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बिनायक सेन पर फ़ैसला वाहियात: पीयूसीएल

बिनायक सेन को देशद्रोह के आरोप में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है.

पीयूसीएल के प्रमुख और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यन्यायाधीश राजेंद्र सच्चर ने इस फ़ैसले को वाहियात बताते हुए कहा है कि जिस क़ानून के तहत उन्हें सज़ा सुनाई गई है वही ग़ैरक़ानूनी है.

जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस फ़ैसले को अन्यायपूर्ण बताया है.

कांग्रेस ने इस फ़ैसले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा है कि न्यायालय का फ़ैसला सभी को मान्य होना चाहिए.
हाईकोर्ट जाएँगे: पीयूसीएल

    यह वाहियात फ़ैसला है. इसमें बिनायक सेन जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीयूसीएल के उपाध्यक्ष के बारे में कहा गया है कि उन्होंने देश के ख़िलाफ़ काम किया, यह बिल्कुल बेबुनियाद है

राजेंद्र सच्चर

बीबीसी से हुई बातचीत में पीयूसीएल के प्रमुख राजेंद्र सच्चर ने कहा, "यह वाहियात फ़ैसला है. इसमें बिनायक सेन जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीयूसीएल के उपाध्यक्ष के बारे में कहा गया है कि उन्होंने देश के ख़िलाफ़ काम किया, यह बिल्कुल बेबुनियाद है."

उन्होंने कहा, "मुझे इस बात पर शर्म आती है कि उन्हें कोई अदालत इस तरह से दोषी ठहरा सकती है."

आगे की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "हमने पहले भी देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम इस मामले को उठाते रहे हैं. उन पर कार्रवाई के ख़िलाफ़ नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने आवाज़ उठाई थी लेकिन बहुत शर्म की बात है कि इसके बाद भी देश और प्रदेश की सरकारें चुप्पी साधें रहीं."

उन्होंने कहा, "हम इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में जाएँगे."

उनका कहना था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो कोई भी कोई भी मानवाधिकार का कार्यकर्ता काम ही नहीं कर पाएगा.

छत्तीसगढ़ के जनसुरक्षा अधिनियम का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, "वो क़ानून ग़ैरक़ानूनी है. हमने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है. अफ़सोस की बात है कि हाईकोर्ट ने जल्दी सुनवाई नहीं की और अब हम हाईकोर्ट से अपील करेंगे कि वह इस पर जल्दी-जल्दी सुनवाई करके फ़ैसला दे."

नक्सलियों के लिए काम करने के आरोप के बारे में राजेंद्र सच्चर ने कहा कि पीयूसीएल जिसके बिनायक सेन उपाध्यक्ष हैं वो हिंसा के ख़िलाफ़ है और इसलिए नक्सलियों की हिंसा के ख़िलाफ़ हैं.

उनका कहना था कि बिनायक सेन नक्सलियों की जायज़ मांगों को उठाते रहे इसलिए उनके ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है.
'अन्यायपूर्ण'

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस फ़ैसले को अन्यायपूर्ण बताया है.

    छत्तीसगढ़ सरकार बिनायक सेन और दूसरे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ इसलिए कार्रवाई करती रही है क्योंकि वे सलवा जुड़ुम और दूसरे मानवाधिकार हनन के मामलों का असली चेहरा उजागर कर रहे थे

भाकपा (माले)

पार्टी पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा कारत ने कहा है कि बिनायक सेन के ख़िलाफ़ जो फ़ैसला ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुनाया है वह अन्यायपूर्ण है.

एक टेलीविज़न चैनल से उन्होंने कहा,"बड़े बड़े हत्यारे और गुंडे बच जाते हैं और बिनायक सेन जैसे व्यक्तियों को देशद्रोही कहा जा रहा है."

उन्होंने कहा, "ये तो न्यायप्रणाली का मज़ाक उ़डाया जा रहा है."

जबकि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी भाकपा (माले) ने एक बयान जारी करके बिनायक सेन पर अदालत के फ़ैसले को 'लोकतंत्र पर धब्बा' बताया है.

इस बयान में कहा गया है, "छत्तीसगढ़ सरकार बिनायक सेन और दूसरे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ इसलिए कार्रवाई करती रही है क्योंकि वे सलवा जुड़ुम और दूसरे मानवाधिकार हनन के मामलों का असली चेहरा उजागर कर रहे थे."

जबकि सलमा जुड़ुम आंदोलन में भाजपा सरकार के साथ रहे कांग्रेस ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने कहा, "न्यायालय के फ़ैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए. उसे सभी को मानना पड़ता है."

उन्होंने कहा कि इस तरह के फ़ैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती.
 
सलमान रावी, बीबीसी संवाददाता