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भूमि अधिग्रहण पर नए विधेयक का मसौदा तैयार


नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण मानदंडों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने नए विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत भूमि की खरीद से पहले 80 फीसदी भूस्वामियों की सहमति अनिवार्य कर दी गई है।

भूमि अधिग्रहण विधेयक का नया मसौदा अगले कुछ दिनों में सामने रखे जाने की उम्मीद है। इसमें सोनिया गांधी नीत राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिशों को भी शामिल किया गया है और यह एनएसी की सिफारिशों से एक कदम और आगे बढ़ता है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की अध्यक्षता में मसौदा विधेयक पर आज यहां हुई चर्चा के बाद सोनिया गांधी नीत परिषद के प्रमुख सदस्य एन सी सक्सेना ने कहा कि कई मायने में एनएसी ने जो कहा है उससे यह परिष्कृत है।

सक्सेना ने कहा कि एनएसी की अनुशंसाओं में उसने सुधार किया है क्योंकि हमने 70 फीसदी का सुझाव दिया था लेकिन अब वह [ग्रामीण विकास मंत्रालय] कह रहा है कि 80 फीसदी [भूस्वामियों] को अधिग्रहण के लिए रजामंदी देनी होगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रालय ने एनएसी की उस अनुशंसा को मंजूरी दी है जिसमें कहा गया था कि सरकार को निश्चित तौर पर 100 फीसदी भूमि का अधिग्रहण करना चाहिए। सक्सेना ने कहा कि एनएसी ने ऐसी अनुशंसा कभी नहीं की।

उन्होंने कहा कि एनएसी की अनुशंसा 100 फीसदी तक भूमि अधिग्रहण में समर्थ बनाने की थी। इसमें यह नहीं कहा गया है कि आपको 100 फीसदी [भूमि का अधिग्रहण] करना है।

ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद चल रहा है। वहां किसान ऊंची मुआवजे की राशि की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके चलते सरकार ने भूमि विधेयक को संसद में लाने के प्रयासों में तत्परता दिखाई है।

मंत्रालय ने एनएसी की एक अनुशंसा पर भी सहमति जताई है। इसके तहत भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास के प्रावधानों को एक विधेयक में शामिल करने की एनएसी की अनुशंसा पर भी मंत्रालय ने सहमति जता दी है।

सक्सेना ने कहा कि एक विधेयक होगा जिसके दायरे में सरकारी उद्देश्यों के साथ-साथ निजी कंपनियों के लिए भी भूमि अधिग्रहण आएंगे। लेकिन जब भूमि निजी कंपनियों को दी जानी होगी तो 80 फीसदी लोगों को अनिवार्य रूप से रजामंदी देनी होगी और हमने पंजीकरण मूल्य से छह गुणा मुआवजे को बढ़ा दिया है।

एनएसी सदस्य ने कहा कि अपनी आजीविका के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर निर्भर करने वाले 'भूमिहीन' भी इससे लाभान्वित होंगे। सक्सेना ने कहा कि वे 20 वर्षों तक प्रतिमाह दो हजार रुपये पाएंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक में सुरक्षा उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए आपात प्रावधान होंगे।

उन्होंने कहा कि जब लोगों की सुरक्षा की बात शामिल होगी तब हम इसे आपात प्रावधान के दायरे में लेंगे। हमने फैसला किया है कि जब भी 100 एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा तो सड़क, बिजली, आवास, मैदान समेत 26 सुविधाएं दी जाएंगी।

समिति ने यह भी अनुशंसा की कि जो लोग भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापित होंगे उन्हें कम से कम एक साल तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये दिए जाने चाहिए।

सक्सेना ने कहा कि विधेयक में अनुसूचित जनजाति के वैसे सदस्यों के लिए विशेष प्रावधान होना चाहिए जिनकी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जहां भी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा वे कम से कम एक एकड़ पाएंगे और हरेक व्यक्ति एक एकड़ जमीन पाएगा जो सिंचाई परियोजना के लिए अपनी जमीन खोएगा।

सक्सेना ने कहा कि चूंकि अनुसूचित जनजाति के लोग भूमि पर निर्भर होते हैं तो जनजातीय इलाकों में भूमि अधिग्रहण को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से हम सुझाव दे रहे हैं कि हर अनुसूचित जनजाति परिवार को एक एकड़ जमीन मिले। एक और दौर के विचार-विमर्श के बाद उम्मीद की जाती है कि मसौदा विधेयक को सार्वजनिक किया जाएगा।