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बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी : डॉ शैबाल

पटना: बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है. अंगरेजी हुकूमत व आजादी के बाद भी बिहार को उचित हक नहीं मिला. देश की आर्थिक नीति ऐसी बनी कि महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु जैसे विकसित राज्य और विकसित होते गये और बिहार लगातार पिछड़ता गया. अभी केंद्र सरकार से हक मांगने का अनुकूल समय है. ये बातें आद्री के सदस्य सचिव व पिछड़े राज्यों के मानक तय करने के लिए बनी डॉ रघुराम जी राजन कमेटी के सदस्य डॉ शैबाल गुप्ता ने सोमवार को बीआइए द्वारा आयोजित बिहार को विशेष राज्य का दर्जा विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कहीं.

उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य मिलने पर बाहर से निजी पूंजी निवेश बढ़ जायेगा. केंद्रीय सहायता राशि भी बढ़ जायेगी. केंद्र प्रायोजित योजना में अभी राज्य को 30 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है, जबकि दर्जा मिलने पर 10 प्रतिशत ही खर्च करना होगा. उद्योग लगाने के लिए केंद्रीय टैक्स में छूट मिलेगी. आधारभूत संरचना विकसित करने में मदद मिलेगी. सहायता राशि बढ़ जायेगी. पिछले तीन वित्त आयोग से सभी पार्टियों ने ज्ञापन देकर बिहार का हक मांगा. गत दिनों वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बजट भाषण व बाद में बिहार में दिये गये बयान से बिहार की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. विकास का मानक तय करने के लिए राजन कमेटी की कई बैठकें हो चुकी हैं.

नहीं लगा कोई उद्योग
कहा कि विकास का आधार प्रति व्यक्ति आय, पूंजी निवेश, गरीबी, औद्योगिक पिछड़ापन आदि है. बिहार इन मानकों को पूरा करता है. कमेटी की रिपोर्ट फाइनल होनी बाकी है. द्वितीय पंचवर्षीय योजना में पूरे हिंदुस्तान में सभी राज्यों के समग्र विकास की बात कही गयी थी, लेकिन विकसित राज्यों को और विकसित बनाने की नीति से बिहार को पांच लाख करोड़ का घाटा पहले ही हो चुका है. पहले यहां औद्योगिक स्थिति अच्छी थी, बाद में खराब हो गयी. आजादी के बाद कोई उद्योग नहीं लगा. भारत के बाजार में बिहार की मात्र पांच फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि महाराष्ट्र की नौ फीसदी आबादी पर 25 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है. समान विकास के लिए पिछड़े राज्यों की मदद करनी होगी.

विषमताओं को करें दूर
आद्री के निदेशक डॉ पीपी घोष ने कहा कि विकास के लिए क्षेत्रीय विषमता दूर करनी होगी. शहरी व ग्रामीण विषमता को दूर करना जरूरी है. कुछ राज्य विकास में काफी आगे हैं, तो कुछ काफी पीछे. बीआइए के अध्यक्ष केपीएस केसरी ने कहा कि बराबरी के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी है. मौके पर सत्यजीत सिंह, अरुण अग्रवाल, राम लाल खेतान, संजय भरतिया, कैलाश झुनझुनवाला, सुनील सिंह, नरसिंह जायसवाल आदि भी थे.