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मध्यप्रदेश: ब्याज माफी मिलेगी पर पहले साल कर्ज में नकदी नहीं

भोपाल। चुनावी साल में सबसे बड़े वोट बैंक किसानों को साधने के लिए सरकार ने समझौता योजना का मसौदा तैयार कर लिया है। इसमें डिफाल्टर किसानों को ब्याज माफी तो दी जाएगी पर पहले साल जीरो परसेंट ब्याज पर नकदी नहीं मिलेगी।

इसकी जगह इन्हें सामग्री यानी खाद व बीज मुहैया कराया जाएगा। योजना का फायदा साढ़े 17 लाख किसानों को मिल सकता है। इस पर सरकार के ऊपर 14 सौ से लेकर 19 सौ करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त वित्तीय भार आ सकता है।


सूत्रों के मुताबिक सहकारिता विभाग ने तीन-चार तरह के प्रस्ताव योजना के लिए तैयार किए हैं। इसमें सभी लघु और सीमांत किसानों को ब्याज माफी देने के अलावा बड़े किसानों को 50 या 75 फीसदी तक ब्याज में छूट देने का प्रस्ताव है। यदि योजना सिर्फ लघु और सीमांत किसान तक ही सीमित रहती है तो लगभग 14 सौ करोड़ रुपए का व्यय भार आएगा।


यदि छूट के दायरे में बड़े किसानों को भी शामिल किया जाता है तो फिर 19 सौ करोड़ रुपए तक लग सकते हैं। इसमें यह शर्त रहेगी कि संबंधित किसान को कर्ज की पचास फीसदी रकम एकमुश्त पहले चुकानी होगी। बाकी रकम दो या तीन किस्त में ली जा सकती है।


इसके साथ ही यह भी प्रस्तावित किया जा रहा है कि डिफाल्टर की श्रेणी से बाहर निकलने वाले किसानों को पहले साल में जीरो परसेंट ब्याज योजना के तहत सिर्फ सामग्री (खाद-बीज) ही बतौर कर्ज में दी जाएगी। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि नकदी देने से किसान उधार राशि लेकर चुका देगा और जीरो परसेंट ब्याज पर कर्ज लेकर संबंधित को अदा कर देगा।


इससे सरकार को डिफाल्टर किसानों को मुख्यधारा में लाने का जो मकसद है वो पूरा नहीं हो पाएगा। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि योजना पर दो बार मुख्यमंत्री के स्तर पर चर्चा हो चुकी है। उन्होंने विभिन्न् विकल्पों पर विचार करने के निर्देश दिए थे। नए साल में मुख्यमंत्री के सामने एक बार फिर प्रस्तावित योजना रखी जाएगी। यदि सहमति बन जाती है तो फिर इसे अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।