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बूढ़ी आंखों में नहीं रही जीने की चाह

अमृतसर, [रमेश शुक्ला 'सफर']। वैसे तो डीसी कार्यालय में रोजाना काफी गिनती में फरियादी पहुंचते हैं, लेकिन सोमवार को पहुंची रमदास क्षेत्र की अतर कौर ने डीसी काहन सिंह पन्नू के पास अनोखी फरियाद लगाई। उसने कहा या तो सरकार उसे रोटी दे या फिर मौत।

अतर कौर की बूढ़ी आंखों में गरीबी के चलते अब जीने की तमन्ना नहीं रही। उसे अपने जन्म दिन की तारीख तो याद नही, लेकिन उसे यह पता है कि जिस दिन भारत आजाद हुआ था, उस दिन ही उसका जन्म लाहौर में हुआ था। अमृतसर के रमदास के गांव जंट्टावाली की रहने वाली अतर कौर की आंखों की रोशनी भी कम होती जा रही है। सोमवार को वह डीसी काहन सिंह पन्नू के कार्यालय के बाहर बैठकर अपनी फरियाद सुनाने के लिए बारी का इंतजार कर रही थी।

उसने कहा कि उसके पास न खेत हैं न कोई कमाने वाला। एक बेटा लाली था, जो गरीबी के दलदल में नशे को गले लगा बैठा। उसका दस सालों से अता-पता नहीं है। कच्चा घर था, उसे गिरवी रख दिया, बाद में उस पर गिरवी रखकर पैसा देने वालों ने कब्जा कर लिया। अतर कौर कहती है कि अब कभी गांव में किसी के घर दो जून रोटी मिल जाए तो ठीक है वर्ना पानी पीकर किसी तबेले में सो जाती हूं। भाई की बेटी के घर रहने के लिए गई थी, लेकिन उन्होंने भी मुंह मोड़ लिया। पेंशन दिलाने के लिए गांव के ही दो लोगों ने 500 रुपये ले लिए। यह पैसे उसने कई सालों से जोड़कर अपने अंतिम संस्कार के लिए रखे थे, लेकिन न तो पेंशन लगी न ही पैसे लौटाए। इसकी शिकायत भी डीसी साहिब से करनी है।

वह बताती है कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है। लाहौर से आकर उसके पिता मेहनत मजदूरी करते थे। उसकी शादी मंडा सिंह के साथ हुई थी, जिसकी मौत उसी साल हुई थी, जिस साल श्री हरिमंदिर साहिब में झगड़ा [ब्लू स्टार] हुआ था। वहीं सोमवार दोपहर बाद डीसी काहन सिंह पन्नू के आदेशों के बाद अतर कौर को पेंशन के साथ-साथ रेडक्रास से सहायता देने के लिए औपचारिकता पूरी कर ली गई। दैनिक जागरण के हस्तक्षेप के बाद कार्यालय के कर्मचारियों ने उसे सबसे पहले डीसी के दरबार में फरियाद सुनाने के लिए जाने दिया।