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मध्‍यप्रदेश के इंदौर में अमीरों के 'गुलाम' बन रहे गरीब बच्चे

सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। अमीर परिवार के लोग अपने बच्चों की परवरिश के लिए गरीबों के बच्चों का बचपन छीन रहे हैं। इंदौर में दूसरे प्रदेशों से बच्चों को खरीदकर नौकर बनाने का चलन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। सालभर में 10 से ज्यादा मासूम बाल श्रमिकों के मामले उजागर हुए, जिन्हें बड़े परिवारों ने घरेलू नौकर बना दिया। अब श्रम विभाग ने एनजीओ और महिला बाल विकास विभाग के साथ मिलकर ऐसे घरों में दबिश देने की तैयारी कर ली है।

बुधवार को लिंबोदी ग्राम में एसएएफ के जवान के घर से 13 साल की बच्ची को श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिस ने मुक्त करवाया था। खुद खेलने पढ़ने की उम्र में यह मासूम उस जवान की बच्ची को संभालने के साथ घर का झाड़ू-पोंछा और बर्तन मांजने का काम करती थी। पड़ोसियों की शिकायत पर यह बच्ची तो मुक्त होकर अपने घर पहुंच जाएगी, लेकिन इस घटना ने उन तमाम घटनाओं को भी ताजा कर दिया है, जो बीते सालभर में हो चुकी हैं।

शहर में बच्चों को नाममात्र के दाम पर घरेलू नौकर बनाने का चलन तेजी से चल पड़ा है। सालभर में ही 10 बाल श्रमिकों के मामले दर्ज हुए, जिन्हें परिवार वाले बंधक बनाकर नौकर का काम लेते थे। पुलिस व श्रम विभाग विभाग लगातार घटनाएं उजागर होने के बाद भी इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा सका। न तो पुलिस ऐसे घरेलू नौकरों का रिकार्ड रखती है, न ही श्रम विभाग घर घर में पड़ताल करवाता है।

करोसिया कांड के बाद भी नहीं जाग रही पुलिस

पिछले दिनों एरोड्रम रोड पर रहने वाले सुनील करोसिया का इतना खतरनाक खेल उजागर होने के बाद भी पुलिस महकमा नहीं जाग रहा है। करोसिया ने भी 10 साल की बच्ची को घर के काम-काज के लिए रखा था, जबकि उसके माता-पिता फार्म हाउस पर चौकीदारी करते थे। करोसिया लगातार बच्ची का यौन शोषण करता रहा। आखिर मौका पाकर बच्ची ही वहां से भागी, तब जाकर मामला उजागर हुआ। हाल ही में कोर्ट ने करोसिया को सजा सुनाई है।

हादसे के लिए कौन जिम्मेदार?

घरेलू नौकरों में ज्यादा संख्या लड़कियों की ही है। बिना किसी कागजी लिखा-पढ़ी के माता-पिता शहरी चकाचौंध के चक्कर में बच्चों को भेज देते हैं। ऐसे में बच्चों के साथ शारीरिक व मानसिक शोषण की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में अगर बच्चों के साथ कोई घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

लगातार सामने आए बच्चों को नौकर बनाने के मामले

- तुकोगंज के टाइल्स व्यापारी ने करीब 12 साल की बच्ची को बंधक बनाया हुआ था। यहां दूसरे नौकर बच्ची को प्रताड़ित करते थे। परेशान होकर बच्ची भागी तब रेलवे पुलिस के जरिये चाइल्ड लाइन पहुंची। मामले में मालिक के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज हुई।

- जूनी इंदौर थाना इलाके में भी एक बच्ची को बाल श्रमिक बनाकर बंधक रखा था। यह लड़की भी घर से भागी, तब मामला उजागर हुआ।

- खंडवा रोड पर रहने वाला बीज अधिकारी भोपाल के पास से बच्ची को नौकर बनाकर लाया और उस मासूम को अपनी बेटी संभालने में लगा दिया।

- पिछले दिनों लिंबोदी ग्राम के पास आश्रय कॉलोनी निवासी जेडएस लारी के घर से 13 साल की बच्ची को मुक्त करवाया। बच्ची को उत्तर प्रदेश से लाया गया था।

- बुधवार को एसएएफ के जवान के घर से 12 साल की बच्ची को मुक्त करवाया, जिसे छग से घर के कामकाज के लिए लाया गया था।

बच्चों से काम करवाया तो एक साल तक की सजा

चौदह साल से कम उम्र के बच्चों से घरेलू या बाहर किसी भी तरह का काम करवाना अपराध की श्रेणी में है। बाल श्रम निषेध कानून के तहत बाल श्रम का प्रकरण दर्ज होने पर मालिक पर 20 हजार रुपए का जुर्माना, 20 हजार रुपए क्षतिपूर्ति राशि और 3 महीने से 1 साल तक की सजा का प्रावधान है।

14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम करवाने और घरेलू नौकर बनाने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इसी सिलसिले में श्रम विभाग द्वारा महिला बाल विकास और एनजीओ के साथ मिलकर हर हफ्ते एक जगह छापामार कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई की जानकारी टीम के सदस्यों को भी नहीं रहेगी, इससे सूचना लीक होने की संभावना नहीं रहेगी। लोग भी विभाग को 0731-2533800 पर गोपनीय सूचना दे सकते हैं।

-जेएस उद्दे, सहायक आयुक्त,श्रम विभाग

मानसिकता ही गुलामी की हो जाती है

माता-पिता अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा पाने और पैसे के लालच में बच्चों को शहर भेज देते हैं। ऐसे बच्चों की नौकर का काम करते-करते मानसिकता ही गुलामी की हो जाती है। शिक्षा,स्वास्थ्य, मनोरंजन जैसी बुनियादी जरूरतें पीछे छूट जाती हैं। इन्हें वयस्क कामगार से भी कम मेहनताना दिया जाता है।