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बिहार में बाढ़ ने लिया विकराल रूप, खगडि़या में जीएन तटबंध टूटा

खगडि़या : परबत्ता प्रखंड के लगार पंचायत, उदयपुर ढाला स्थित जीएन तटबंध टूट गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते सोमवार की मध्य रात्रि को पानी के बढ़ते दबाव के कारण जीएन तटबंध टूट गया. उदयपुर एनएच से चकप्रयाग तक रिंग बांध पिछले सप्ताह टूट जाने के कारण जीएन तटबंध पर दबाव बढ़ गया था.

तटबंध पर बढ़ते दबाव को देख स्थानीय ग्रामीणों एवं प्रशासन की मदद से तटबंध को बचाने की पूरी कोशिश की गयी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद तटबंध को बचाया नहीं जा सका. तटबंध टूटने से हरिनमार, चकप्रयाग में पानी तेजी से फैल गया है. तटबंध टूटने के कारण गोगरी एवं परबत्ता की दो लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित हो सकती है.

ग्रामीणों कर रहे हैं पानी को फैलने से रोकने की कोशिश

देर रात टूटे तटबंध को बचाने में स्थानीय प्रशासन व ग्रामीण जुटे हुए हैं. स्थानीय ग्रामीण तटबंध के टूटने के बाद पानी को फैलने से रोकने के लिए पेड़ की टहनियां, बोरी में मिट्टी डाल कर पानी को फैलने से रोक रहे हैं. वहीं प्रशासन की ओर से जेसीबी मशीन के द्वारा मिट्टी कटाई कर उसे बोरी में बंद कर प्रभावित स्थानों पर डाला जा रहा है.

चकप्रयाग के रिंग बांध के ध्वस्त होने की आशंका को लेकर हरिनमार, उदयपुर के ग्रामीणों ने अपनी शरण स्थली जीएन तटबंध पर बना ली थी. लेकिन जीएन तटबंध के टूट जाने के बाद से उनके रहने का आशियाना ही लुट गया है.

ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ नियंत्रण विभाग की लापरवाही के कारण तटबंध टूटा है. गंगा नदी में लगातार हो रही वृद्धि के बावजूद बाढ़ नियंत्रण विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. स्थानीय ग्रामीण रेखा देवी एवं बोढ़न साह ने बताया कि रिंग बांध टूटने की सूचना अंचलाधिकारी समेत बाढ़ नियंत्रण विभाग को भी दी गयी लेकिन विभाग के अधिकारियों ने समय पर कोई कार्रवाई नहीं की.

जब तक विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर आते तब तक देर हो चुकी थी. बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बने रहे. जबकि स्थानीय ग्रामीण बोरी में मिट्टी भर कर पानी को फैलने से रोकने में जुटे हैं. मालूम हो कि यदि बाढ़ का पानी फैलता है, तो परबत्ता एवं गोगरी के चार दर्जन से अधिक गांव इसकी चपेट में आ जायेंगे.

तटबंध टूटने से सैकडों घरों में घुसा बाढ़ का पानी

सोमवार की मध्य रात्रि को रिंग बांध टूटने से लगार पंचायत के हरिनमार, चकप्रयाग, जवाहर टोला, उदयपुर एवं चरघटिया टोला के सैकडों घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया. बाढ़ की सूचना मिलने पर स्थानीय ग्रामीणों के बीच अफरातफरी मच गयी. ग्रामीण अपने मवेशियों को साथ लेकर ऊंचे स्थानों पर देर रात से ही जाने लगे. स्थानीय ग्रामीण रामगीर साह, सच्चिदानंद दास, प्रमोद दास आदि ने बताया कि हमने अपनी और मवेशियों की जान तो बचा ली, लेकिन घर मे रखे अनाज व आवश्यक सामान को नहीं बचा सके. उन्होंने तटबंध टूटने का दोषी बाढ़ नियंत्रण विभाग को बताया.


उत्तर प्रदेश के घाघरा डैम से सरयुग नदी में पानी छोड़े जाने के कारण भागलपुर की गंगा पहले से भी अधिक विकराल हो गयी है. इसके अत्यधिक वेग के कारण इस्माइलपुर का सगुनिया तटबंध व घोघा का फुलकिया बांध टूट गया है. इससे 40 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है. पिछले 24 घंटे में गंगा का जलस्तर चार सेमी बढ़ गया है. इसकी वजह से गंगा खतरे के निशान से 77 सेंटीमीटर ऊपर बहने लगी है.

