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भीड़ न्याय करती रही और बिछती गयीं लाशें

पटना राज्य में भीड़ द्वारा किसी कथित अपराधी को पीट- पीट कर मार डालने के लगातार हादसे, समाज के बर्बर दौर में लौट जाने के भी कई संदर्भ खोलतेहै। यह विधि-व्यवस्था से मोहभंग और जीवन के विभिन्न मोर्चो पर अपनी असहायता का नकारात्मक और 'नपुसंक क्रोध' भी हो सकता है जो भीड़ में घिरे किसी शख्स पर जहां- तहां बरस जाता है। उन्मादी भीड़ जो ऐसे ही लोगों से बनती है, के बीच अपने 'हाथ की खुजली' या कुंठा मिटा लेना न केवल आसान बल्कि सुरक्षित भी होता है। बीते तीन सालों में राज्य में कई जगह लोगों ने कानून हाथ में लिए और कथित अपराधी या दुष्कर्मी को लाश में बदल दिया। लगातार ऐसे हादसे यह भी बताते हैं कि लोगों की जायज बात भी प्राय: पुलिस और प्रशासन में अनसुनी रह जाती है इसलिए वे सहज ही इस तरह के 'न्याय' का पक्ष हो जाते हैं।

वैशाली के ढेलफोरवा कांड की याद सूबे के लोगों की जेहन में अब भी ताजा है। राजापाकर में 2007 के अगस्त माह में महज चोर होने के शक पर ही दस लोगों को पीट-पीटकर भीड़ ने मौत के घाट उतार डाला था।

सरकार ने ढेलफोरवा कांड के बाद कितने तरह के फरमान जारी किये थे। मसलन इस तरह सामूहिक तौर पर कानून को हाथ में लेने की घटना को कतई बर्दास्त नहीं किया जायेगा। किसी को पीट-पीटकर मार डालने की घटना के बाद पूरे गांव वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। सभी पर कानून अपनी सख्ती दिखायेगा। इसके बावजूद ऐसे हादसों पर रोक नहीं लग पाई।

जरा गौर करें। मोतिहारी में एक बकरी की मौत के बदले एक युवक को पीट- पीट कर मार डालने वाला हादसा घटा। बीते दो अप्रैल को सुगौली थाना क्षेत्र के नयका टोला गांव के समीप सुबह करीब आठ-नौ बजे पश्चिमी चंपारण के हतुछपरा गांव निवासी जहांगीर नामक बाइक सवार से एक बकरी को ठोकर लग गई। आक्रोशित भीड़ ने पीछा कर बाइक सवार युवक को लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। इस संबंध में 21 अप्रैल को सुगौली थाना में कांड संख्या 99/10 दर्ज हुआ।

सीतामढ़ी में अक्टूबर 2008 में शहर की बदनाम गली रेड लाइट एरिया आक्रोश की आग में जल कर खाक हो गई। भीड़ ने बदनाम बस्ती को फूंक दिया। इस घटना में एक पांच वर्षीय मासूम की मौत जलने से हो गयी थी। अक्टूबर 2008 में ही शहर से सटे डुमरा रोड नाहर चौक पर एक कथित चोर की लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

अक्टूबर 2009 से लेकर मार्च तक आधा दर्जन लोग बच्चों की चोरी के आरोप में आम जनता के आक्रोश का शिकार बने। मधुबनी में दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोपी बबलू पासवान को अज्ञात लोगों ने लखनौर थाना के दैयाखरवारि गांव के पश्चिम स्थित कमला बलान पूर्वी तटबंध के पास हाथ-पैर बांध कर जिंदा जला दिया था। घटना को 21 जनवरी 2010 को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद से आरोपी फरार हैं।

मुजफ्फरपुर में सदर थाना क्षेत्र के शेरपुर में राहगीरों के साथ लूटपाट करने आए दो लुटेरों को गत वर्ष सितंबर में लोगों ने पीट कर अधमरा कर दिया था। इस हादसे में एक लुटेरे की मौत इलाज के दौरान एसकेएमसीएच में हो गई थी, जिसकी शिनाख्त सादपुरा निवासी दीपक सिंह उर्फ टिंकू सिंह के रूप में की गई थी।

