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मध्‍यप्रदेश में राजपुरा की राह पर चलेंगे 56 गांव

धार/अमझेरा(मध्‍यप्रदेश)। सरदारपुर विकासखंड का राजपुरा ग्राम जिले के 56 गांवों को विकास की नई राह दिखाएगा। जैविक खेती के प्रति अपने रुझान के कारण राजपुरा के लोग इन दिनों चर्चा में हैं। अब कृषि विभाग भी जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए राजपुरा को मॉडल के रूप में प्रदर्शित कर अन्य गांवों के लोगों को प्रेरित करेगा। विभाग ने इसके लिए योजना भी बना ली है। जिले के प्रत्येक विकासखंड के 5-5 गांवों को इसके लिए चयनित किया है।

राजपुरा ऐसा गांव है जहां पर महिलाएं भी जागरूक हैं और वे अपने परिवार के सदस्यों से यह अपेक्षा रखती हैं कि लकड़ी के चूल्हे की बजाय गोबर गैस उपलब्ध करवाएं। वहीं राजपुरा का जैविक गेहूं गुजरात के व्यापारी ऊंचे दाम पर खरीदकर यहां से ले जाते हैं।

गौरतलब है कि इंदौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत आए थे। तब उन्होंने मप्र में जैविक खेती को लेकर प्रशंसा की थी। इसके बाद प्रदेशभर में जैविक खेती को लेकर एक नई शुरुआत होने लगी। इसी के चलते प्रत्येक जिले के प्रत्येक विकासखंड में पांच-पांच गांव को जैविक ग्राम बनाने के लिए निर्णय लिया गया। इसी के चलते जिले के 65 गांवों का चयन कर लिया गया है।

रासायनिक खाद का कम उपयोग

इन दिनों जहां यूरिया से लेकर अन्य खादों को लेकर किल्लत है वहीं ग्राम राजपुरा में इसको लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है। वजह यह है कि यहां के किसान अपने गेहूं के उत्पादन के लिए जैविक खाद का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। करीब 2 हजार 600 बीघा जमीन में जैविक खाद का उपयोग होता है। हालांकि किसानों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे शतप्रतिशत जैविक खाद पर निर्भर नहीं है।

कुछ मात्रा में उन्हें रासायनिक खाद का उपयोग करना पड़ता है। वहीं कीटनाशक से लेकर अन्य मामलों में भी जागरूकता है। नीम के तेल, छाछ से लेकर अन्य जैविक साधनों से बनी हुई कीटनाशक व नींदानाशक का उपयोग होता है।

इस बारे में ग्राम के बोंदर पटेल ने बताया कि हमारे यहां पर फसलों में जैविक खाद का ही ज्यादा उपयोग होता है। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट, नाडेप आदि का उपयोग हो रहा है। गुजरात तक हमारा गेहूं व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं। वहां पर जैविक गेहूं के नाम पर ऊंचे दाम पर गेहूं को बेचा जाता है।

सब्जी के लिए प्रसिद्घ राजपुरा

इधर उद्यानिकी खेती के लिए भी राजपुरा प्रसिद्घ है। यहां पर उद्यानिकी फसलों का विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। जैविक खाद के माध्यम से सब्जियां उगाई जा रही हैं और प्रदेश की कई बड़ी मंडियों में यह सब्जियां पहुंचाई जा रही हैं। दूसरी ओर जैविक खेती के मामले में आदर्श ग्राम है और इसी को मॉडल के रूप में देखते हुए 56 ग्रामों में कवायद होगी।

अधिकांश घरों में गोबर गैस

इधर महिलाएं भी जागरूक हैं और वे गोबर गैस पर ही खाना पकाने के लिए प्रयासरत रहती हैं। इस गांव में 135 परिवार हैं और उनमें से 110 परिवार में गोबर गैस है। चूल्हे और गैस की टंकी की बजाय यहां घर-घर उजाले और ईंधन के लिए बायो गैस का इस्तेमाल होता है।

जिले के 56 ग्रामों के नाम जैविक ग्राम के लिए चयनित हुए हैं। यह बात सही है कि राजपुरा में जैविक खेती को लेकर बेहतर काम हुए हैं। इसे मॉडल के रूप में देखा जा सकता है और अन्य ग्राम में भी उसे अपनाया जा सकता है। जिले में 400 से अधिक किसान ऐसे हैं जो कि जैविक खेती विशेष रूप से कर रहे हैं।

-आरपी कनेरिया, उप संचालक कृषि विभाग धार