जल संसाधन विभाग की मानें तो जलस्तर में और पांच सेंटीमीटर की बढ़ोतरी का अनुमान है. सुबह छह बजे गंगा का जल स्तर 34.43 मीटर रिकॉर्ड किया गया था. उधर, बरसाती पानी के कारण चानन नदी भी उफनाने लगी है. इसकी वजह से सोमवार 4.30 बजे के करीब दराधी पुल ध्वस्त हो गया. पुल के बीच का तीन पाया बह जाने से नाथनगर, शाहकुंड व सुल्तानगंज प्रखंड के एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हो गये हैं.



डायरिया का प्रकोप

टील्हा कोठी में 102 मरीजों में से 70 लोग डायरिया की चपेट में आ गये हैं. डॉ नृपजीत सिंह ने भी इसकी पुष्टी की है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा 20 मरीज सर्दी-जुकाम और शेष पकुआ रोग के शिकार थे. सोमवार दिन 12 बजे तक 20 मरीजों का इलाज किया गया. जिसमें से 15 मरीज डायरिया के थे. पशुधन पर्यवेक्षक रमेश सिंह ने बताया कि सोमवार दिन के 12 बजे तक पांच बीमार पशुओं को देखा गया. इसमें अधिकतर डायरिया से पीड़ित थे. समय रहते अगर प्रशासन नहीं चेता, तो बाढ़ की वजह से फैल रही बीमारी महामारी का रूप धारण कर सकती है. कटाव तेज होने के कारण जमालपुर रेलखंड के कल्याणपुर लूप लाइन को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है.मुख्य लाइन पर भी खतरा मंडराने लगा है. लैलख सबौर रेलखंड में डाली गयी मिट्टी भी गंगा की तेज धार में धीरे-धीरे कटने लगी है. जल स्तर बढ़ने से गंगा का पानी सोमवार को बरारी वाटर वर्क्‍स स्थित ड्राय इंटक वेल के ऊपरी मशीन के करीब तक पहुंच गया. अब अगर जलस्तर में मामूली वृद्धि भी हुई तो प्लांट को बंद करना पड़ सकता है. जलकल अधीक्षक के निर्देश पर वाटर वर्क्‍स के कर्मचारी 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं.

सबौर हाइ स्कूल के सामने बाढ़ पीड़ितों ने एक ट्रक व दो ट्रैक्टर चारा लूट लिया. दरअसल, उन्हें लग रहा था कि अगर देर हुई, तो उनलोगों को पशु चारा नहीं मिल पायेगा और उनके पशु भूखे मर जायेंगे. दूसरी ओर, डीएम प्रेम सिंह मीणा ने सोमवार को सबौर प्रखंड के खानकित्ता से इंगलिश तक बाढ़ पीड़ित गांवों का निरीक्षण किया. हालांकि इस दौरान वे ना तो बाढ़ पीड़ितों से मिले, न ही उनके बीच कोई राहत सामग्री वितरित की. नगर निगम टिल्हा कोठी, महाशय ड्योढ़ी, चंपानाला पुल के बगल में व बीएन कॉलेज के पास  रह रहे बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए  28 अस्थायी शौचालय का निर्माण करेगा.



नाथनगर क्षेत्र के अधिकांश गांव रत्तीपुर बेरिया, दिलदारपुर, अजमेरी, मोहनपुर, विशनपुर, बेरिया, रसदपुर, शंकरपुर दियारा, श्रीरामपुर, गोलाहूआदि गांव का अधिकांश हिस्सा जलमगA हो गया है. यहां पर हजारों लोग जानवरों के बीच रह रहे हैं. इन गांवों में कई कच्चे मकान गिर गये हैं. दरुगध व बदबू के बीच रहना बाढ़ पीड़ितों की मजबूरी है. गंगा का कहर सबौर प्रखंड के दर्जनों गांवों में जारी है. रजंदीपुर, शंकरपुर, खानकित्ता आदि दर्जनों गांव के बाढ़ पीड़ित परिवार सबौर उच्च विद्यालय में शरण लिये हैं.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र नाथनगर, कहलगांव, सबौर, इस्माइलपुर, बिहपुर आदि प्रखंडों के दर्जनों स्कूलों में पानी घुसने के कारण पठन -पाठन का कार्य बंद है. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इसको देखते हुए बाढ़ प्रभावित स्कूलों के बच्चों के लिए छुट्टी में विशेष क्लास आयोजित कर उनकी पढ़ाई पूरी करायी जायेगी. जिला शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. फ्लड स्पेशल डीएमयू ट्रेन सोमवार को साहेबगंज के लिए जमालपुर स्टेशन से 7:50 बजे खुली. हर हॉल्ट व स्टेशन पर रुकती हुई यह ट्रेन सुबह 9:45 बजे भागलपुर स्टेशन पहुंची. घोघा थाना क्षेत्र के आमापुर निवासी रंजीत मंडल (30 वर्ष) की मौत सोमवार की सुबह बाढ़ के पानी में डूबने से हो गयी. वह शौच करने गया था. जिले के नाथनगर, सबौर व सुल्तानगंज इलाकों में आयी बाढ़से धान की फसल डूब रही है. बाढ़ की स्थिति ऐसी है कि इस पानी में फसल को बचा पाना मुश्किल है. कृषि विभाग तीनों प्रखंड में फसल डूबने का आकलन कर रही है.

