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बैंकों के 68,000 करोड़ रुपये अधर में लटके

चोट - सूत्रों के मुताबिक 7,295 व्यक्तियों या कंपनियों में से प्रत्येक ने 27 बैंकों से एक-एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा कर्ज लिया, और उसे अब तक नहीं चुकाया है


 


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 68,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज की वसूली नहीं की है।यह आंकड़ा मार्च,2012 यानी एक वर्ष पहले तक का है। दिलचस्प यह है कि यह रकम उन मामलों का है, जिसके तहत इन बैंकों ने 7,000 से ज्यादा व्यक्तियों या कंपनियों को एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का कर्ज दिया है।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि 7,295 व्यक्तियों या कंपनियों ने 27 बैंकों से एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा कर्ज लिया, और उसे अब तक नहीं चुकाया है। इन बकाएदारों पर मार्च,2012 के आखिर तक 27 सार्वजनिक बैंकों का 68,262 करोड़ रुपये बकाया था।

सूत्रों के मुताबिक इसमें सबसे बड़ा झटका देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को लगा है। समीक्षाधीन अवधि तक एसबीआई के 23,320 करोड़ रुपये 2,419 ऐसे बकाएदारों के पास फंसे थे, जिन्होंने एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का कर्ज लिया था। वहीं, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को मार्च,2012 के आखिर तक 709 ऐसे बकाएदारों से 5,295 करोड़ रुपये की रकम वापस लेनी थी।

सूत्रों का कहना है कि बैंक ऑफ इंडिया को 507 बकाएदारों से 4,268 करोड़ रुपये, जबकि आईडीबीआई बैंक को 579 बकाएदारों से 3,682 करोड़ रुपये की रकम मार्च,2012 के आखिर तक नहीं मिली थी। आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो इन बैंकों ने अपने पिछले अनुभवों से खास सबक लिया, ऐसा नहीं दिखता।

आंकड़े बताते हैं कि मार्च,2011 के आखिर में भी इन बैंकों का 4,589 ऐसे बकाएदारों पर 34,633 करोड़ रुपये बकाया था, जिन्होंने एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम उधार ली थी।वहीं, मार्च,2010 के आखिर में इन्हीं बैंकों का 4,099 बकाएदारों पर 26,629 करोड़ रुपये बकाया था।

सूत्रों ने कहा है कि इस मामले में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उनकी गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की वसूली तेज करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें रिकवरी के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति, फंसे कर्ज को वापस हासिल करने के लिए विशेष मुहिम चलाने तथा चेतावनी तंत्र मजबूत करने जैसे सुझाव शामिल हैं।

इसके साथ-साथ संसद ने भी हाल ही में बुरे कर्जों की रिकवरी में मौजूदा कुछ पेंच को खत्म करने के लिए इन्फोर्समेंट ऑफ सिक्युरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेट्स लॉज (अमेंडमेंट) एक्ट,2012 में बदलावों के लिए अध्यादेश जारी किया है। यह अमेंडमेंट एक्ट 15 जनवरी,2013 से प्रभावी हो चुका है।

सूत्रों का कहना है कि वित्तीय सेक्टर की दशा सुधारने तथा एनपीए की मात्रा कम करने के साथ-साथ कर्ज लेकर खिसक जाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इन सभी बैंकों को ऐसा मजबूत तंत्र विकसित करने को कहा है, जिससे इन घटनाओं के शुरुआती संकेतों को पकडऩा आसान हो सके।