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बिहार: सांसद के बंगले पर गोलीबारी, 3 मरे

भोपाल। सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बुधवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी और ऋण राहत में 100 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी हुई। होशंगाबाद जिले में 34 फर्जी खाते तैयार कर फर्जी हितग्राहियों को ऋण माफी देने का मामला भी सामने आया है। 2008 में उजागर हुए इस घपले की जांच में 2080 कर्मी दोषी पाए गए हैं। इनमें से 1069 को नोटिस दिए जा चुके हैं और 17 को सेवा से अलग किया गया है।

विपक्ष के दबाव के बाद वे इस मामले पर शीतकालीन सत्र में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने पर सहमत हुए। कांग्रेस विधायक यादवेंद्र सिंह ने ध्यानाकर्षण सूचना में यह मामला उठाया था। सिंह का आरोप था कि सरकार हर बार ऋण माफी घोटाले में अलग-अलग आंकड़े देती है। घोटाले के दोषी अधिकारियों को बचाया जा रहा है। बिसेन ने भी माना कि हर बार आंकड़े बदल रहे हैं।

उन्होंने इसकी वजह चरणबद्ध जांच बताई। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह,कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह,आरिफ अकील आदि की इस मामले में मंत्री से तीखी नोक-झोंक हुई। विपक्ष आर्थिक अनियमितता का आरोप लगा कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज कराने की मांग कर रहा था। मंत्री का तर्क था कि घोटाला नहीं अनियमितता हुई है। उन्होंने बताया कि करीब 34 करोड़ की वसूली भी की जा चुकी है। वे शीतकालीन सत्र में इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर सहमत हुए।

कलेक्टर ने की थी ईओडब्ल्यू को मामला सौंपने की सिफारिश
केंद्र सरकार की ऋण माफी योजना में गड़बड़ी का सबसे पहला मामला होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक में उजागर हुआ था। होशंगाबाद और हरदा जिलों की 150 समितियों की प्रथमदृष्ट्या जांच में 8 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई थी। इस पर कलेक्टर निशांत बरवड़े ने तत्कालीन प्रमुख सचिव सहकारिता आई एस दाणी से 24 नवंबर 2009 को ईओडब्ल्यू को मामला सौंपने की अनुशंसा की थी।

इसके बाद हुई जांच में यहां 12 करोड़ 97 लाख 60 हजार का घपला पकड़ा गया। अगले चरण में नाबार्ड के निर्देश पर हरदा जिले की 18 सोसायटियों की जांच कराई गई तो घोटाले की रकम 25 करोड़ 97 लाख 76 हजार पर पहुंच गई। सहकारिता विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इसमें जानबूझकर होशंगाबाद जिले की समितियों को छोड़ दिया गया। यदि होशंगाबाद और हरदा जिले की सभी समितियों की जांच हो जाए तो मामला 100 करोड़ तक पहुंच सकता है।

कमिश्नर की अनुशंसा के चार माह बाद एफआईआर के निर्देश
हरदा जिले की आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मान्याखेड़ी और वृहताकार सेवा सहकारी समिति पोखरनी में 34 फर्जी खातों की जानकारी मिलने पर संभागायुक्त मनोज श्रीवास्तव ने 23 मार्च 2011 को प्रमुख सचिव सहकारिता एमएम उपाध्याय को लिखे पत्र में दोषियों के खिलाफ आईपीसी के तहत भी प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा की थी। मंत्री बिसेन ने विधानसभा में दिए अपने जवाब में बताया कि इस मामले में 15 जुलाई को एफआईआर के निर्देश दिए गए हैं।

समिति अध्यक्ष का भी ऋण माफ
मान्याखेड़ी समिति में तो अध्यक्ष रतिराम खोड़े को भी ऋण माफी का लाभ दे दिया गया। 2007 में हुए समिति चुनाव में खोड़े ने शपथ पत्र दिया था कि उनके ऊपर कर्ज नहीं है। नियमानुसार कर्जदार सदस्य चुनाव नहीं लड़ सकता। इसके बाद 2008 में उन्हें 2004 से कर्जदार बता कर योजना का लाभ दे दिया गया।

उलट समायोजन के नाम पर भी फर्जीवाड़ा
ऋण घोटाले की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि समितियों में ऋण राशि का घोटाला सामने आने पर उलट समायोजन में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। फर्जी बैंक खाते खोल कर राशि नाम कर दी गई। वास्तव में यह रकम बैंक को मिली ही नहीं और न कभी मिलेगी। क्योंकि फर्जी खातों का खाताधारक कहां से मिलेगा? इसके अलावा पांच एकड़ से बड़े किसानों को भी शत प्रतिशत ऋण माफी का लाभ दे दिया गया।

क्या थी ऋण माफी योजना
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2008-09 के बजट में लघु व सीमांत किसानों के 50 हजार रुपए तक के कृषि संबंधी ऋण माफ करने की घोषणा की थी। पिछले विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक कमल पटेल ने हरदा जिले में गड़बड़ियों का मामला उठाया था।