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बेच दी गई NH, डैम व स्कूल के लिए अधिग्रहित सैकड़ों एकड़ भूमि

रांची. विकास कार्य के लिए अधिग्रहित जमीन धड़ल्ले से बिक रही है। रांची जिले में ही एनएच, डैम, स्कूल व पशुपालन विभाग के लिए अधिग्रहित सैकड़ों एकड़ जमीन बिक गई। इसे खरीदने में बिल्डरों और आम आदमी के अलावा अधिकारी भी पीछे नहीं रहे। अंचल कार्यालय के पास यह रिकॉर्ड ही नहीं है कि अब तक कितनी जमीनों का अधिग्रहण हुआ है। अधिग्रहण के समय रैयतों को जिस जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है, उसी जमीन का दोबारा मुआवजा भी दिया जा रहा है। नगड़ी विवाद की भी वजह यही है।

जमीन दोबारा बिक गई

गेतलसूद डैम बनाने के लिए 1972 में चकला पंचायत की करीब सौ एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। वर्तमान में अधिग्रहित जमीन में से 50 एकड़ से अधिक जमीन बिक गई। पुलिस समेत कई अन्य विभागों के बड़े अधिकारियों ने जमीन खरीदी है। ओरमांझी अंचल कार्यालय और सिंचाई विभाग ने पिछले साल जमीन की नापी करा कर निशान लगाया था, लेकिन उसे भी उखाड़ दिया गया।

रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं

जिले में करीब 55000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ है। इसमें 15000 एकड़ जमीन रजिस्टर टू से घटाई गई है। शेष 40 हजार एकड़ जमीन की रसीद आज भी रैयत के नाम कट रही है। जहां सरकार का कब्जा है, वहां तो जमीन दलाल कब्जा करने पाने में असमर्थ हैं, लेकिन खाली जमीन को दलाल बेच रहे हैं। जिस एनएच पर हजारों वाहन दौड़ रहे हैं, उस जमीन की आज भी रसीद कट रही है।

रसीद का अर्थ टाइटल नहीं

"पूर्व में जमीन अधिग्रहण के बाद संबंधित अंचल को सूचना नहीं दी गई। इस कारण रसीद रैयत के नाम कटती रही। कर्मचारियों ने गड़बड़ी की है। रसीद कटने का अर्थ यह नहीं होता है कि जमीन उसी की है। वर्तमान में जमीन अधिग्रहण की सूचना अंचल कार्यालय भेजी जा रही है।" - शैलेंद्र कुमार लाल, भू अर्जन पदाधिकारी, रांची

नोटिस भेजा गया है

"डैम डूबा जमीन को चिह्नित कर अतिक्रमण करने वालों को नोटिस भेजा गया है। जमीन की नापी कर निशान भी लगाया गया है। रजिस्टर टू से जमीन नहीं घटाई गई है। इसलिए यह परेशानी हो रही है।" - मनोज कुमार, सीओ ओरमांझी


कृषि फार्म की भूमि बिकी

कृषि फार्म के लिए अधिग्रहित जमीन में से 16 एकड़ जमीन कशिश कंस्ट्रक्शन और एम सिंह ने खरीद ली है। नूनी महतो के वंशज के नाम खतियान है, जिसकी खाता संख्या नौ और प्लाट संख्या 134 है।

स्कूल की जगह बना डुप्लेक्स

राज्य संपोषित उच्च विद्यालय को दान दी गई जमीन को समृद्धि कंस्ट्रक्शन ने खरीदा। अब डुप्लेक्स बना कर इसे बेचा जा रहा है। जेपीएससी की सदस्य डॉ ज्योति उरांव ने भी यहां जमीन खरीदी। इसकी खाता संख्या 15 और प्लॉट संख्या 45 है।

क्या है नियम

नियमत: जमीन अधिग्रहण के बाद इसकी जानकारी संबंधित सीओ कार्यालय और निबंधन कार्यालय को भेजी जानी चाहिए थी, ताकि अंचल के रजिस्टर टू से उक्त अधिग्रहित जमीन घट जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। यही कारण है विवाद का। अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

पूर्व डीजी ने भी खरीद ली जमीन

बिरसा जैविक उद्यान ओरमांझी के पीछे स्थित जमीन। खाता संख्या 36। इसके कुछ हिस्से पर पूर्व डीजीपी आरआर प्रसाद का भवन है। रिटायर्ड श्रमायुक्त सीके मेहता, सीबीआई इंस्पेक्टर मनोज नाग, दारोगा डी प्रसाद, डीआईजी कुमुद प्रसाद ने भी डैम की जमीन खरीदी है। यह स्व शेख शेरू के नाम थी। उनके पुत्रों ने इसे बेचा है।