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बेखौफ हैं उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। भले ही जनता आरटीआई कानून के जरिए सरकार से सूचना मांगने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन हकीकत यही है कि कई राज्यों में सूचना आयुक्त जानकारी देने में आनाकानी करते हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।

राज्य की मुख्यमंत्री को 140 एवं राज्यपाल को 107 ऐसे शिकायती आवेदन मिले हैं, जिनमें नागरिकों ने सूचना आयुक्तों की कार्यशैली से नाखुशी जाहिर करते हुए उनको हटाने की मांग की है।

इसी तरह राष्ट्रपति सचिवालय को 14, उत्तराखंड, हरियाणा एवं तमिलनाडु के राज्यपालों को क्रमश: चार, सात एवं पांच शिकायती आवेदन मिले हैं, जिनमें नागरिकों ने सूचना आयोगों पर दु‌र्व्यवहार और उनके द्वारा दिए गए आदेशों की वैधानिकता पर सवाल खड़े किए हैं।

आरटीआई पुरस्कार सचिवालय ने एक आरटीआई के जरिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और कार्मिक विभाग से सूचना आयुक्तों की कार्यशैली के बारे में प्राप्त शिकायती आवेदनों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में जानकारी मिली कि राष्ट्रपति और अधिकांश राज्यपालों ने उन शिकायती आवेदनों को संबंधित सरकार के पास भेज दिया। राज्य सरकारों ने या तो उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की या संबंधित आयुक्तों के पास आवेदन को विचार के लिए भेज दिया। जाहिर तौर पर आयुक्तों ने अपना बचाव ही किया। उसके बाद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जबकि आरटीआई कानून में प्रावधान है कि किसी सूचना आयुक्त पर दु‌र्व्यवहार या अक्षमता का आरोप सुप्रीम कोर्ट में साबित हो जाता है तो राष्ट्रपति या राज्यपाल उन्हें पद से हटा सकते हैं। इसके बावजूद राष्ट्रपति एवं राज्यपालों द्वारा शिकायती आवेदन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के बजाए संबंधित सरकारों के पास भेजा गया।

उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एमए खान के खिलाफ शिकायती आवेदन को सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा गया। आखिरकार खान को निलंबित कर दिया गया। लेकिन सवाल उठता है कि इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने सैकड़ों अन्य शिकायती आवेदन पाने के बावजूद उनको जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं भेजा?

इसी तरह आरटीआई कानून की धारा 27 में यह व्यवस्था दी गई है कि सभी सरकारें इसके क्रियान्वयन के लिए कानून बनाएं। लेकिन केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों ने अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है जिनमें शिकायती आवेदनों से निपटने की व्यवस्था की गई हो।