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भूमि अधिग्रहण बिल पर आम राय बनाने को सर्वदलीय बैठक आज

नई दिल्ली। संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्षी दलों के कड़े रुख से सरकार सशंकित है। वामदल और तृणमूल कांग्रेस के साथ भाजपा को भी विधेयक के कुछ प्रावधानों पर एतराज है, जिसको लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर आम राय बनाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सात मार्च को इस बाबत बुलाई गई बैठक में कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई थी।

बैठक में वामदल, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, जदयू समेत दक्षिण के द्रविड़ राजनीतिक दलों ने हिस्सा लेने पर अपनी सहमति दे दी है। विधेयक पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के बाद डेढ़ सौ से अधिक संशोधन किए गए हैं। विधेयक के संशोधित मसौदे को संसद में पेश करने से पहले सरकार सभी प्रमुख दलों से आम राय बनाना चाहती है, ताकि विधेयक बिना किसी खास विरोध के पारित हो जाए। संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिनों में विधेयक पेश करने की कोशिश की गई थी, लेकिन भाजपा समेत विपक्षी दलों के विरोध के बाद मनमोहन सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े थे। संसदीय कार्य मंत्री ने तब सदन को भरोसा दिया था कि बजट सत्र में इसे सबसे पहले पेश कर विस्तृत चर्चा कराई जाएगी, लेकिन बजट सत्र के पहले हिस्से में ऐसा नहीं किया जा सका।

यह विधेयक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अहम है, जिसे वे आम चुनाव से पहले पारित कराना चाहते हैं। इसी वजह से ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि किसी भी हाल में विधेयक बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पारित करा लिया जाएगा। लेकिन, वामदल के नेता विधेयक को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे फिर स्थायी समिति को सौंपने की मांग कर रहे हैं।

सरकार को प्रमुख विपक्षी दल भाजपा से बड़ी उम्मीदें हैं। सूत्रों के मुताबिक सर्वदलीय बैठक में भाजपा की ओर से कुछ प्रमुख संशोधन पेश किए जा सकते हैं। बहुफसली जमीन के अधिग्रहण के प्रावधान को पूरी तरह समाप्त करने के लिए कहा जाएगा। इसी तरह भू स्वामियों के साथ संबंधित जमीन पर निर्भर खेतिहर मजदूरों के लिए मुआवजे की राशि तय करने की मांग भी रखी जाएगी। पीपीपी परियोजनाओं की शर्तो को लेकर भी कुछ संशोधन पेश किए जा सकते हैं।