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बिहार में सूखे की आशंका, बारिश के लिए अनोखी रस्में

पटना। बिहार के 18 जिलों के किसानों को एक बार फिर सूखे की चिंता सताने लगी है। बारिश की कमी के कारण किसान जहां उमड़ते-घुमड़ते बादलों की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं तो वहीं महिलाएं अनोखी रस्में निभाकर इंद्र भगवान को खुश करने के लिए रात में हल चला रही हैं। इस बीच सरकार भी सूखे से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों में जुट गई है।

इस वर्ष मानसून आने के बाद हुई लगातार बारिश से किसानों की खुशी का ठिकाना न था। इस बारिश से किसानों को यह आस बंधी थी कि इस वर्ष मानसून धोखा नहीं देगा लेकिन एक महीने के बाद ही पुन: बारिश की कमी ने यहां के किसानों को अपनी नियति को कोसने के लिए बाध्य कर दिया।

कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक मात्र 31 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है, जबकि पिछले वर्ष इस समय तक 37 प्रतिशत से ज्यादा रोपनी हो गई थी।

राज्य में अब तक के आंकड़ों को देखा जाए तो मुंगेर में सामान्य से 82 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जिस कारण अब तक वहां 6.38 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है।

कैमूर में सामान्य से 40 प्रतिशत कम, भोजपुर में 43 तो जमुई में सामान्य से 31 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। राज्य के औरंगाबद, नवादा, अरवल, गया, भोजपुर में तो अभी तक धान की रोपनी प्रारम्भ होने तक की सूचना नहीं है।

गौरतलब है कि राज्य में पिछले वर्ष 31 जुलाई तक 508.5 मिमी के विरुद्ध 392.8 मिमी बारिश हुई थी जबकि इस दौरान 37.67 प्रतिशत धान की रोपनी हो गई थी।

इस वर्ष 26 जुलाई तक 452.4 मिमी के विरुद्ध 439.4 मिमी बारिश हुई है। आंकड़ों के मुताबिक अब तक तीन लाख, 55 हजार हेक्टेयर में से केवल एक लाख, 98 हजार, 986 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है, जो निर्धारित लक्ष्य से करीब 31 प्रतिशत कम है। कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।

इधर, मानसून की बेरुखी से किसानों के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। कम बारिश से निपटने को किसान और उनके परिजन अनोखे तरीके अपना रहे हैं। बक्सर जिले के चक्की प्रखंड की महिलाएं इंद्र भगवान को खुश करने के लिए 'हरपरौरी' की रस्म निभा रही हैं।

महिला सुंदरी देवी बताती हैं कि इस रस्म के तहत एक दिन पूर्व गांव में डुगडुगी बजा दी जाती है कि रात के वक्त कोई पुरुष सदस्य भूले से भी खेतों की ओर नहीं जाएगा। इसके बाद महिलाएं रात को खेतों में हल चलाती हैं और इंद्र देव को खुश करने के लिए खेतों में ही नृत्य करती हैं। यह सिलसिला कई दिनों तक चलेगा जब तक कि बादल न बरस ना जाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र भगवान खुश होंगे और बारिश करेंगे। कई इलाकों में हवन और पूजा का भी कार्यक्रम हो रहा है।

भोजपुर के समृद्ध किसान रामसुंदर सिंह कहते हैं कि 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले इन क्षेत्रों में किसान के खेत में धान का बीज तक नहीं पड़ा है। वह कहते हैं लगातार तीसरे वर्ष ऐसी ही स्थिति है। वह स्पष्ट कहते हैं कि अगर स्थिति यही रही तो किसान पलायन करने लगेंगे।

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ब्यास जी भी मानते हैं कि अब तक जो बारिश हुई है वह संतोषजनक नहीं है। सूखे की आशंका को देखते हुए विभाग की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा सभी जिलाधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है।

राज्य के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने आईएएनएस से कहा कि सरकार सूखे से निपटने के लिए तैयार है। वह कहते हैं कि एक-दो दिन में कई क्षेत्रों में बारिश हुई है, आगे और बारिश होने के आसार हैं। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो 80-85 प्रतिशत धान की रोपनी हो जाएगी। वह कहते हैं कि किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए सरकार व्यवस्था करेगी। किसानों को अनुदान पर डीजल उपलब्ध कराया जाएगा।

वह कहते हैं कि सरकार सूखे की आशंका को लेकर छह अगस्त से विशेष अभियान प्रारम्भ करेगी। इसके तहत किसानों को धान की जगह मक्का, अरहर, उड़द आदि फसलों की पैदावार के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार खजाना खोलने को तैयार है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष पूरे राज्य के सभी 38 जिलों को, जबकि वर्ष 2009 में 26 जिलों को सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित कर दिया था।