घोघा स्थित इदमतापुर फुलकिया के समीप बांध सोमवार दोपहर टूट जाने से पूरा क्षेत्र जलमगA हो गया. पन्नुचक, इदमातपुर फुलकिया, एनएच, फुलकिया, संतनगर फुलकिया, बिरला, घोघा बाजार प्रभावित हो गया. जल स्तर बढ़ने के कारण कहलगांव के सिंचाई विभाग परिसर में रहने वाले कर्मियों के आवासों में भी पानी प्रवेश कर गया है. सभी घरों में दो फीट से ज्यादा पानी घुस गया है. संत जोसेफ स्कूल पकड़तल्ला के प्रांगण में पानी जमा हो गया है. विद्यालय प्रबंधन ने सोमवार को बच्चों को छोड़ने के बाद मंगलवार को विद्यालय बंद  कर दिया है. जल स्तर में वृद्धि से अमडंडा पंचायत के श्रीमतपुर, मदारगंज पंचायत के अदलपुर, ठठेरा, काझा संथाली टोला, फाजिलपुर, सकरामा पंचायत के ननोखर गांव में पानी घुस गया है.

जगदीशपुर में चांदन व उसकी सहायक नदियों में डैम के पानी छोड़े जाने से सोमवार की शाम को अचानक नदियां उफना गयी है. प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ की आशंका से लोग भयभीत है. नदी पर कर रहे थाना क्षेत्र के चकफरीद गांव के एक मजदूर लखन मंडल के नदी में डूब जाने की सूचना मिली है. इस्माइलपुर प्रखंड के परवत्ता गांव को सुरक्षा प्रदान करने वाला गंगा नदी के तट पर बना सगुनिया तटबंध रविवार की रात को तीन स्थानों पर ध्वस्त हो गया है. तटबंध के ध्वस्त होने से देखते ही देखते परवत्ता पंचायत और साहू परवत्ता गांव की करीब 25 हजार की आबादी बाढ़ प्रभावित हो गयी है. सुल्तानगंज मिरहट्टी पंचायत के सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों ने राहत सामग्री की मांग को लेकर सोमवार को जबरन सीओ कार्यालय में घुस गये और हंगामा करने लगे. घंटों अबजूगंज पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि शंकर साह व मिरहट्टी पंचायत की मुखिया द्रोपदी देवी को अपने कब्जे में रखा. सबौर मनसरपुर  में सैर सपाटा के ख्याल से बाढ़ के पानी में स्नान करने गये दो 15 वर्षीय किशोर रूपेश राम  और चिंटू यादव की मौत हो गयी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कैमरे से वीडियोग्राफी कर रहे थे. इसी बीच गंगा के तेज बहाव  में बह गये. नरकटिया काली मंदिर के पास तेज रिसाव शुरू हो गया है. कहलगांव के आमपुर गांव में रंजीत कुमार मंडल की डूब कर मौत हो गयी.

कोसी व पूर्व बिहार में नौ लोग डूबे
कोसी व पूर्व बिहार में सोमवार को बाढ़ के पानी में डूबने से नौ लोगों की मौत हो गयी. पूर्णिया में मरने वालों में भवानीपुर थाना क्षेत्र के कबीर टोला के सौरभ कुमार, शुभम कुमार, साक्षी, रहुआ के राजेश कुमार यादव और बालू टोल के सूरेन सरवरिया हैं. रहुआ के राजेश की मौत नहर में स्नान करने के दौरान हो गयी. खगड़िया के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कोठिया गांव के समीप बूढ़ी गंडक में डूबने से कोठिया निवासी विकास कुमार की मौत हो गयी. गोगरी प्रखंड के भरतखंड मुसलिम टोला निवासी जाबीर आलम की भी गंगा में डूबने से मौत हो गयी. मुंगेर के इटहरी पंचायत के चमनगढ़ मार्ग में डनमनी पाटम निवासी 12 वर्षीय धर्मेद्र कुमार तेज धार में बह गये. वह साइकिल से एनएच 80 पर आ रहा था. सहरसा के सौर बाजार थाना क्षेत्र के मधुरा गांव में सूअर चराने के दौरान पानी भरे गड्ढे में डूबने से 36 वर्षीय महादलित गर्भवती महिला की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार सोमवार को संध्या चार बजे दिनेश मलिक की पत्नी शीतला देवी एक बच्चे के साथ सूअर चरा रही थी. इसी दौरान गड्ढे के किनारे पैर फिसलने से वह पानी भरे गड्ढे में डूब गयी, जिससे उसकी मौत हो गयी.

