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मछुआरों की सुरक्षा पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार को उच्चतम न्यायालय का नोटिस

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों के पकड़े जाने पर चिंता जाहिर करते हुए आज केंद्र एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार से यह जानना चाहा है कि कूटनीतिक एवं राजनीतिक माध्यमों के जरिए इस मुद्दे का समाधान कैसे किया जाएगा।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस बात पर खुशी जताई कि तमिलनाडु के दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दल द्रमुक और अन्नाद्रमुक इस मुद्दे पर एकसाथ हैं।

पीठ ने सवाल किया कि क्या मछुआरों के लिए यह जान पाना संभव है कि समुद्र में मछली पकड़ते वक्त उन्हें कहां तक जाना है ताकि वे पड़ोसी देश की सीमा में न जाएं।

उसने कहा, ‘‘वे (श्रीलंकाई नौसेना) न सिर्फ मछुआरों को पकड़ते हैं, बल्कि उनकी नौकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं और उनके स्वदेश लौटने में चार-पांच महीने का वक्त लग जाता है। क्या इस मुद्दे को कूटनीति और राजनीतिक रूप से हल कर पाना संभव नहीं है।’’

उच्चतम न्यायालय ने द्रमुक के सांसद एकेएस विजयन और अन्ना द्रमुक के सांसद एम थम्बीदुरई तथा कुछ अन्य लोगों की ओर से दायर दो अलग अलग याचिकाओं पर केंद्र एवं तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया। इन याचिकाओं में श्रीलंकाई

जेलों में बंद मछुआरों की रिहाई को लेकर मांग की गई है।

न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को अपने जवाब दाखिल करने का आदेश जारी करने के साथ ही यह भी कहा कि श्रीलंकाई नौसेना के हमले से मछुआरों की रक्षा की जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी खुश हैं कि तमिलनाडु के सभी सांसद इस पर एकजुट है। लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य हमारे सामने हैं। हम जानना चाहते हैं कि क्या मछुआरों के लिए यह जान पाना संभव है कि उन्हें कहां रूकना है।’’

याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से यह आदेश देने की गुहार लगाई है कि इस मामले पर गौर के लिए एक विशेषज्ञ इकाई का गठन किया जाए और मछुआरों की रिहाई के लिए कूटनीतिक माध्यम से कदम उठाया जाए।

सुनवाई के बाद पीठ ने नोटिस जारी किया और कहा कि ‘कम से कम एक कारण से सभी राजनीतिक दल (द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक) एकजुट हैं।’

द्रमुक सांसद विजयन ने अपनी याचिका में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सरकार को मछुआरों की जान और जीविका की रक्षा करनी है।

उनके मुताबिक श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों को बार बार गिरफ्तार करने तथा प्रताड़ित करने को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री से संपर्क साधा, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद उन्होंने जनहित याचिका दायर की।

(भाषा)