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माइंस एंड मिनरल्स एक्ट पर हामी भरी

रांची : झारखंड सरकार ने केंद्र के प्रस्तावित माइंस एंड मिनरल्स (साइंटिफिक डेवलपमेंट एंड रेग्यूलेशन) एक्ट पर अपनी पूर्ण सहमति दे दी है. केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष 24 जून को लाये इस कानून में सभी खनिजबहुल राज्यों से अपनी टिप्पणी मांगी थी.

देश भर में खनिज पट्टों के आवंटन पर एकरूपता लाने के लिए केंद्र ने पूर्व के एमएमडीआर एक्ट में संशोधन किया है. इस पर झारखंड समेत असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोवा, मध्यप्रदेश, ओड़िशा ने अपनी सहमति दे दी है.

कुछ राज्यों ने इस पर संशोधन करने की मांग भी की है. झारखंड सरकार ने नये कानून की बाबत कहा है कि राज्य सरकार प्रस्तावित एक्ट से पूरी तरह सहमत है. हालांकि राज्य सरकार से केंद्र ने खनिजों के समुचित विकास के लिए प्रस्तावित सस्टेनेबल प्रोजेक्ट फ़ंड के बारे में वस्तुस्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी.

इसी तरह के इनपुट छत्तीसगढ़, ओड़िशा से भी मांगे गये हैं. प्रस्तावित एक्ट में कई राज्यों ने खनन क्षेत्र के लिए निर्धारित क्षेत्रफल, राजस्व वसूली और अन्य कारणों पर स्पष्ट दिशा-निर्देश की मांग की है.

क्या है एमएमएसडीआर एक्ट में

नये कानून में रिकोनेसां लाइसेंस, पुनर्विक्षी लाइसेंस (प्रोस्पेक्िटंग लाइसेंस), लार्ज एरिया प्रोस्पेक्िटंग लाइसेंस (एलएपीएल) और माइनिंग लीज देने के लिए कायदे-कानून बनाये गये हैं.

यह कहा गया है कि वृहद खनिजों के लिए दिये जानेवाले लाइसेंस के लिए खुली निविदा आमंत्रित की जायेगी. इसके अतिरिक्त सभी राज्यों में खनन न्यायाधीकरण गठित करने, खनिजों के वैज्ञानिक विधि से उत्खनन और दोहन के लिए फ़ंड बनाने. खनन पट्टों के लिए एक समय-सीमा निर्धारित करने की बातें भी कही गयी है.

केंद्र ने क्षेत्रफल तय करने की बातें कही

प्रस्तावित कानून में रिकोनेसां लाइसेंस के लिए 10 हजार वर्ग किलोमीटर, प्रोस्पेक्िटंग लाइसेंस के लिए पांच सौ वर्ग किलोमीटर, एलएपीएल के लिए 5000 वर्ग किलोमीटर और माइनिंग लीज के लिए 100 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल दिया जायेगा. वृहद खनिजों के लिए एलएपीएल का दायरा 500 वर्ग किमी होगी, जबकि पीएल का एक वर्ग किलोमीटर तथा एमएल के लिए न्यूनतम 10 हेक्टेयर आवेदकों को मिलेंगे.

लघु खनिजों के लिए भी यह सीमा पांच हेक्टेयर से 10 हेक्टेयर के बीच रहेगी. किसी भी चयनित कंपनी को एक साल से तीन वर्ष के लिए आरएल, दो से तीन वर्ष के लिए पीएल, तीन से छह वर्ष के लिए एलएपीएल और 20 से 30 वर्ष तक के लिए एमएल दिये जायेंगे.

तीन-तीन महीने में निबटाना होगा

नये कानून में आरएल और एलएपीएल के आवेदन को निबटाने के लिए अधिकतम 90 दिन निर्धारित किया गया है.

खनन पट्टे को भी निर्धारित समय-सीमा में तय करना है. यह कहा गया है कि वृहद खनिज के मामले में 90 दिनों में पार्टी को लेटर आफ इंटेंट अवश्य निर्गत कर दिया जाये. यदि तय समय-सीमा में आवेदन का निबटारा नहीं हो पाता है, तो आवेदक कंपनी नेशनल माइनिंग ट्रिब्यूनल में आवेदन दिये जा सकते हैं.

आफेंस और पेनाल्टी

प्रस्तावित कानून में बगैर लाइसेंस के एक्सप्लोरेशन करने पर तीन वर्ष की कैद की सजा अथवा 25 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है. इतना ही नहीं कुछ मामलों पर दोनों साथ तय किया जा सकता है. बगैर लीज के खनन करने पर तीन वर्ष की कैद की सजा और खनन क्षेत्र से दस गुना के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.