ प्रखंडों में सर्वाधिक आबादी परहिया जनजाति की 6169 है, जबकि सबसे कम असुर जनजाति की आबादी सिर्फ 74 है। बिरहोर, असुर, कोरवा व बिरजिया जनजाति के लोगों को प्राथमिकता के तौर पर बिरसा मुंडा आवास तो बनवाया जा रहा है, लेकिन आवंटित बिरसा आवासों का 50 प्रतिशत आवास अब भी अधूरा पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2001-02 में 275, 02-03 में 250 व 03-04 में 190 परहिया आवास बनाए गए थे, जिसमें घटिया निर्माण के कारण लगभग 70 प्रतिशत आवास पुन: मरम्मती का इंतजार कर रहे है। वर्ष 03-04 की अधिकांश आवास योजनाएं लंबित पड़ी हुई है, पर सरकारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 04-05 में आवंटित 109 आवास में 28 लंबित है। इसी प्रकार वर्ष 05-06 में 100 आवासों में से 40 लंबित पड़े हुए है। वर्ष 06-07 में 300 बिरसा आवास का चयन किया गया था, जिसमें सर्वाधिक बरवाडीह व महुआडांड़ प्रखंड में बनने थे, लेकिन ये योजनाएं अब तक अधूरी हैं। बरवाडीह के प्रखंड कल्याण पदाधिकारी लक्ष्मण राम पर प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन योजनाएं अब तक अधूरी ही रही। इस संबंध में उप विकास आयुक्त सुधांशु भूषण राम ने कहा कि इंदिरा आवास समेत विभिन्न आवास योजनाओं में बिचौलियागिरी व भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जरूरतमंदों को उनका हक मिलेगा, इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। जिला मेसो कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 1309 लोगों को बिरसा आवास मिल चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत का अंदाजा उन गांवों के भ्रमण के पश्चात ही सहज ही लगाया जा सकता है।