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बैंकिंग घोटाला : 121 अरब रुपए के फ्रॉड, वसूली हुई 7.5 अरब

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की सांठगांठ ने देश के बैंकिंग सेक्टर को कितना बड़ा झटका दिया है, इसे समझने के लिए आप बस एक आंकड़े पर ध्यान दीजिए। अभी तक आधिकारिक तौर पर जो बताया गया है कि उसके मुताबिक इन दो लोगों ने पीएनबी को 12,700 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में देश के सारे बैंकों में हुए फ्रॉड केसों की भी रकम इससे कोई खास कम नहीं थी। इसकी कुल राशि 12,092.64 करोड़ रुपए की थी।


यह आंकड़ा सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दिया है और इसके लिए रिजर्व बैंक के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि फ्रॉड की यह राशि एक लाख रुपये से ज्यादा के मामलों से जुड़ी हुई है।


अब जरा एक नजर एक दूसरे आंकड़े पर भी डालिए। पिछले वर्ष 121 अरब रुपए के जो फ्रॉड हुए लेकिन बैंक महज 754.1 करोड़ रुपए ही वसूलने में सफल रहे। यानी फ्रॉड की राशि के मुकाबले वसूली सिर्फ छह फीसद के करीब है।


एक तरह से देखा जाए तो सरकार की तरफ से दिए गए ये आंकड़े देश के बैंकिंग सेक्टर की निगरानी व्यवस्था की भी कलई खोल रहे हैं क्योंकि इसमें यह स्वीकार किया गया है कि वर्ष 2009-10 के बाद से घरेलू बैंकों में होने वाले फ्रॉड की संख्या लगातार बढ़ रही है। अगर सिर्फ पिछले पांच वर्षों की बात करें (अप्रैल, 2013 से 22 फरवरी, 2018) तक की बात करे इन बैंकों में 13,643 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। इसमें 52,717 करोड़ रुपए की राशि की चपत इन बैंकों को लगी। यह तब हुई है जब आरबीआई व वित्त मंत्रालय लगातार यह दावा करते रहे हैं कि निगरानी व्यवस्था दुरुस्त है।


सरकार की तरफ से बताया गया है कि बैंकों में हो रही गड़बड़ियों के लिए कर्मचारियों की मिलीभगत के अलावा तकनीकी तौर पर उचित कदम नहीं उठाना शामिल है। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि उक्त राशि फंसे कर्जे में डूबी राशि से अलग है।


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में बताया है कि वर्ष 2016-17 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपए की राशि को बट्टे खाते में डाले यानी इस राशि की वसूली कर्जदारों से नहीं हो सकी। फंसे कर्जे के जिस हिस्से की वसूली नहीं हो पाती है, उसे बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।


भारतीय बैंकिंग के इतिहास में इतनी बड़ी राशि किसी एक वर्ष में कभी भी बट्टे खाते में नहीं डाली गई। इसमें से 20,339 करोड़ रुपए की राशि अकेले भारतीय स्टेट बैंक की है।