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बिहार : एक सहायिका के जिम्मे दो केंद्र, कैसे दूर होगा कुपोषण

परेशानी : प्रदेश में तीन हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं हैं सहायिकाएं, काम हो रहा है प्रभावित 

पटना : कुपोषण से जंग में केंद्र से राज्य सरकार तक ने पूरी ताकत झोंक दी है. बिहार और उत्तर प्रदेश में कुपोषण के साथ ही बौनेपन ने भी पैर पसारे हैं तो सरकारें और सक्रिय हुई हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषण को खत्म करने का प्रयास हो रहा है. वहां बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है. यहीं से टीकाकरण के लिए भी बच्चों को ले जाया जाता है. 

 


यहां गर्भवती महिलाओं की भी जांच होती है. लेकिन चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश के तीन हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहायिकाएं ही नहीं हैं. इस कारण सहायिकाओं को अतिरिक्त काम दे दिया गया है. एक साथ दो-दो आंगनबाड़ी का जिम्मा सहायिकाएं उठा रही हैं. 
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितना बच्चों का ख्याल रख पाती होंगी.

सरकार ने केंद्र किये थे स्वीकृत

वर्ष 2014-15 में 23041 नये आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी थी. लेकिन इन केंद्रों के लिए सहायिकाओं का चयन ही नहीं हुआ. चयन होता तो भारत सरकार केंद्र खोलने के लिए पैसे देती. मालूम हो कि चयन को लेकर वार्ड स्तर से काम होता है. संबंधित जिले के जिलाधिकारी की देखरेख में चयन की प्रक्रिया पूरी की जाती है. वार्ड की विशेष बैठक बुलाकर चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाता है. परंतु वार्ड स्तर से ही इसमें हीला-हवाली हो रही है.

कुपोषण से जंग में अड़ंगा 
3,000 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहायिकाएं ही नहीं
23,041
से अधिक केंद्र हैं स्वीकृत पर नहीं हो पायी हैं नियुक्तियां
कई जिलों में काम शुरू 
सहायिकाओं के चयन को लेकर कई 

जिलों में काम शुरू हुआ है. विज्ञापन वहां के जिलाधिकारी के स्तर से प्रकाशित भी कराया गया है. शेष जिलों में भी काम पूरा करने के निर्देश दिये गये हैं. हमलोगों की कोशिश है कि दिसंबर तक चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाये.
-आरएसपी दफ्तुआर, 
निदेशक, आईसीडीएस