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मनरेगा की सीबीआई जांच पर बिफरी माया, पीएम को पत्र

मनरेगा के क्रियान्वयन में अनियमितता की सीबीआई से जांच की मांग पर कडा़ एतराज जताया है और इस संबंध में पीएम को पत्र भेजा है।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम [मनरेगा] के क्रियान्वयन में राज्य में अनियमितता की शिकायत और इसकी केन्द्रीय जांच ब्यूरो [सीबीआई] से जांच की मांग पर कडा़ एतराज जताते हुए इस संबंध में शुक्रवार को प्रधानमंत्री को पत्र भेजा।

मुख्यमंत्री ने रमेश के 24 अक्टूबर को भेजे पत्र का जवाब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया और कहा कि केन्द्रीय मंत्री का पत्र राजनीति से प्रेरित है और राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार को बदनाम करने के लिए लिखा गया है। राज्य सरकार इसकी जांच सीबीआई से कराने की जरूरत नहीं समझती।

राज्य के मंत्रिमंडलीय सचिव शशांक शेखर सिंह ने यहां संवाददाताओं के समक्ष प्रधानमंत्री को भेजे पत्र की प्रति जारी की और कहा कि रमेश की मंशा इसी से स्पष्ट हो जाती है कि राज्य सरकार को भेजे पत्र को उन्होंनें पहले मीडिया को जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पत्र लिखने के पहले रमेश को इस मामले में संवैधानिक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए थी।

सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि केन्द्रीय मंत्री को पत्र लिखने से पहले संविधान में केन्द्र और राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे के लिए की गई व्यवस्था की जानकारी लेनी चाहिए थी। रमेश को यह भी पता होना चाहिए कि मनरेगा समेत तमाम योजनाओं के लिए केन्द्रीय राशि राज्यों द्वारा ही प्राप्त राजस्व के निर्धारित मानकों के आधार पर आवंटित की जाती है।

उन्होंनें कहा कि मनरेगा के क्रियान्यवनों में केन्द्रीय मंत्री के लगाए आरोप तथ्यों से परे और बेबुनियाद हैं। पिछले तीन साल में मनरेगा के क्रियान्यवयन में उत्तर प्रदेश सरकार अन्य राज्यों से काफी आगे रहा है और यह बात केद्र सरकार की ओर से शुरू की गई मनरेगा की वेब साइट में कही गई है।

प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा गया है कि मनरेगा में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं करने का केन्द्रीय मंत्री का आरोप भी पूरी तरह से गलत है। राज्य सरकार को शिकायत की 67 रिपोर्ट मिली जिसमें 49 में कार्रवाई की गई। राज्य सरकार ने लगभग तीन सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की और 54 लाख रुपए वसूले गए। इसके अलावा एक करोड़ 31 लाख रुपए की वसूली की प्रक्रिया जारी है। दो जिलाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई विचाराधीन है।

मायावती ने पत्र में कहा कि रमेश ने मनरेगा के बजट को रोकने की धमकी दी है। इससे जाहिर है कि केन्द्रीय मंत्री को संविधान में संघीय व्यवस्था के तहत वित्तीय अधिकारों की जानकारी नहीं है। रमेश यह समझते हैं कि केन्द्रीय परियोजनाओं के लिए सहायता देना केन्द्र का ही अधिकार है और वह चाहे तो किसी राज्य को इसे नहीं भी दे सकता है।

उन्होंनें कहा कि रमेश ने पत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] में हुए घोटाले का जिक्र अपने पत्र में किया है, जबकि उन्हें समझना चाहिए कि वह उनका विभाग नहीं है। ग्रामीण विकास मंत्रालय का एनआरएचएम से कोई लेना देना नहीं है। रमेश ने मनरेगा में हुए घोटाले की सीबीआई जांच का सुझाव दिया है जिसे माना नही जा सकता, क्योंकि आरोप सामान्य तरह के हैं और किसी खास बिन्दु पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

उन्होंनें कहा कि रमेश ने एक स्वयंसेवी संस्था की जांच रिपोर्ट के हवाले से राज्य के 75 जिलों में सात जिलों में क्रियान्यवयन में गड़बडी़ की शिकायत की है। रमेश ने जिन जिलों और हुए काम का जिक्र किया है उनका संज्ञान लिया जा रहा है। बलरामपुर, गोंडा, महोबा और मिर्जापुर में हुई अनियमितताओं की जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराई जा रही है।

सिंह ने कहा कि राज्य सरकार अन्य एजेंसियों से भी जांच करा रही है और जांच एजेंसी को इसे जल्द पूरा करने को कहा गया है। राज्य सरकार ने मनरेगा में उपलब्ध राशि में साठ प्रतिशत खर्च कर दिया है। शेष राशि की मांग के लिए पत्र लिखा गया है।