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मां ने बेटे के कंधों पर दम तोड़ा, 1 घंटे बाद एंबुलेंस आई

सिवनी(मध्यप्रदेश)। बीमार मां को बाइक में बैठाकर इलाज के लिए बरघाट अस्पताल ला रहे बेटे के कंधे में बीमार मां ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। मां की लाश को वापस घर लाने के लिए बेटे ने संजीवनी 108 एंबुलेंस और 100 डायल पर कई बार फोन करके मिन्न्त की, लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा। आधे घंटे इंतजार के बाद युवक अपने बेटे की सहायता से शव लेकर गांव जाने लगा।

रास्ते में बाइक भी खराब हो गई। इसी दौरान 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंची, लेकिन ड्राइवर ने शव ले जाने से इनकार कर दिया। हार कर युवक ने ग्रामीणों से मदद मांगी। क्षेत्र के जनपद सदस्य ने बेटे की मदद कर मां के शव को घर पहुंचाने की व्यवस्था कराई। इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना बरघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के उलट गांव की है।

पिछले दो दिनों से उलट गांव निवासी भीमराव नगपुरे अपनी बीमार मां पर्वता बाई (70) को चैकअप के लिए बरघाट अस्पताल बाइक में लेकर जा रहा था। मंगलवार सुबह मां पर्वता बाई को बाइक में बैठाकर पुत्र भीमराव व नाती गौरीशंकर बरघाट अस्पताल जांच कराने निकले थे।

उलट गांव से करीब 17 किमी दूर पटेलटोला (बरघाट) पहुंचने पर बेटे व नाती को एहसास हुआ कि पर्वता बाई की रास्ते में मृत्यु हो गई है। जब नाती गौरीशंकर ने बाइक रोककर देखा तो पुत्र भीमराव के कंधे में सिर रखकर बैठी पर्वता बाई की मौत हो चुकी थी। इस दौरान लोगों का हुजूम सड़क किनारे खड़े भीमराव के आसपास जुटने लगा।

शव पहुंचाने मांगी मदद

पुत्र भीमराव ने मृत मां पर्वता बाई का शव घर पहुंचाने के लिए संजीवनी 108 और 100 डायल वाहन से फोन कर मदद मांगी। काफी देर इंतजार के बाद जब मदद के लिए वाहन नहीं पहुंचे तो पुत्र भीमराव ने मृत मां को बाइक में बैठाया और पटेलटोला से वापस उलट गांव के लिए रवाना हो गए। पटेलटोला से पोनारकला तक 7 किमी का सफर तय करने में दोनों को एक घंटा लग गया।

पोनारकला पहुंचने पर बाइक में खराबी आ गई और पुत्र ने मां का शव गांव पहुंचाने ग्रामीणों से मदद मांगी परंतु मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। इसके चलते एक बार फिर भीमराव ने संजीवनी 108 और 100 डायल पर फोन लगाया। मौके पर वाहन पहुंचे परंतु शव को घर पहुंचाने से इंकार करते हुए वापस लौट गए। इस बात की जानकारी लगने पर पोनारकला के जनपद सदस्य लेखराम हरिनखेड़े ने अपनी जीप से शव को पहुंचाने की व्यवस्था बनाई।

प्रोटोकॉल के तहत शव रखने से मना किया

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आरके श्रीवास्तव का कहना है कि सुबह 10.25 बजे भीमराव ने संजीवनी 108 से मदद मांगी थी। भोपाल से कॉल ट्रांसफर होने के बाद 10.35 बजे बरघाट में तैनात संजीवनी वाहन को सूचना प्राप्त हुई। सूचना मिलते ही वाहन मौके पर रवाना हो गया। तब तक भीमराव अपनी मां पर्वता बाई को लेकर उलट गांव से बाइक से निकल गया था।

पोनारकला पहुंचने पर पर्वता बाई की मौत हो गई थी। प्रोटोकॉल में मृत व्यक्ति को अस्पताल अथवा घर पहुंचाने की सुविधा नहीं दी गई है। प्रोटोकॉल का पालन करते हुए संजीवनी वाहन का कर्मचारी वहां से लौटा आया। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है। वहीं संजीवनी 108 वाहन के प्रभारी अभिषेक तिवारी का कहना है कि शव को घर पहुंचाने की व्यवस्था प्रोटोकॉल में शामिल नहीं है।