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भ्रष्टाचार में अगाड़ी, पंच परमेश्वर व पटवारी

शिमला। परमेश्वर कहे जाने वाले पंच (प्रधान) और आपकी जमीन का लेखा-जोखा रखने वाले पटवारी भ्रष्टाचार में सबसे आगे हैं। यह खुलासा विजिलेंस विभाग को मिलने वाली शिकायतों के आधार पर हुआ है। विभाग के अनुसार भ्रष्टाचार के संदर्भ में प्रदेश भर से लोगों से मिलने वाली शिकायतों में 50 प्रतिशत शिकायतें पंचायती राज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ होती हैं। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो के मुताबिक गांवों में होने वाले विकासात्मक कार्यो, जनहित में होने वाले काम और लोगों को मिलने वाले मुआवजे में गड़बड़ी की शिकायतें शामिल होती हैं। ऐसे कार्यो में कई बार पंचायत प्रधान द्वारा आम लोगों से पैसे लेने की शिकायतें विभाग को मिलती रहती हैं।

कई बार ग्रामीण क्षेत्रों से नालियां बनाने, पानी के टैंकों के निर्माण जैसे कार्यो में भी प्रधान द्वारा भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं। गौर हो कि विजिलेंस विभाग के पास एक दिन में ग्रामीण इलाकों से पांच से छह शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों में ज्यादातर शिकायतें पंचायती राज विभाग से संबंध रखने वाले पंचायत प्रधानों और पटवारियों के खिलाफ आ रही हैं।

विजिलेंस विभाग द्वारा पिछले वर्षो में दर्ज किए गए मामलों में भी यह बात सामने आती है। विजिलेंस ने वर्ष 2006-07 में 16 सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए दबोचा था। इन कर्मचारियों में 10 अधिकारी या तो पटवारी थे या किसी पंचायत के प्रधान थे। इस वर्ष विजिलेंस विभाग में भ्रष्टाचार से संबंधित 81 केस दर्ज किए। वर्ष 2007-08 में विजिलेंस ने 24 लोगों को रंगे हाथ घूस लेते हुए गिरफ्तार किया। इस वर्ष भी पंचायती राज विभाग के अधिकारी ही सबसे अधिक घूस लेने के मामलों में गिरफ्तार किए गए हैं। विभाग में इस वर्ष भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 95 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2008-09 की बात करें तो विजिलेंस ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज करते हुए पिछले साल की अपेक्षा अधिक भ्रष्टाचारियों को बेनकाब किया। इस वर्ष विभाग ने प्रदेश में भ्रष्टाचार उन्मूलन के तहत विभिन्न विभागों के 44 कर्मचारियों और अधिकारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ा है।

घूसखोरी के मामलों में पकड़े गए कर्मचारियों में इस साल भी पंचायती राज विभाग के अधिकारी ही सबसे आगे रहे। पिछले वर्ष विजिलेंस में भ्रष्टाचार के 164 मामले सामने आए हैं। इस वर्ष में सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों में भी अभी तक के यही समीकरण बनते हुए नजर आ रहे हैं। डीआईजी विजिलेंस एसपीएस वर्मा ने बताया है कि विजिलेंस को मिलने वाली ज्यादातर शिकायतों में पंचायती राज विभाग के अधिकारी व पंचायत प्रतिनिधि ही सामने आ रहे हैं।

कैसे होगा भ्रष्टाचार कम

1. भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हो जनता

विजिलेंस विभाग के अनुसार प्रदेश में भ्रष्टाचार कम करने के लिए यह जरूरी है कि आम जनता भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सीधे तौर पर सामने आए। जब लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ होंगे तो भ्रष्टाचार कम होगा।

2. बैंकों के माद्यम से हो धन का लेनदेन

पैसे का लेन देन बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से होना चाहिए। विभाग के मुताबिक विकासात्मक कार्यो के लिए आने वाला पैसे का आबंटन बैंक के जरिए होगा तो कर्मचारियों को भ्रष्टाचार का मौका मिलेगा ही नहीं। कर्मचारियों को मिलने वाले मानदेय का भुगतान चेक के द्वारा किया जाए। जब चेक के द्वारा लोगों को तनख्वाह मिलेगी तो कोई भी पैसों की हेर-फेर नहीं हो सकेगी।

जब विभागों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा तो हर कार्य में पारदर्शिता आएगा। इस तरह से भी भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।