समस्तीपुर में नौ जून को हलई ओपी के चकपहाड़ गांव में पांच अपराधियों को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।

मुंगेर में बीते 4 जून को जमालपुर रेल कारखाना में ट्रैक्टर से कुचल कर रेल कर्मी महेंद्र मंडल की मौत से आक्रोशित रेलकर्मियों द्वारा आरपीएफ के एसआई परमेश्वर सिंह की ईंट पत्थर से मारकर हत्या कर दी गयी थी। परमेश्वर सिंह जमुई जिले के रहने वाले थे।

भागलपुर जिले के सजौर थानाक्षेत्र में रतनगंज स्थित अंधरी नदी के समीप से गुजरने वाले ट्रक संख्या डब्ल्यूबी 23बी 6169 में 4 मार्च 2009 को कथित डाकाजनी करते सजौर थानाक्षेत्र के शेखपुरा गांव निवासी मो.सलीम अंसारी और खगड़िया जिले के मोहनपुर के मूल निवासी तथा हाल निवासी मौलानाकिता, अमरपुरके पप्पू गोस्वामी को क्रुद्ध भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला गया था। इस बाबत सजौर थाना में रपट कांड संख्या 41/2009 दर्ज की गई थी।

सासाराम से मिली सूचना के अनुसार 12 जून को शिवसागर थाने के तोरना गांव में मोबाइल चोरी के आरोप में मोजरी टोला निवासी बुचुल मुसहर को लाठी से पीट कर मार डाला गया। इसी तरह 17 मई को बढ़ईबाग में रामचंद्र राम, 12 मई को दिनारा भानस में अज्ञात चोर, 27 अप्रैल को सीता बिगहा गांव में अज्ञात मवेशी चोर आक्रोशित लोगों के हत्थे चढ़ा और पीट- पीट कर मार डाला गया।

16 जनवरी को आकाशी गांव में हत्या कर भाग रहे अपराधी इरफान को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला और 20 सितंबर 2009 को सासाराम में देवी लाल(लुटरू) को भी भीड़ ने मार डाला। इसी तरह 26 जुलाई 2009 को बैजू को करगहर में और 18 जून 2009 को अगरेर थाना क्षेत्र नयाय गांव में गिरिजा पासी को भी मार डाला गया।

सारण में उग्र भीड़ द्वारा आये दिन कानून को हाथ में ले लिया जाता है। मुफस्सिल थाना कांड संख्या 28/10 दिनांक 14 फरवरी को तीन लुटेरे मोटरसाइकिल लूटकर भाग रहे थे। जिनका ग्रामीणों ने पीछा किया। इनमें से दो फरार हो गये जबकि एक को ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला। उक्त घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के फकुली गांव में घटित हुयी थी। मृतक की पहचान श्यामचक निवासी विकास चौधरी के रूप में की गयी थी। इस घटना के कुछ माह बाद उसी गांव के लोगों ने एक अन्य मोटरसाइकिल लुटेरे को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था। यह घटना 28 अर्पैल को घटित हुयी। जिसकी प्राथमिकी 63/10 के अंतर्गत दर्ज करायी गयी थी। इस घटना में मृतक की पहचान पूर्वी दहियावां निवासी मो. जमाल जहांगीर के रूप में की गयी थी। नगर थाना क्षेत्र में भी उग्र ग्रामीणों का कोपभाजन एक चोर को बनना पड़ा था। यह घटना 21 मई को घटित हुई थी। जिसमें मृतक की पहचान नहीं हो सकी थी।

इन तमाम हादसों पर गौर करें तो प्रशासनिक व पुलिस चूक के बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि मारे गये लोग अगर सही में अपराधी ही थे तो भी उन्हें मारने का अधिकार लोगों को किसने दे दिया। कानून हाथ में लेने की ये बढ़ती वारदातें वाकई चिन्ता की वजह हैं।