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बिहार में खस्ताहाल हैं छोटे डैम, कभी इनसे हजारों हेक्टेयर में किसान करते थे खेती

पटना : प्रदेश के सबसे अधिक डैम बांका जिले में बनाये गये हैं. इनमें चांदन, ओढ़नी, बिलासी, बदुआ, देवासी, बेलहरना आदि शामिल हैं. यहां से नहरों का जाल निकला हुआ है लेकिन अधिकतर की हालत खराब है.

इसके साथ ही कुछ बड़े बांध भी हैं, जिसमें-हिरंबी बांध, सरकट्टा डैम, कझिया डांड आदि शामिल हैं. इन सभी से करीब 66 हजार हेक्टेयर इलाके में सिंचाई के लिए पानी देने की योजना थी लेकिन किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, सरकार ने इनकी मरम्मत के लिए हाल ही में करीब 82 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है.

क्या है समस्या

चांदन डैम में बड़े पैमाने पर गाद जमा हो गया है. इसमें पानी संग्रहण क्षमता बहुत कम हो गयी है. चांदन डैम से निकली कई बड़ी नहरें दर्जनों जगह टूटकर ध्वस्त हो चुकी हैं. बदुआ डैम की भी कमोबेश यही हालत है. ओढ़नी डैम की बनावट ही कुछ ऐसी है कि सिवा आउटलेट के इसमें और कोई दरवाजा नहीं है. सरकट्टा डैम में भी रिसाव हो रहा है. देवासी व बेलहरना में भी जल संग्रह की क्षमता में कमी आयी है. बड़ी बांध, हिरंबी बांध, कझिया डांड आदि क्षतिग्रस्त हैं और पटवन में सक्षम नहीं हैं.

क्या कहते हैं मंत्री

जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि सभी डैम की मरम्मत की व्यवस्था की गयी है. इसके लिए पैसे भी स्वीकृत हुएं हैं. बदुआ डैम की सुंदरता व प्राकृतिक छटा को सभी विपरीत स्थिति से उबार कर सुरक्षित स्थल का रूप दिया जायेगा. इसका मकसद इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना है. यहां सुरक्षा के लिए अस्थायी सीआरपीएफ कैंप भी स्थापित किया जायेगा.

जल संसाधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बांका जिले की अर्थव्यवस्था लगभग खेती पर ही आश्रित है. जिले के 11 में से सात प्रखंडों में कृषि प्रमुख कारोबार है. कटोरिया, चांदन, बेलहर और बौंसी को छोड़ बाकी प्रखंडों में जीविका का मुख्य आधार खेती ही है.

बांका जिले में कुल 7,47,801 हेक्टेयर जमीन है. इनमें से 66,072 हेक्टेयर जमीन में धान, गेहूं, मकई, सब्जियों सहित गन्ने की खेती होती है.
होगा खर्च

राज्य सरकार ने हाल ही में इनकी मरम्मत कराने की व्यवस्था की है. इसके तहत बदुआ जलाशय पुनर्स्थापन कार्य के लिए 23 करोड़, शंभुगंज शाखा नहर, रजौन उप वितरणी के जीर्णोद्धार पर दो करोड़, चांदन जलाशय योजना के पुनर्स्थापन पर 37 करोड़, सुखनिया वीयर और संबद्ध संरचनाओं काे अपग्रेड करने के लिए 14 करोड़, डकाइ वीयर और अन्य संरचना वितरण प्रणाली के पुनस्थार्पन पर पांच करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है.