Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/बेरोजगारी-निगल-गई-350-बरस-पुराना-गांव-1543.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | बेरोजगारी निगल गई 350 बरस पुराना गांव | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

बेरोजगारी निगल गई 350 बरस पुराना गांव

शामली [मुजफ्फरनगर, राजपाल पारवा], मैं हूं गांव कोठड़ा..। एक समय मेरी आबादी 500 के करीब थी। रोजगार के अभाव में दो साल पूर्व मेरा अस्तित्व समाप्त हो गया। शेष रह गया तो सिर्फ 350 वर्षो का इतिहास। ..लेकिन आज भी मेरे बरगद की शीतल छांव में मुसाफिर अपनी थकान मिटाते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पीर आज भी मेरे वजूद का गवाह है। अगर नहीं हैं तो यहां के बाशिंदे।

मेरठ-करनाल राजमार्ग पर गांव करौंदा महाजन है। वर्ष 2005 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तक कांधला ब्लाक के इस गांव का मजरा गांव कोठड़ा था। बकौल, करौदा महाजन के ग्राम प्रधान किशन सिंह-वर्ष 2005 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कोठड़ा गांव में 65 मतदाता एवं 15 मुस्लिम परिवार थे। इनके कच्चे घर थे। दो साल पूर्व ये बेरोजगारी के चलते पलायन कर गए। गांव के बुजुर्ग किसान इकबाल सिंह [86 वर्ष] कोठड़ा गांव का इतिहास जानते हैं। उनके अनुसार, 350 वर्षो पूर्व गांव खेड़ा [अब खेड़ा मस्तान] को मस्तान शाह एवं कोठड़ा को उनके शार्गिद [अनाम] ने बसाया था। खेड़ा मस्तान आज भी आबाद है। प्रति वर्ष तीन दिवसीय उर्स मस्तान शाह की मजार पर लगता है। उर्स में आए दान का कुछ हिस्सा आज भी शाह के वंशजों को जाता है, लेकिन कोठड़ा सिर्फ मस्तान शाह के शार्गिद के वंशज का गांव बनकर रह गया। उनके पास सिर्फ सौ बीघे जमीन थी। हिंदू-मुस्लिम के लिए दो कुएं एवं दो हुक्के हुआ करते थे। अली हुसैन व नजीर शाह से कोठड़ा गांव का वजूद कायम था। अली छह व नजीर सात भाई थे। फिर, इनकी संतानें हुई। सौ बीघा जमीन में से 50 बीघे गुरुदत्त, बाबू, बशेसर आदि ने खरीद ली। प्रति परिवार महज 3-4 बीघे रह गई। कमाई का कोई जरिया नहीं था। शादी-विवाह में खर्च अधिक करते थे। सो, जमीन बिक गई। यहां के परिवार बुढ़ाना, कैराना, जलालाबाद, शामली में जाकर बस गए। कोठड़ा गांव में आज सिर्फ दो बिस्से जमीन, बरगद का पेड़ एवं सैय्यद पीर भर रह गए हैं।

गांव पर शेर का श्राप!

शामली: बुजुर्ग इकबाल सिंह ने कोठड़ा गांव के पतन का रहस्य उजागर करते हुए कहा कि करीब 150 वर्ष पूर्व गांव के समीप एक बूढ़ा शेर आया। वह बीमार था और गांव में शरण की आस में आया था, लेकिन कोठड़ा के ग्रामीणों ने उसकी हत्या कर दी। शायद शेर के अभिशाप से ही कोठड़ा का पतन हुआ। इसलिए कोठड़ा में रहने वाले लोग आश्रय के लिए आज दूसरे स्थानों पर चले गए।