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मध्‍यप्रदेश के इस गांव में पॉलीथिन के बदले घर-घर बांट रहे थैले

मनोज रैकवार, सुधीर मिश्रा, मड़ियादो, दमोह। मध्‍यप्रदेश के हटा विकासखंड के देवरी गांव में पॉलीथिन से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखकर पूर्व जनपद सदस्य गंगाराम पटेल गांव में घर-घर जाकर कपड़े की थैलियां बांटते हैं। इसके अलावा पॉलीथिन से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी भी ग्रामीणों को देते हैं। इनके प्रयास से अब गांव में पॉलीथिन का कम से कम उपयोग होने लगा है।

मप्र सरकार ने दिसम्बर से पॉलीथिन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने पर निर्णय लिया। लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि देवरी गांव के पूर्व जनपद सदस्य श्री पटेल के प्रयास से अब गांव में पॉलीथिन फेंकने, उपयोग करने पर रोक लग चुकी है। पूर्व जनपद सदस्य समेत गांव के दो अन्य लोग गांव को पॉलीथिन मुक्त करने का बीड़ा पिछले तीन साल से उठाए हुए हैं। जिसके बाद ही उन्हें यह सफलता मिली।

दरसअल, देवरी गांव में आने वाली पॉलीथिन को लोग सड़कों और कचरा वाले स्थान पर ना फेंकर घर में एक जगह बोरी में रख लेते हैं। जिसको गांव का एक युवक बिना किसी परिश्रमिक के उठा ले जाता है। पूरे गांव को पॉलीथिन से निजात दिलाने वाले पूर्व जनपद सदस्य गंगाराम पटेल, विजय पटेल, चउदा अहिरवार के साथ अब गांव के अन्य युवक भी सहयोग करने लगे हैं।

इसके अलावा पूर्व जनपद सदस्य गंगाराम पटेल ने गांव में होने वाले कार्यक्रमों में फाइबर थालियां और डिस्पोजल पर भी रोक लगाकर दोना और थालियों को उपयोग में लाने पर जोर दिया है। गंगाराम पटेल द्वारा पूरे गांव में पॉलीथिन में आने वाले सामान को देखते हुए निजी खर्च पर प्रति परिवार कपड़े की थैलियां भी वितरित की गईं हैं।

इस तरह मिली प्रेरणा

देवरी में जन्म पूर्व जनपद सदस्य गंगाराम पटेल का कहना है कि तीन साल पहले उन्हें जनअभियान परिषद की प्रस्फुटन समिति ने पर्यावरण समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया था। उस दौरान पॉलीथिन से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी थी। इस दुष्प्रभाव की जानकारी मिलने के बाद उन्हें लगा कि पॉलीथिन वास्तव में खतरनाक है। जिससे ही उन्होंने तब से पॉलीथिन का विरोध किया। उन्होंने बताया कि गांव के प्रत्येक घर में कपड़े की थैलियों के वितरण और दोना-पत्तल उपलब्ध कराने के इस कार्य में उनका करीब एक लाख रुपये खर्च आया है।

पॉलीथिन का यह उपयोग

गंगाराम पटेल द्वारा गांव के हर एक घर में जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया। जिसके चलते वहां के लोग अपने घर में एक बोरी रखने लगे हैं। जिसमें कभी-कभार आने वाले पॉलीथिन को एकत्रित कर देते हैं। चउदा अहिरवाल और गंगाराम पटेल इन बोरियों को भर जाने के बाद अपने घर ले जाते हैं और किसी सड़क निर्माण के दौरान इन बोरियों को दफना देते हैं। इस पूरे आवागमन आदि का व्यय गंगाराम पटेल स्वयं उठाते हैं।

अब अन्य गांव में भी कर रहे प्रयास

गंगाराम पटेल हटा में रहते हैं। लेकिन हर सप्ताह अपने गांव आकर चउदा अहिरवार के साथ गांव का भ्रमण करते हैं और लोगों को पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देते हैं। ग्रामीणों की जागरुकता के कारण ही अब गांव में नालियों में भी पॉलीथिन नजर नहीं आती है। इसके अलावा गंगाराम पटेल द्वारा अन्य गांव चकरदा, डोली, घूमा में भी कपड़े की थैलियां का वितरण कर पॉलीथिन का उपयोग न करने ग्रामीणों को सलाह दी है। ग्रामीण मुलुआ अहिरवाल का कहना है कि जनपद सदस्य द्वारा पॉलीथिन के दुष्प्रभाव की जानकारी देने के कारण अब गांव में पॉलीथिन प्रतिबंधित है।

खुद उपलब्ध कराते हैैं पत्तल दोना

गांव में फाइबर थालियों और डिस्पोजल के उपयोग पर रोक लगाने वाले गंगाराम पटेल गांव वालों को खुद सामूहिक कार्यक्रम में पत्तल दोना उपलब्ध कराते हैं। जिसके लिए उनके द्वारा हटा में तीन चार लोग काम पर लगाए गए हैं। पत्तल-दोना उपलब्ध कराने पर गंगाराम पटेल द्वारा लगभग फाइबर सामान के मूल्य के बराबर ही रुपये लिए जाते हैं।

मुझे अपने गांव को पॉलीथिन के उपयोग से मुक्त करना है। इसके लिए प्रयास कर रहा हूं और सफलता भी मिल रही है। अब मेरे गांव में फाइबर थालियां, गिलास का उपयोग नहीं हो रहा है। इसके अलावा लोग भी पॉलीथिन के नुकसान को समझने लगे हैं। - गंगाराम पटेल, पूर्व जनपद सदस्य देवरी

मुझे गंगाराम पटेल ने पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया कि मैने मन में ठान ली। अब में बिना किसी पारिश्रमिक के प्रति सप्ताह भर पूरे गांव में पॉलीथिन बीनता हूं और उनके घर रख आता हूं। - चउदा अहिरवाल, जागरुक ग्रामीण।

गांव में शादी-विवाह कार्यक्रम में पत्ता दोना की सप्लाई में मेरा सहयोग रहता है। मैं इस सराहनीय कार्य में अपना योगदान देने की कोशिश कर रहा हूं। - विजय पटेल, जागरुक ग्रामीण।