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मध्यप्रदेश : नर्सरी और जूनियर किंडरगार्टन स्कूल भी फीस कानून के दायरे में

भोपाल। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए बनाया गया बहुप्रतीक्षित 'मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक 2017' गुरुवार को विधानसभा पटल पर रखा गया। सरकार ने नर्सरी, जूनियर और सीनियर किंडरगार्टन स्कूलों को भी कानून के दायरे में रखा है।


प्रस्तावित कानून में साफ है कि सरकार स्कूलों की फीस तय नहीं करेगी, लेकिन स्कूल 10 फीसदी से ज्यादा फीसवृद्धि भी नहीं कर सकेंगे। सरकार ने धार्मिक और आवासीय स्कूलों को कानून से बाहर रखा है।


हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार पिछले ढाई साल से कानून बना रही थी। इन सालों में चार बार कानून का मसौदा बदला गया है। रविवार को कैबिनेट ने प्रस्तावित कानून को मंजूरी दी थी और गुरुवार को स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने यह विधेयक विधानसभा में रखा।


सदन में चर्चा के बाद कानून पारित किया जाएगा। नियम जारी होने के तीन माह के अंदर कानून लागू हो जाएगा। इसके साथ ही निजी स्कूलों को पिछले तीन साल का लेखा-जोखा स्कूल शिक्षा विभाग को दिखाना होगा। कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि जिस स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, विभाग चाहे तो उसमें प्राधिकारी नियुक्त कर सकेगा। हालांकि वह सहायक संचालक से कनिष्ठ नहीं होगा।


स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए जिला और राज्य स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। 15 फीसदी से ज्यादा फीसवृद्धि और जिला समिति की अनुशंसा से आए मामलों का निपटारा राज्य समिति करेगी। हालांकि 10 फीसदी से ज्यादा, लेकिन 15 फीसदी से कम फीसवृद्धि के मामले जिला समितियां सुनेंगी।


इन्हें 45 दिन में शिकायत का निराकरण करना होगा। कानून में स्कूलों द्वारा छात्र, उसके माता-पिता और अभिभावकों से दान लेने पर भी रोक लगाई गई है। वहीं स्कूल नकद फीस भी नहीं ले सकेंगे। उन्हें बैंक खाते में फीस जमा करवानी होगी।


समितियों को सिविल कोर्ट की शक्तियां


इस कानून में जिला और राज्य समितियों को सिविल कोर्ट की शक्तियां दी गई हैं। ये समितियां किसी साक्षी को समन और साक्षी के परीक्षण के लिए कमीशन जारी कर सकती हैं। समितियां अधिक फीस लेने के मामलों में स्कूलों को फीस वापस करने के आदेश दे सकेंगी और स्कूल पर अर्थदंड भी लगा सकेंगी।


जिस स्कूल को पहली बार राशि वापस करने के निर्देश दिए जाएंगे, उस पर दो लाख रुपए, वहीं जिसे दूसरी बार निर्देश दिए जाएंगे उस पर चार लाख रुपए का अर्थदंड लगाया जा सकेगा। इसके अलावा समितियां स्कूल की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा कर सकेंगी।


इन फीस पर रहेगी नजर


शिक्षण, पुस्तकालय, वाचनालय, खेल, प्रयोगशाला, कम्प्यूटर, कॉशन मनी, परीक्षा फीस, राष्ट्रीय पर्व, वार्षिक उत्सव, खेलकूद स्पर्धा, प्रवेश, पंजीयन, विवरण पत्रिका फीस को कानून में शामिल किया गया है।


कमेटी में कलेक्टर-कमिश्नर


जिला समिति कलेक्टर की अध्यक्षता में काम करेगी। जबकि राज्य स्तरीय समिति आयुक्त लोक शिक्षण की अध्यक्षता में काम करेगी।


कानून में यह भी

- स्कूल शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के दस्तावेजों की जांच कर सकेगा। जब्ती भी बनाई जा सकेगी।

- स्कूलों को फीस वृद्धि की स्थिति सत्र शुरू होने से पहले बतानी होगी।

- छात्र, उसके माता-पिता और अभिभावक कर सकेंगे शिकायत।

- गड़बड़ी पकड़ आने पर जिला समितियां स्वप्रेरणा से संज्ञान ले सकेंगी।

- फीस बढ़ाने वाले स्कूलों की अधोसंरचना और खर्चे देखे जाएंगे।