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बेल्लारी में खनन, ढुलाई पर रोक

उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में खनन और खनिज की ढुलाई पर रोक लगा दी है.

मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता में गठित विशेष बेंच ने कहा, “हमारा ये विचार है कि बेल्लारी में लौह अयस्क के खनन पर अगले आदेश तक तुरंत रोक लगा दी जाए.”

इसी के साथ न्यायालय ने पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया है कि वो पता करे कि कर्नाटक की खानों से निकाला गया कितना लौह अयस्क स्थानीय उद्योगों में इस्तेमाल किया जा रहा है और इसका कितना निर्यात हो रहा है.

अदालत ने मंत्रालय को आदेश दिया कि वो इस बारे में एक रिपोर्ट अगले हफ़्ते तक जमा करे.

अदालती कार्यवाही के बारे में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने कहा कि बेल्लारी में जिस तरह से खनन प्रक्रिया चल रही है, उससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

प्रशांत भूषण ने बताया, “अदालत ने कहा कि लौह अयस्क के खनन में निजी कंपनियों को इजाज़त नहीं दी जा सकती, और अगर इजाज़त दी जाती है तो ये सोचा जाएगा कि कहीं इससे पर्यावरण को नुक़सान तो नहीं होता.”
भ्रष्टाचार

गौरतलब है कि कर्नाटक में खनन में भारी भ्रष्टाचार पर लोकायुक्त संतोष हेगड़े की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को इस्तीफ़ा देने की हामी देने को मजबूर होना पड़ा है.

राज्यपाल और राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने चार सालों में राजस्व को 16,000 करोड़ से ज़्यादा के नुकसान का ब्योरा दिया था.

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री येदुरप्पा के अलावा रेड्डी बंधुओं और जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे कुमारास्वामी का भी नाम लिया है.

उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण मंत्रालय से ये पता लगाने को कहा कि स्थानीय स्टील उद्योग में लौह अयस्क की कितनी मांग है और देश में लौह अयस्क का कितना उत्पादन किया जा रहा है.

अदालत ने कहा कि बेल्लारी में खनन से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की ज़रूरत है और न्यायालय इस बारे में एक एजेंसी को नामांकित करेगी.

प्रशांत भूषण ने बताया कि अदालत पर सेंट्रली एम्पावर्ड कमेटी और संतोष हेगडी की पहली रिपोर्ट का प्रभाव पड़ा.

अदालत ने ये भी जानना चाहा कि कंपनियों से रॉयल्टी बाज़ार के भाव से वसूल की जा रही है या नहीं.

अदालत ने केंद्रीय एम्पावर्ड कमेटी को आदेश दिया है कि कर्नाटक के दूसरे दो ज़िलों तुमकुर और चित्रदुर्ग में खनन का निरीक्षण करे और इस पर न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करें.

न्यायालय ने कहा कि विभिन्न रिपोर्टों के आने के बाद वो आदेश देंगे कि आगे खनन की इजाज़त दी जाए कि नहीं.