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बीटी बैगन का पहले मनुष्यों व पशुओं पर हो परीक्षण

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि बीटी बैगन की व्यावसायिक खेती की अनुमति देने से पहले मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं पर पड़ने वाले इसके सभी जैविक और हानिकारक प्रभावों का परीक्षण कराया जाना चाहिए।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती के प्रस्ताव का छत्तीसगढ़ सरकार ने तीव्र विरोध किया है। राज्य शासन ने इस बारे में केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश को पिछले दिनों नागपुर में आयोजित जनसुनवाई में बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती के खिलाफ अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए विरोध पत्र सौंपा है।

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती की अनुमति देने से पहले मनुष्यों और अन्य जीव-जंतुओं पर पड़ने वाले इसके सभी जैविक और हानिकारक प्रभावों का पूरी तरह परीक्षण कराया जाना चाहिए। परीक्षण के निष्कर्षो के आधार पर ही इस बारे में आगे कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने इस विषय पर पहले ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री को पत्र भेज कर राज्य सरकार के इस दृष्टिकोण से उन्हें अवगत कराया है। अधिकरियों ने बताया कि जनसुनवाई के दौरान केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश को बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती से संभावित दुष्प्रभावों को रेखांकित कर राज्य शासन का इसके पक्ष में नहीं होने संबंधी निर्णय से अवगत कराया गया है।

अधिकारियों ने जनसुनवाई के दौरान कहा कि बी.टी. बैगन में अनुवांशिक परिवर्तन के लिए डाला जाने वाला जीवाणु बैगन में ऐसे विषैले पदार्थ उत्पन्न करता है जिससे बैगन में लगने वाले कीड़े मर जाते हैं। ऐसे विषैले पदार्थ पैदा करने वाले बी.टी. बैगन मनुष्यों और पशुओं के साथ-साथ खेती के लिए भी खतरनाक और हानिकारक हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार बी.टी. बैगन की राज्य और देश में खेती करने की मंजूरी देने के पक्ष में नहीं है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार बी.टी. बैगन खाने के बाद मनुष्य तथा अन्य जीव-जंतुओं के शरीर, उसके पाचन तंत्र और अन्य जैविक क्रियाओं पर होने वाले प्रभावों के लिए सख्त परीक्षण करने के उपरान्त ही इसकी व्यावसायिक खेती को मंजूरी देने के पक्ष में है। छत्तीसगढ़ एग्रोटेक सोसायटी के अध्यक्ष मनहर आडिल ने बताया कि भारत में बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती को केन्द्र सरकार की मंजूरी मिल जाने से भारतीय किसानों को इसके महंगे बीजों के लिए उस कम्पनी पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिसके पास इसके उत्पादन और विपणन का अधिकार होगा। साथ ही यह बीज किसानों को हर साल खरीदने होंगे। इससे देश के गरीब किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव बढ़ेगा और देशी बैगन की प्रजातियां समाप्त होने का खतरा भी बना रहेगा। ऐसी फसलों की खेती से भूमि की उर्वरा क्षमता पर भी विपरित प्रभाव पड़ेगा।

आडिल ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों ने भी अपने यहां बी.टी. बैगन जैसे जैनेटिक मॉडिफिकेशन से विकसित फसलों की खेती को मंजूरी नहीं दी है।

अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बी.टी. बैगन की खेती के लिए आम सहमति बनाने के उद्देश्य से इन दिनों देश भर में जन-सुनवाई आयोजित की जा रही है। इसी कड़ी में पिछले दिनो नागपुर में आयोजित जन-सुनवाई में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कृषि विभाग के संचालक प्रताप राव कृदत्त ने जयराम रमेश विरोध पत्र सौंपा। इस जन-सुनवाई में छत्तीसगढ़ के विभिन्न समाज सेवी संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और कृषि वैज्ञानिकों ने भी केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री के सामने अपना पक्ष रखा।