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मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना अड़े, डीएमके भी सरकार के खिलाफ

नई दिल्ली. लोकपाल बिल को लेकर सरकार और सिविल सोसाइटी एक-दूसरे पर जुबानी हमले जारी हैं। सरकार की ओर से पेश लोकपाल बिल के मसौदे से ड्राफ्टिंग कमिटी में शामिल सिविल सोसाइटी के सदस्य नाखुश हैं। इस मुहिम की अगुवाई कर रहे अन्‍ना हजारे ने ऐलान कर दिया है कि वह एक बार फिर अनशन करेंगे। 30 जुलाई से वह लोकपाल बिल के समर्थन में देशव्‍यापी मुहिम चलाएंगे। इसके बाद 16 अगस्त से अनशन पर बैठेंगे।

अन्‍ना का कहना है कि इस बार का अनशन सरकार को सबक सिखाने के लिए होगा।  अन्ना का कहना है कि उन्हें यकीन है कि वह जिस तरह का लोकपाल चाहते हैं, वह बनेगा। अन्ना के मुताबिक एक मजबूत लोकपाल बनने तक वह चैन नहीं लेंगे।
वहीं, अन्‍ना हजारे की मुहिम को सरकार की सहयोगी डीएमके पार्टी का भी समर्थन मिल रहा है। डीएमके प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के पक्ष में है। अन्‍ना के ऐलान के बाद बाबा रामदेव ने भी उन्‍हें पूरा साथ देने का ऐलान किया है। बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार में मीडिया को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि मंगलवार को नई दिल्ली में हुई ड्राफ्टिंग कमिटी की नौवीं और आखिरी बैठक में भी कई विवादास्पद मुद्दों पर सिविल सोसाइटी और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। इनमें लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, निचली न्यायपालिका को लाए जाने को लेकर तीखे मतभेद हैं। सिविल सोसाइटी की तरफ से पेश जन लोकपाल विधेयक के मसौदे में फोन टेप, रोगेटरी लेटर जारी करने और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम करने के लिए कामकाज के तौर तरीकों में बदलाव को लेकर सिफारिशें की गई हैं। लेकिन सरकार की तरफ से पेश लोकपाल बिल के मसौदे में इन मुद्दों का जिक्र तक नहीं है।      
हजारे की टीम की तरफ से पेश मसौदे में सभी सांसदों द्वारा घोषित संपत्ति के ब्योरे की जांच करने के लिए प्रस्तावित लोकपाल को आधुनिक साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने की पेशकश की गई है। जन लोकपाल बिल में इस बात का भी जिक्र है कि लोकपाल की एक बेंच भारतीय टेलीग्राफ एक्ट के सेक्शन पांच के तहत एक मान्यता प्राप्त संस्था होगी जिसे टेलीफोन और इंटरनेट जैसे माध्यमों के जरिए भेजे जा रहे संदेशों और डेटा की निगरानी करने और उसे इंटरसेप्ट करने का अधिकार हासिल होगा।
प्रस्तावित लोकपाल और उसके अफसरों की शक्तियों और उसके कामकाज को लेकर सिविल सोसाइटी के ड्राफ्ट में कहा गया है कि जिन मामलों में जांच रुकी हुई है, उनमें लोकपाल किसी बेंच को रोगेटरी लेटर जारी करने के लिए अधिकृत कर सकता है।  गौरतलब है कि लेटर रोगेटरी भारतीय अदालत द्वारा किसी विदेशी अदालत को लिखी जाने वाली चिट्ठी है, जिसमें न्यायिक सहायता मांगी जाती है।