Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/मशहूर-अर्थशास्त्री-ज्यां-द्रेज-का-अध्ययन-तमिलनाडु-छत्तीसगढ़-और-बिहार-आदर्श-8009.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का अध्ययन, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और बिहार आदर्श | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का अध्ययन, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और बिहार आदर्श

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के मुद्दे पर मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और रीतिका खेड़ा का एक अध्ययन हाल ही में मशहूर पत्रिका ‘इकॉनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली' में प्रकाशित हुआ है, जो बताता है कि तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, बिहार और ओड़िशा में पीडीएस में अभूतपूर्व सुधार हुआ है. अर्थशास्त्रियों ने माना है कि लीकेज से संबंधित सरकारी आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किये गये हैं. पढ़ें इस मुद्दे पर एक टिप्पणी.

ज्यां द्रेज एक मशहूर अर्थशास्त्री के साथ-साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के पैरोकार हैं. अपनी सहयोगी रीतिका खेड़ा के साथ उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुधार संबंधी कुछ चौंकानेवाले तथ्य पेश किये. दरअसल, द्रेज इस बात की वकालत करते रहे हैं कि पीडीएस में सुधार ही खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है. हाल ही में गठित शांता कुमार कमेटी ने इस प्रणाली के प्रभावशाली होने पर सवालिया निशान लगाया है. कमेटी के अनुसार, इस प्रणाली में व्यापक लीकेज की वजह से सीधे कैश ट्रांसफर करना ज्यादा उचित होगा.

इसी संदर्भ में द्रेज और रीतिका ने कुछ नये तथ्य रखे. इनमें सबसे महत्वपूर्ण था बिहार के पीडीएस में लगातार होता सुधार. लगभग 2,400 घरों में कटिहार, गोपालगंज, नालंदा और गया जिले के सार्वजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा हुई, जिसमें उत्कृष्ट सुधार पाया गया. पूरे बिहार में यह सुधार अभूतपूर्व था. यानी वर्ष 2004-05 में जहां पीडीएस से लगभग 90.9 प्रतिशत अनाज लोगों को नहीं मिलता था, वर्ष 2011-12 में यह घट कर 24.4 प्रतिशत हो गया. तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ के बाद बिहार पीडीएस में अभूतपूर्व सुधारवाला तीसरा राज्य था.

दिलचस्प बात यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं कैश ट्रांसफर के पैरोकार रहे हैं. लेकिन, उनकी इस सोच ने बिहार की सार्वजनिक प्रणाली में सुधार से नहीं रोका. एक वैकल्पिक सोच होने के बावजूद नीतीश ने बार-कोडिंग कूपन के जरिये पीडीएस में व्यापक रूप से होती चोरी पर अंकुश लगाया. द्रेज और खेड़ा ने इस बात की तसदीक जमीन पर लोगों से बात कर की.

वहीं, गुजरात में पीडीएस में चोरी 51.7 से बढ़ कर 67.5 प्रतिशत तक चली गयी. महाराष्ट्र में 2004-05 में चोरी 49.3 प्रतिशत थी, जो 2011-12 में 48.2 प्रतिशत हो गयी. ओड़िशा में कुछ सुधार हुआ और चोरी 76.3 प्रतिशत से घट कर 25.0 प्रतिशत हो गयी.
दिलचस्प यह है कि समृद्ध प्रदेशों में ज्यादातर यह चोरी लगभग 50 प्रतिशत के ऊपर रही. यानी गरीबों को भेजे जा रहे अनाज का आधा हिस्सा चोरी की भेंट चढ़ गया. अगर घोटाले के रूप में इसका आकलन हो, तो यह हजारों करोड़ में होगा. पर, यह भी तथ्य है कि जिन राज्यों में इच्छाशक्ति थी, वहां इन घोटालों पर अच्छी तरह लगाम लगायी जा सकी. छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार और ओड़िशा इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं.

आंकड़ों के इस चक्र व्यूह से थोड़ा हट कर देखें, तो लगेगा कि पिछले आठ सालों में बिहार में गवर्नेस के सुधार में अच्छा काम हुआ था. पीडीएस का सुधरना, बिजली का बढ़ा उत्पादन, सड़क यातायात में सुधार, कानून-व्यवस्था में सुधार और शिक्षा दर में बढ़ोतरी, इस बात के प्रतीक थे कि बिहार निरंतर विकास की ओर अग्रसर है. आर्थिक रूप से कृषि का विस्तार अभूतपूर्व था. इसमें जरा भी शक नहीं था कि नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में शासन के आधारभूत ढांचे को मजबूत किया था.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव ने बिहार की राजनीति को एक नया रंग दिया. देश भर में उठे एक नये राजनीतिक ज्वार में बिहार भी समा गया. नरेंद्र मोदी ने देश के सामने एक नया सपना रखा, जिससे बिहार भी प्रभावित हुआ. चुनाव में नीतीश की अप्रत्याशित हार हुई. बिहार की जनता को पूरा हक है नये सपने देखने का. राजनीति एक सतत यात्र है, जिसमें हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है किसी व्यक्ति का कार्यकाल और उसका आम जनता पर प्रभाव. इस मानक पर नीतीश कुमार का कार्यकाल निस्संदेह बिहार का बेहतरीन काल था. लगभग आठ साल के इस वक्त की अजिर्त कमाई पर भविष्य के बेहतर बिहार की नींव होगी. दुर्भाग्य ही होगा, अगर यह काल भविष्य के अंधे युग में खो जाये.