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महिला सशक्तिकरण की नई इबारत लिखेंगे बैंक

बैंकों के जरिये "राजनीति" करना कोई मोदी सरकार से सीखे। पहले हर घर में एक बैंक खाता और उसके बाद छोटे उद्यमियों को कर्ज देने की स्कीम लागू करने के बाद बैंकों के माध्यम से सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ी मुहिम शुरू करने जा रही है। देश में महिला उद्यमियों की संख्या काफी कम होने और देश के कुल कर्जदारों में महिलाओं की बेहद कम संख्या को देखते हुए इसे बढ़ावा देने की तैयारी है। बैंकों को जल्द ही इस बारे में निर्देश दिये जाएंगे। हर सरकारी बैंक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई तरह की स्कीमें लागू करेंगे।

यूपीए सरकार ने भारतीय महिला बैंक का गठन किया था तब यह कहा गया था कि यह बैंक हर महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाएगा। भारतीय महिला बैंक ने शुरुआत के दो वर्षों के दौरान इस तरह की कई स्कीमें भी लांच की लेकिन मौजूदा सरकार उसके भारतीय स्टेट बैंक में विलय का फैसला कर चुकी है। यह प्रक्रिया जारी है। लेकिन अब हर बैंक को महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष कोशिश करनी होगी।

ताजा आंकड़े बताते हैं कि ग्र्रामीण क्षेत्रों में बैंकों से कर्ज लेने वाले सौ पुरुषों के मुकाबले कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ 33 है। जबकि शहरों में यह अनुपात सिर्फ 16 का है। जबकि निजी क्षेत्र के सिटी बैंक समेत कई बैंकों की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी योजनाओं से साबित हो चुका है कि महिला ग्र्राहक कर्ज लेकर उसे चुकाने में पुरुषों के मुकाबले बेहतर रिकॉर्ड रखती हैं।

अब सरकारी बैंकों से कहा गया है कि शहरों के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं और घरेलू कार्य करने वाली गरीब महिलाओं के लिए खास तौर पर स्कीम तैयार किये जाएं। बैंकिंग विभाग के सूत्रों के मुताबिक महिलाओं के सशक्तिकरण की यह योजना केंद्र सरकार की उस वृहत स्कीम का हिस्सा होगी जिसमें वर्ष 2021 तक देश की 90 फीसद आबादी को सीधे तौर पर देश की आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके लिए दो हजार से कम आबादी वाली देश के 4.90 लाख से ज्यादा गांवों को बैंकों से जोड़ने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसके दूसरे चरण में बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि वह देश के पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले हर गांव में बैंकों की पूर्ण शाखा खोलें।

अभी तक दो हजार से कम आबादी वाले हर गांव में एटीएम, बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट या मोबाइल बैंकिंग जैसे किसी अन्य तरीके से बैंक सेवा शुरू की गई है। लेकिन अब पांच हजार से ज्यादा आबादी वाली हर गांव में बैंकों की पूर्ण सुविधायुक्त शाखा खोली जाएगी। बैंकों को यह काम मार्च, 2017 तक पूरा करने को कहा गया है।