Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/बेकाबू-दिमागी-बुखार-मुकुल-व्यास-4123.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | बेकाबू दिमागी बुखार- मुकुल व्यास | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

बेकाबू दिमागी बुखार- मुकुल व्यास

उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में फैले जापानी इनसेफैलाइटिस अथवा दिमागी बुखार के प्रति राज्य और केंद्र सरकार की घनघोर लापरवाही से इलाके की जनता में जबरदस्त रोष है। लोगों ने आगामी विधानसभा चुनावों में सरकार की कमजोर जनस्वास्थ्य नीतियों को एक बड़ा मुद्दा बनाने का फैसला किया है। इसके लिए ‘इनसेफैलाइटिस इरेडिकेशन मूवमेंट’ (ईईएम) नाम से गठित मंच उम्मीदवारों से पूछेगा कि इस महामारी से लड़ने के लिए उनके पास क्या कार्ययोजना है। मूवमेंट की तरफ से राज्य के आठ प्रभावित जिलों के दो करोड़ मतदाताओं को एक प्रश्नावली भी बांटी जाएगी।

राज्य विधानसभा के 42 विधायक और 9 सांसद इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन इन्होंने कभी भी इस क्षेत्र में स्वास्थ्य के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की पैरवी नहीं की। 1978 में शुरू हुई इस महामारी से अब तक 15,000 लोग शिकार हो चुके हैं और करीब इतने ही लोग स्थायी रूप से विकलांग हो चुके हैं। इस साल मरनेवालों की संख्या 500 से अधिक हो चुकी है, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं। इस महामारी का सीधा संबंध मॉनसून की बरसात से है। इस मौसम में धान के खेत जलमग्न हो जाते हैं और क्युलेक्स मच्छरों की आबादी तेजी से बढ़ने लगती है।

जुलाई और नवंबर के बीच मच्छरों के काटने से इनसेफैलाइटिस वायरस मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है। इस इलाके में सुअरों की बड़ी तादाद होने से महामारी और विकराल रूप ले रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए रोकथाम के कदम उठाना बेहद जरूरी है। इनमें मच्छरदानियों का निःशुल्क वितरण, लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति, साफ-सुथरे शौचालय, सूअरों को रिहायशी इलाकों से दूर रखना और लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक बनाना शामिल है।

इनसेफैलाइटिस से लड़ने के लिए निरोधात्मक उपाय कारगर रणनीति हो सकती है, लेकिन सबसे जरूरी है स्वास्थ्य सुविधाओं का मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर। मगर अफसोस कि इस मामले में पूरे देश का रिकॉर्ड खराब है। देश के कई इलाकों में कई बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर उनके मैनेजमेंट के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गोरखपुर को इनसेफैलाइटिस का मुख्य केंद्र माना जाता है, लेकिन चिकित्सा सुविधाओं का आलम यह है कि एक ही बिस्तर पर कई मरीज होते हैं। वेंटिलेटर भी समुचित संख्या में नहीं हैं। गोरखपुर के सरकारी अस्पताल और आसपास के दूसरे अस्पतालों को महामारी से निपटने में सक्षम बनाने के लिए उसे आधुनिकतम सुविधाओं से लैस करना जरूरी है।

इस इलाके की बहुत बड़ी आबादी पहले ही गरीबी की मार झेल रही है। ऊपर से यह महामारी कई परिवारों पर मुसीबत का पहाड़ बनकर टूट रही है। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि बहुत से बच्चे विकलांगता का शिकार हो रहे हैं। एक तरफ बीमारी की भेंट चढ़नेवाले बच्चो की त्रासदी है, तो दूसरी तरफ विकलांग होनेवाले मरीजों का दर्द। यहां के गरीब लोग विकलांग बच्चों के इलाज का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। पीड़ित बच्चों के लिए पुनर्वास केंद्र भी पर्याप्त नहीं हैं। अस्पतालों के आधुनिकीकरण और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना में केंद्र सरकार को राज्य सरकार की भरपूर मदद करनी चाहिए।

बीमारी के कारणों की पड़ताल के लिए बुनियादी रिसर्च के मामले में भी कोताही बरती जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् अभी तक यह पुष्टि नहीं कर पाई है कि वायरस की कौन-कौन सी किस्में बीमारी फैला रही हैं। इसके वार्षिक प्रकोप को देखते हुए जापानी इनसेफैलाइटिस और एंट्रोवायरल इनसेफैलाइटिस को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित किया जाना चाहिए।

इनसेफैलाइटिस के मैनेजमेंट को 12वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल करने की मांग उचित ही है। 2006 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार को इस बीमारी को ‘हेल्थ इमरजेंसी’ के रूप में देखना चाहिए। इसके बावजूद इससे निपटने के लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनी। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की सिफारिश पर इस बीमारी से निपटने के लिए मंत्रियों का समूह (जीओएम) गठित किया गया है। देखना यह है कि जीओएम इस बीमारी पर काबू पाने में कितना सफल हो पाता है।