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महाराष्ट्रः किसानों ने जीती जंग, मुंबई ने जीता दिल

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। नासिक से 180 किलोमीटर का पैदल मार्च करते मुंबई पहुंचे करीब 50,000 किसानों का आंदोलन सोमवार को सरकार से वार्ता के बाद समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बनाई गई छह सदस्यीय समिति के साथ माकपा के किसान संगठन ऑल इंडिया किसान संघ (एआईकेएस) के प्रतिनिधियों की बातचीत हुई। इसमें किसानों की ज्यादातर मांगें न सिर्फ मान ली गईं, बल्कि उन्हें मानने का लिखित आश्वासन भी दिया गया।


मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुख्य सचिव को इन मांगों पर व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देने को कहा है।


किसानों की मुख्य मांगें


-संपूर्ण कर्ज माफी


-न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने


-प्राकृतिक आपदा की स्थिति में प्रति एकड़ 40,000 रुपए तक मुआवजा दिया जाए


लॉन्ग मार्च का नेतृत्व कर रहे किसान नेता हरीश नवले ने कहा है कि सरकार यदि अपने वायदे से पीछे हटेगी, तो किसान आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे। किसान विधानमंडल के चालू सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने मुंबई पहुंचे थे।


किसानों के स्वागत में जहां मुंबईवासियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं किसानों ने भी अपने लॉन्ग मार्च के दौरान मुंबईवासियों को कोई असुविधा नहीं होने दी। यहां तक कि 50,000 किसानों की मौजूदगी के बावजूद पुलिस को दक्षिण मुंबई का यातायात भी इधर-उधर करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।


परीक्षा देने वाले छात्रों का रखा खयाल

किसानों का पैदल लॉन्ग मार्च नासिक से रविवार शाम ही अपने अंतिम पड़ाव यानी मुंबई के सोमैया मैदान पहुंच गया था। सोमैया मैदान में रात को विश्राम कर सोमवार की सुबह उन्हें दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान पहुंचना था, जहां एक सभा के बाद उन्हें विधानसभा का घेराव करने के लिए निकलना था। लेकिन किसानों ने मुंबई जैसे महानगर की समस्या को समझा। उन्हें पता चला कि शहर में बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं, तो उन्होंने सायन से आजाद मैदान का पैदल सफर सुबह शुरू करने के बजाय रात को ही करने का निर्णय किया।


रात्रि भोजन के बाद वे अर्धरात्रि डेढ़ बजे ही आजाद मैदान के लिए रवाना हो गए और शहर में भीड़भाड़ का दौर शुरू होने के पहले ही सुबह आठ बजे तक आजाद मैदान पहुंच गए। यहां तक कि उन्होंने बस से आजाद मैदान पहुंचाए जाने का प्रस्ताव भी विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया। जबकि छह दिन की यात्रा से कई किसानों के पांवों में छाले तक पड़ गए थे और इस मार्च में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।


अन्नदाता को डब्बावालों ने कराया भोजन


किसानों की इस पहल ने जहां महानगरवासियों को ट्रैफिक की तकलीफों से बचाया, वहीं महानगरवासी भी उनके लिए सहृदयता दिखाने में पीछे नहीं रहे। मुंबई के मशहूर डब्बेवालों ने उनके लिए भोजन का प्रबंध किया। मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के प्रवक्ता सुभाष तलेकर का कहना था कि किसान हमारे अन्नदाता हैं। इसलिए हमारा भी फर्ज बनता है कि जब वह आंदोलन करते हुए इतनी दूर से आए हैं, तो हम उनके लिए भोजन का प्रबंध करें। इसलिए हमने दादर से कुलाबा के बीच डिब्बे उठानेवाले साथियों से भोजन इकट्ठा कर आजाद मैदान में किसानों को पहुंचाने की पहल की। डिब्बेवालों ने यह कार्य अपनी रोटी बैंक योजना के तहत किया।


बाकी भी नहीं रहे पीछे

इसके अलावा महानगर के कुछ लोगों ने आजाद मैदान में जुटे किसानों के लिए पानी और खानपान की अन्य सामग्रियों का भी इंतजाम किया। शरीर में पानी की कमी के कारण कुछ किसानों को डायरिया हो गया था। इलाज के लिए आजाद मैदान में डिस्पेंसरी का इंतजाम भी किया गया था।