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मनरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं, छाया रहा मुद्दा

बिलासपुर(निप्र)। जिला पंचायत के पास मनरेगा के मजदूरों को देने के लिए फंड ही नहीं है। मजदूर पिछले कई दिनों से चक्कर काट रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर सामान्य सभा की बैठक में चर्चा हुई। इसके अलावा अन्य कई मुद्दों पर एजेंडावार चर्चा और समीक्षा की गई।

सोमवार दोपहर एक बजे से जिला पंचायत सभा कक्ष में अध्यक्ष दीपक साहू की अध्यक्षता में सामान्य सभा और सामान्य प्रशासन समिति की बैठक आयोजित की गई। इसमें जिला पंचायत के सभी सदस्यों के अलावा विभाग प्रमुखों को बुलाया गया था। बैठक में एजेंडे के अनुसार चर्चा की गई। सबसे अहम चर्चा मनरेगा को लेकर हुई। जिला पंचायत में फंड नहीं होने के कारण मनरेगा के मजदूरों को पिछले कई महीनों से भुगतान नहीं हुआ है। मजदूरों का करीब 21 करोड़ रुपए अटका हुआ है। इस पर जिला पंचायत सीईओ जेपी मौर्य ने बताया कि इस मद से राज्य को 50 करोड़ रुपए मिले हैं। एक सप्ताह के भीतर मजदूरों को भुगतान कर दिया जाएगा। कुछ जनपद पंचायतों में डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण को लेकर भी दिक्कत आ रही है। सदस्यों का कहना था कि मनरेगा फंड से डब्ल्यूबीएम की स्वीकृति नहीं हो रही है, जबकि इसमें प्रावधान तय किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग में अपात्र महिला स्व सहायता समूहों को रेडू टू ईट का काम सौंप दिया गया है। इस पर भी चर्चा की गई। सदन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन करने की अनुशंसा की। इस पर टीम गठित कर दी गई है। टीम को 15 दिनों के भीतर जांच कर प्रतिवेदन देना है। बैठक में जिला पंचायत सीईओ के अलावा अध्यक्ष दीपक साहू, अलका ज्वाला सूर्यवंशी, सीमा एस मनहर के अलावा अन्य उपस्थित थे।

महीनों से नदारद 9 शिक्षाकर्मियों की जाएगी नौकरी

जिले में कार्यरत 9 शिक्षाकर्मी पिछले कई महीनों से अपने दायित्व पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं। उन्होंने इसका न तो उचित कारण बताया है और न ही त्यागपत्र दिए हैं। सामान्य प्रशासन समिति की बैठक में मामला सामने आने के बाद सदन ने उन्हें नौकरी से बाहर करने की अनुशंसा की है।

गौशाला योजना में 10.50 लाख का घोटाला

जिला पंचायत की ओर से 2013 में गौशाला योजना की शुरुआत की गई थी। जिले में 6 जगह गौशाला बनाई गई है। इसके तहत हितग्राहियों को अच्छे नस्स की गाय का वितरण किया गया था। 2013-14 और 2015-16 में कई हितग्राहियों को मवेशी वितरण किया गया है। इसमें जमकर घोटाला होने की शिकायत मिली थी। पिछली बार हुई सामान्य सभा की बैठक में मुद्दा उछलने पर इसकी जांच कराई गई। सोमवार को जांच टीम ने प्रतिवेदन पेश किया। इसमें साढ़े 10 लाख रुपए की गड़बड़ी उजागर हुई है। टीम ने पेंड्रा ब्लॉक के तरई और बिल्हा ब्लॉक के गतौरा का निरीक्षण किया था। तरई गांव में ज्ञानेंद्र उपाध्याय के साथ पशु चिकित्सा अधिकारी और गतौरा अनिता राजेश सूर्यवंशी की टीम गई थी। जांच तीन गौशाला की हुई थी, लेकिन एक की रिपोर्ट सही निकली है।