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मंत्रियों के गांवों में स्वास्थ्य सेवा लचर

राज्य सरकार के दो मंत्रियों गृह क्षेत्र के अस्पतालों की हालत खस्ता है. यहां चिकित्सक, कर्मचारी व संसाधनों का घोर अभाव है. सबसे बड़ी समस्या महिला चिकित्सकों की कमी है. मरीजों को आवश्यक दवा भी बाजार से खरीदनी पड़ती है. भवनों की हालत पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण बनी हुई है. बेड का भी अभाव है. सफाई व्यवस्था की हालत भी दयनीय है. चिकित्साकर्मियों को आवास की भी सुविधा नहीं है.
।।ठाकुर संग्राम सिंह।।
 

केस स्टडी-1

 

सारण के बनियापुर प्रखंड मुख्यालय में रेफरल अस्पताल है. इसी प्रखंड के भूमिहारा गांव के हैं श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सीग्रीवाल. उनके गृह प्रखंड मुख्यालय स्थित अस्पताल में नौ की जगह दो चिकित्सक ही कार्यरत हैं. यहां महिला चिकित्सक भी नहीं है. 45 में से 29 एएनएम का पद रिक्त है. लेखा प्रबंधक और अस्पताल प्रबंधक का संविदा समाप्त हो चुका है. यहां 30 बेड स्वीकृत हैं, लेकिन 12 से ही काम चलाया जा रहा है. मरीजों को ज्यादातर दवाइयां बाहर से ही खरीदना पड़ती हैं. आपातकालीन स्थिति में मरीजों को सदर अस्पताल या पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है.

केस स्टडी-2

एकमा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सबसे बड़ी समस्या महिला चिकित्सक का अभाव है. इस क्षेत्र के विधायक गौतम सिंह, राज्य सरकार के विज्ञान प्रावैधिकी मंत्री हैं और वह गंज पर गांव निवासी है. उनके गृह क्षेत्र के एकमात्र अस्पताल में ड्रेसर, कंपाउंडर, लैब टेक्नीशियन, एलएचबी समेत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के 10 पद रिक्त हैं. अस्पताल भवन, चिकित्सक कक्ष की हालत र्जजर है. शौचालय उपयोग करने लायक नहीं रह गया है. हड्डी रोग, नेत्र रोग तथा स्त्री रोग के चिकित्सक नहीं है. यहां भी मरीजों को आवश्यक दवा नसीब नहीं मिल पाती.

बेहतर इंतजाम नहीं, पर उम्मीद बरकरार
सीवान जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है नौतन. इस प्रखंड का एक गांव है अंगौता, जो सूबे के मानव संसाधन मंत्री पीके शाही का गांव है. सरकार में मंत्री बनने के बाद गांव के विकास के लिए कई कार्य करवाये गये हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र की जब बात आती है, तो यहां पर ठहराव की स्थिति बन जाती है. अंगौता में एक उपस्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां न तो पुरुष चिकित्सक है और न ही महिला चिकित्सक. एक दो नर्स व एएनएम के सहारे गांव के लोगों का इलाज होता है. यहां प्रसव कराने आनेवाली महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है, जो महिला चिकित्सकों के अभाव में हथुआ इलाज कराने जाती है. हालांकि पंचायत के मुखिया व मंत्री जी के भाई कौशलेंद्र कुमार शाही उर्फ साधु शाही कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की नियुक्ति संबंधी सूचना आला अधिकारियों को दी गयी है. जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई होने की उम्मीद है.

अंगौता के लोगों के लिए पीके शाही वह नाम है, जो अपनी सहृदयता व नेकी के लिए जाना जाता है. गांव के लोग कहते हैं कि मंत्री बनने से पूर्व भी वे गांव के विकास के लिए तत्पर रहे हैं. उनके प्रयास से ही गांव में स्वास्थ्य सेवा में सुधार देखने को मिला है.सीवान जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है नौतन. इस प्रखंड का एक गांव है अंगौता, जो सूबे के मानव संसाधन मंत्री पीके शाही का गांव है. सरकार में मंत्री बनने के बाद गांव के विकास के लिए कई कार्य करवाये गये हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र की जब बात आती है, तो यहां पर ठहराव की स्थिति बन जाती है. अंगौता में एक उपस्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां न तो पुरुष चिकित्सक है और न ही महिला चिकित्सक. एक दो नर्स व एएनएम के सहारे गांव के लोगों का इलाज होता है. यहां प्रसव कराने आनेवाली महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है, जो महिला चिकित्सकों के अभाव में हथुआ इलाज कराने जाती है. हालांकि पंचायत के मुखिया व मंत्री जी के भाई कौशलेंद्र कुमार शाही उर्फ साधु शाही कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की नियुक्ति संबंधी सूचना आला अधिकारियों को दी गयी है. जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई होने की उम्मीद है.

अंगौता के लोगों के लिए पीके शाही वह नाम है, जो अपनी सहृदयता व नेकी के लिए जाना जाता है. गांव के लोग कहते हैं कि मंत्री बनने से पूर्व भी वे गांव के विकास के लिए तत्पर रहे हैं. उनके प्रयास से ही गांव में स्वास्थ्य सेवा में सुधार देखने को मिला है.

बेहतर है मंत्री जीतन राम मांझी के गांव में चिकित्सा की व्यवस्था

पुश्तैनी गांव-खिजरसराय प्रखंड अंतर्गत महकार. सौ घरों की इस बस्ती में आसपास के गांवों के इलाज के लिए एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र है. ग्रामीण मदन सिंह, बी देवी सहित अन्य बताते हैं कि डॉक्टर साहब हमेशा आते हैं. गांव के साथ आसपास के गांवों के ग्रामीणों का इलाज भी यहीं होता है. आउटडोर इलाज की सुविधा पर्याप्त है, पर इनडोर के लिए बाहर जाना पड़ता है. बीमारी गंभीर होने पर खिजरसराय या गया जाकर इलाज कराना पड़ता है. मंत्री भी अपने गांव आते-जाते रहते हैं. महिलाओं के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधा का अब भी अभाव है. जीवनरक्षक दवाइयां यहां मिल जाती हैं.पंचायती राज व ग्रामीण कार्य मंत्री के गांव बेदौली में अस्पताल तक नहीं

बिहार सरकार के पंचायती राज व ग्रामीण कार्य मंत्री हैं डॉ भीम सिंह. इनका पुश्तैनी गांव-इमामगंज प्रखंड की नौडीहा पंचायत का बेदौली है. यहां सरकारी अस्पताल व कोई केंद्र नहीं है. झोला झाप डॉक्टर के भरोसे रहते हैं गांव के लोग. बीमार पड़ने पर छह किलोमीटर दूर रानीगंज बाजार जाना पड़ता है. गंभीर स्थिति में ले जाने के दौरान रास्ते में मौत भी हो जाती है. गांव के लोग अब भी अपने मंत्री के प्रति आशान्वित हैं कि हालात सुधरेंगे. उनके ग्रामीण मुख्तार आलम, रघुवर पासवान विश्वेश्वर पासवान बताते हैं कि सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है, जब किसी महिला को इलाज कराना होता है.