राहत के नाम पर हो रही खानापूर्ति, लोग बेहाल

।।दीपक कुमार मिश्र।।
भागलपुर:गंगा के जलस्तर की तरह ही बाढ़ पीड़ितों की परेशानी बढ़ रही है. लोग कहने लगे हैं कि यह बाढ़ नहीं ‘जलप्रलय’ है. गांव के गांव डूब गये हैं. प्रभावित क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर राहत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक सभी राहत को लेकर उदासीन हैं. अधिकारी सिर्फ कुछ जगहों का निरीक्षण कर भरपाई कर रहे हैं, तो जनप्रतिनिधि को कोई मतलब नहीं. कभी-कभी बयानबाजी या निरीक्षण के नाम पर जनप्रतिनिधि जरूर दिख रहे. अभी तक जिले में सिर्फ तीन बाढ़ पीड़ित कैंप बनाये गये हैं. शहरी क्षेत्र में सिर्फ एक सबौर में बनाया गया है, जबकि अन्य कहलगांव व रंगड़ा चौक पर है. शहरी क्षेत्र में ही नाथनगर व टिल्हा कोठी के इलाके में भारी संख्या में बाढ़ पीड़ित शरण लिये हुए हैं, पर उनके लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है.

सड़क व खुले में रह रहे पीड़ितों के बीच चावल व गेहूं बांट राहत का काम पूरा किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि पानी उतरने के बाद तबाही का असली मंजर दिखेगा. बाढ़ से करोड़ों का नुकसान हो चुका है. परेशान लोग तो किसी तरह जान बचा रहे हैं, पर पशुपालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. चारे का भीषण संकट है. सोमवार को सबौर में चारे को लेकर हंगामा हो गया. चारे के लिए त्रहिमाम कर रहे पशुपालकों ने चारा लूट लिया. मांग के अनुसार चारा भी नहीं पहुंचा था. स्थिति यह है कि राहत के नाम पर एक क्विंटल गेहूं व चावल तो मिला है, लेकिन पकेगा कैसे, यह यक्ष प्रश्न है. सड़क किनारे खुले में रह रहे लोग गेहूं का आटा कैसे बनायेंगे या फिर बिना जलावन के चावल कैसे पकायेंगे इसकी चिंता किसी को नहीं है. कुछ लोग तो किसी तरह खाना बना ले रहे हैं, पर अधिकतर के पास कोई व्यवस्था नहीं. सबौर के राहत कैंप में शरण लिये बाढ़ पीड़ितों को दिन का भोजन (खिचड़ी) शाम तक मिलता है, तो रात का देर रात. लेकिन जो लोग सड़क या इधर-उधर शरण लिये हैं, वे भूख से बिलबिला रहे हैं. उन्हें तैयार भोजन नहीं मिल रहा है. इतनी तबाही के बाद भी अबतक एयर ड्रॉपिंग शुरू नहीं हो पाया है.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के भीतरी इलाके से सूचना भी नहीं आ पा रही है. बिजली संकट के कारण मोबाइल भी बंद हो गया है. जानकारों का कहना है कि सड़क किनारे जो गांव हैं, वहां तक तो लोगों की नजर जा रही है, लेकिन जो दियारा क्षेत्र में बसे हैं, उनकी सुध लेनेवाला कोई नहीं. खास बात यह कि राहत के लिए प्रशासनिक तंत्र तो संवेदनशील नहीं ही है, पर समाज सेवा का दंभ भरनेवाले स्वयंसेवी संगठन भी शांत हैं. बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि रिलीफ की ऐसी खराब स्थिति कभी नहीं देखी थी. अधिकारी यह दलील देते हैं कि पुनर्विस्थापित बाढ़ पीड़ितों को ही पका भोजन देने की व्यवस्था है, पर इस दलील का असर उन पर कैसे हो जो जिंदगी की जद्दोजहद कर रहे हैं.