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महाराष्ट्र में 45 दिन में 124 किसानों ने आत्महत्या की

मुंबई। इस साल जनवरी से अब तक महाराष्ट्र में 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। राज्य सरकार ने यह जानकारी बॉम्बे हाई कोर्ट को मंगलवार को दी। सरकारी वकील ने डिविजन बेंच को बताया कि इसमें से 20 आत्महत्याएं उस्मानाबाद में ही हुई हैं।

हाई कोर्ट ने किसानों की आत्महत्या की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। एक सप्ताह पहले ही सरकार ने जानकारी दी थी कि जनवरी 2016 में 80 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। वहीं मंगलवार को राज्य सरकार ने बताया कि पिछले 45 दिनों में 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

डिविजन बेंच के जस्टिस नरेंद्र पाटील ने कहा कि यह आंकड़ा गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। हम सरकार से यह जानना चाहते हैं कि उसने किसानों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कोर्ट ने सरकार से यह जानना चाहा है कि क्या उसने राज्य के चारा डिपो को बंद करने का निर्णय ले लिया है? इस बारे में सरकार के वकील का कहना था कि इस बारे में हमें राज्य से निर्देश लेना है। उल्लेखनीय है कि 21 जनवरी 2016 को सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र में 2015 में 1000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

इस पर हाई कोर्ट ने यह सुझाव दिया था कि सरकार को इस संकट से निपटने के लिए कार्पोरेट की मदद लेनी चाहिए। कार्पोरेट गांवों को गोद लेकर या किसानों को जरूरी उपकरण ट्रैक्टर आदि मुफ्त में उपलब्ध करा कर मदद कर सकते हैं। सामूहिक खेती भी है विकल्पकोर्ट ने सरकार को सामूहिक खेती करवाने का सुझाव भी दिया था।

इससे खास तौर पर छोटी जोत वाले किसानों को मदद मिलेगी क्योंकि वे फसल की लागत भी नहीं निकाल पाते। हाई कोर्ट ने किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने के लिए भी कहा था। सरकार ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि केंद्र ने संकटग्रस्त किसानों के लिए 3,500 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है।

वहीं राज्य सरकार ने 2500 करोड़ इस मद में रखे हैं, जिसमें से 14.34 करोड़ रुपए ही किसानों को वितरित किए गए हैं। आशुतोष कुंभकोनी को हाई कोर्ट ने न्याय मित्र नियुक्त किया है। उन्होंने बताया था कि नेशनल ब्यूरो ऑफ क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक महाराष्ट्र में पिछले पांच साल में 15978 किसानों ने आत्महत्या की है